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पीहर से लौटती बेटियाँ

विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक :– कल्प/नवम्बर/२०२४/अ विषय: स्वैच्छिक विधा: काव्य    शीर्षक: ” पीहर से लौटती बेटियाँ “ नेह की डोरी से  दो घरों को जोड़कर,  पीहर से लौटती हैं बेटियाँ  कुछ समेट कर, कुछ छोड़ कर……   आँगन की ठंडी छाँव मे बैठ यूँ ही निहारती हैं…. कुछ पुराने बक्से, कॉपियां, किताब  मन में चलती रहती है, दूजे घर की …

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शुभ दीप पर्व मंगलमय हो

जीवन आनंदित सुखमय हो  शुभ दीप पर्व मंगलमय हो …   खुशियों के दीप जलें जगमग  चहुँओर उजाला छा जाये  रौनक हो हर घर आँगन में  हर मन महके और मुस्काये  धन धान्य बढ़े, आरोग्य मिले  सौभाग्य संपदा अक्षय हो  शुभ दीप पर्व मंगलमय हो..    कहीं पुष्प माल कहीं आम्रपत्र  रंगोली से सज्जित परिवेश  घर घर मे सादर स्थापित  …

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कल्पकथा साप्ताहिक आमंत्रण

 !! “साप्ताहिक आमंत्रण – कल्प/अक्तूबर/२०२४/अ” !! ✍🏻  विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक :– कल्प/अक्तूबर/२०२४/अ   विषय :- !! “महारास पूर्णिमा – शरदोत्सव” !!  🪔 विधा :- !! “काव्य, कहानी, लेख” !! 🪔  📢 भाषा :- !! “हिन्दी, संस्कृत” !! 📣 🎯 “शीर्षक:- शरद पूर्णिमा और प्रीत” 🎯   🌕शुभ शरद पूर्णिमा 🌕   शीतल है आसमां और चंद्रमा पूरा है लेकिन उसके चकोर …

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शरद पूर्णिमा का चाँद

विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक :– !! कल्प/अक्तूबर/२०२४/अ !! 📜 विषय :- !! “महारास पूर्णिमा – शरदोत्सव” !! 📚 विधा :- काव्य विषय विशेष/शीर्षक: शरद पूर्णिमा का चाँद निविड़ रात्रि को करके  रोशनी से सराबोर .. और बिखरा कर निर्मल चाँदनी, चहुँओर .. आसमान मे निकल आया है, शरद पूर्णिमा का चाँद …..   अमृत सी सरस शीतलता, प्रतिपल बढ़ती उज्ज्वलता, होकर …

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