अप्प दीपो भव – शशि धर कुमार
यह उस हर पिता की कहानी है जो खुद अंधेरे में रहकर, अपने बच्चों के लिए रोशनी का इंतज़ाम करता है। जो खुद जलकर भी नहीं जलता, बल्कि बेटे को जलते हुए दीपक की तरह देख मुस्कुराता है।
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⛩️ !! “कल्पकथा साप्ताहिक आमंत्रण : स्वैच्छिक” !! ⛩️
📜 विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक :– !! “कल्प/अप्रैल/२०२५/ब” !! 📜
📚 विषय :- !! “स्वैच्छिक” !! 📚
⏰ समयावधि :- दिनाँक १४/०४/२०२५ प्रातः ०८.०० बजे से दिनाँक १८/०४/२०२५ रात्रि १०.०० बजे तक ⏰
🪔 विधा :- !! “लघुकथा” !! 🪔
📢 भाषा :- !! “हिन्दी, संस्कृत” !! 📣
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11 मोतियों की माला
११ मोतियों की माला——एक जंगल में एक सिद्धि प्राप्त ऋषि रहते थे.आस -पास के लोग उनसे मिलने जाया करते थे.ऋषि की कुटिया के पास एक कुआँ था.कुँए की एक ख़ासियत थी जो भी कोई पानी पीने जाता बाल्टी के साथ एक मोती भी ज़रूर आता.अक्सर आस-पास के लोग इस कारण से उनसे मिलने जाते थे.एक क़स्बे में एक ज्ञानीजन रहते …
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मीठे पानी का कुआँ
तेजगढ़ राज्य दुखों की चपेट में आ गया, लोग पानी के लिये तरसने लगे. तेजगढ़ के राजा को अपनी प्रजा की कोई चिंता न थीं.राजा अपने में ही मस्त रहते थे , ज़्यादातर समय शिकार खेलने में ही व्यस्त रहता था.प्रजा पानी के लिए तरस रही थी.राज्य के लोग बड़े ही परेशान रहने लगे , कम से कम राजा पीने …
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!! “बीतते क्षण : एक आत्मकथा (जाते हुए लम्हे)”.!!
“हाँ भई! मैंने भी हँसते गाते ही प्रवेश किया था इस संसार में। ऐसे लग रहा है मानो कल की ही बात हो जब मैं यहाँ आया था। सारा विश्व मुझे देख का आह्लादित था। मैं भी हर्षित था। प्रफुल्लित था।”
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🦚 !! “किसान और खेत” !! 🦚
“अरे हद है….! कभी इधर से तो कभी उधर से, आज पूरे खेत को ही रौंद कर रहेगी?” – लाठी लेकर गाय को बरजते हुए किसान की आवाज ने खेत को यथार्थ में ला पटका।
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तरीक़े आपने ख़ुद ढूँढने हैं….
मेरे पिता जी का ट्रांसफ़र सबदलपुर( सहारनपुर) से चौमुहां ( मथुरा ) सन् १९७७-७८ में हो गया, मैं उस समय छटवीं कक्षा का विद्यार्थी था. गाँव चौमुहां मतलब चार मुख वाला यानी वहाँ पर भगवान ब्रह्मा जी का मंदिर हैं मैं आपको बताता चलू भगवान ब्रह्मा जी का मंदिर पुष्कर के अलावा चौमुहां में भी हैं. पिता जी ने मेरा …
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🌷 !! “प्रेम योग —१६” !! 🌷
तीनों ही परिवारों में भागमभाग लगी हुई है। कुमुद और आदित्य के परिवारों को शाम 4 बजे तक दिवाकर जी के घर पहुँचना है। और उमा के घर में दोनों के स्वागत सत्कार की तैयारी चल रही है।
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🌷 !! “प्रेम योग — १५.” !! 🌷
“क्यों, हर बात इसे ही क्यों समझनी है, हम क्यों नहीं समझ सकते? तू क्यों नहीं समझ सकता? ये तुझे ब्याह कर लाई है या तू इसे ब्याह कर लाया है?”
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🌷 !! “प्रेम योग – १४” !! 🌷
“समधी जी, हमें कर्ज की नहीं, हमारे घर के लिए गृहलक्ष्मी चाहिए, जो अपने प्यार और अपनेपन से इस घर को स्वर्ग बना दे। और वैसे भी गिरिराज महाराज की कृपा से सब कुछ है हमारे पास। रही सही कसर आपने अपनी बिटिया रत्न देकर पहले ही पूरी कर दी और हमारे इस घर में चार चांद लगा दिए।”
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