🌷 !! “प्रेम योग —१६” !! 🌷
तीनों ही परिवारों में भागमभाग लगी हुई है। कुमुद और आदित्य के परिवारों को शाम 4 बजे तक दिवाकर जी के घर पहुँचना है। और उमा के घर में दोनों के स्वागत सत्कार की तैयारी चल रही है।
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!! “कल्प सम्वाद कुंज : गाँवों का नगरीकरण : विकास या विनाश”.!!
अभी कुछ दिन पहले हम एक कहानी पढ रहे थे। कहानी में गाँव का परिप्रेक्ष्य था। पढते-पढते सोचने लगे कि आजकल गाँव, गाँव जैसे कहाँ रह गये हैं। गाँवों का तो कब का शहरीकरण हो गया।
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🌷 !! “प्रेम योग — १५.” !! 🌷
“क्यों, हर बात इसे ही क्यों समझनी है, हम क्यों नहीं समझ सकते? तू क्यों नहीं समझ सकता? ये तुझे ब्याह कर लाई है या तू इसे ब्याह कर लाया है?”
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🌷 !! “प्रेम योग – १४” !! 🌷
“समधी जी, हमें कर्ज की नहीं, हमारे घर के लिए गृहलक्ष्मी चाहिए, जो अपने प्यार और अपनेपन से इस घर को स्वर्ग बना दे। और वैसे भी गिरिराज महाराज की कृपा से सब कुछ है हमारे पास। रही सही कसर आपने अपनी बिटिया रत्न देकर पहले ही पूरी कर दी और हमारे इस घर में चार चांद लगा दिए।”
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🌷 !! “प्रेम योग – १३” !! 🌷
शेखर जल्दी से अपनी गाडी से एक पैकेट निकाल कर ले आया। तब तक उमा ने अतुल को शेखर के लिए धोती कुर्ता निकाल कर दे दिया।
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🌷 !! “प्रेम योग :- १२” !! 🌷
शेखर फोन रख कर अतुल से गाड़ी रोकने के लिए बोला तो अतुल ने तुरंत स्थिति को समझते हुए प्रश्न किया – “क्या हुआ सर?”
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🌷 !! “प्रेम योग – ११.” !! 🌷
दिवाकर जी – आज एक बडा काम तो निबट गया। पर अतुल बेटा, बुधवार सुबह तक तुम पलवल पहुंच जाना। उस दिन अमावस्या है और उसी दिन सुबह तुम्हें दान करना होगा, तुम्हारे परिवार के निमित्त।
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🌷 !! “प्रेम योग – १०” !! 🌷
सुमित – अंकल हम कोशिश करेंगे लेकिन पक्का नहीं कह सकते क्योंकि इसकी (कार्तिक) भी शादी की तारीख तय होने वाली है और मेरे बडे भाई की शादी की तारीख भी आजकल में पक्की हो जाएगी तो…… थोडी मुश्किल होगी…… लेकिन फिर भी हम कोशिश जरूर करेंगे।
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🌷 !! “प्रेम योग – ९” !! 🌷
जैसे ही शेखर और कार्तिक उठते हैं, सुमित बहुत जोर से चीखता है – याद आ गया…. याद आ गया………………
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🌷 !! “प्रेम योग – ८” !! 🌷
जैसे ही शेखर और कार्तिक उठते हैं, सुमित बहुत जोर से चीखता है – याद आ गया…. याद आ गया………………
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