🪷 !! “प्रेम जगत का सार” !! 🪷
- Radha Shri Sharma
- 2024-05-24
- लघुकथा
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*”रे मनवा! प्रेम जगत कौ सार।” इसी तथ्य को सिद्ध करती है हमारी आज की कहानी “प्रेम जगत का सार”*
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*”रे मनवा! प्रेम जगत कौ सार।” इसी तथ्य को सिद्ध करती है हमारी आज की कहानी “प्रेम जगत का सार”*
Continue Readingउसके बाद जो माँ ने बताया, उसे सुनकर हम सन्न रह गए। हमें तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कोई किसी के साथ इतना भयानक अत्याचार भी कर सकता है और पीड़ित को ही उपेक्षा भी सहनी पड़े? माँ ने जो कुछ हमें बताया वो हम आप सब को भी बताते हैं। फिर आप सब ही निर्णय कीजिए कि ये कहाँ तक उचित और न्यायपूर्ण है………
Continue Readingकवित्त बन बहती रही, छंद नदी रसधार में ।
भाव रस से पगी हुई हिय स्पन्दन संसार में।।
अपने रूम में पहुंच कर लेटे लेटे उमा सोचती है कि कौन था वो…? उसकी वो आँखें…? वो चेहरा……? कहीं तो देखा है, पर कहां……? कुछ याद क्यों नहीं आता……? कहीं सपने में तो नहीं……? पर कितना खड़ूस है वो….? मैंने क्षमा मांगी, तो मुझे बेवकूफ बोल दिया। अकड़ तो इतनी है कि पूछो मत।। हूँह! खड़ूस कहीं का..
Continue Readingउमा, कुमुद को खींचते हुए मन्दिर के अंदर लेकर जाती है। वो तेज-तेज चलते हुए अंदर जा रही थी कि अंदर से आते हुए किसी से जोर से टकराती है…… और दोनों गिर जाते हैं…..
Continue Readingये द्वापर युग की बात है, इस स्थान का नाम पल्लव नगर था, यहाँ प्रलम्ब नाम के असुर ने यहां के राजा को मारकर अपना आधिपत्य कर लिया। यहाँ से थोड़ी आगे बृज भूमि का कुछ हिस्सा है।
Continue Readingधीरे-धीरे उमा कॉलेज में रमणे लगती है। लेकिन साथ ही साथ सरकारी नौकरी के लिए भी आवेदन भरती रहती है। उसके साथ साथ कुमुद भी आवेदन भरती रहती थी। उसे यहां काम करते हुए लगभग नौ महीने बीत गए।
Continue Readingरामचरितमानस का पढने बैठ गए। आज का पाठ उमा की माँ भारती पढ रही थी। सीता स्वयंवर का किस्सा चल रहा था। राम जी महर्षि विश्वामित्र के साथ सीता जी का स्वयंवर देखने के लिए जनकपुर आते हैं। गुरु विश्वामित्र की आज्ञा लेकर दोनों भाई नगर देखने जाते हैं।
Continue Readingप्रेम एक ऐसा एहसास है जो हमारे तन और मन दोनों को पवित्र कर देता है। प्रेम भावनाओं का वो आवेग है, जिसमें माता पिता संतान, भाई बहन, पति पत्नी आदि सम्बंध एक अटूट डोर से बंधे रहते हैं। ये प्रेम ही इस संसार का आधार है। प्रकृति का स्थायित्व है। प्रेम एक ऐसी अनुभूति है जिसे शब्दों में गूंथना कम से कम हमारे लिए तो असंभव है। इसीलिए हमने इस कहानी को नाम दिया है प्रेम योग।
Continue Readingकुंतलपुर के राजा परम भगवदभक्त एवं संसार के विषयों से पूरी तरह से विरक्त थे। और संतान के नाम पर केवल एक कन्या थी जिसका नाम चम्पकमालिनी था। राजगुरु महर्षि गालव के उपदेशानुसार राजा भगवान के भजन में ही लगे रहते थे।
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