
अमलतास – शशि धर कुमार
- Shashi Dhar Kumar
- 19/05/2025
- कवित्त
- अमलतास, कविता, हास्य
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अमलतास जी खड़े हुए थे सोसाइटी के गेट पे,
झूल रहे थे फूलों संग, जैसे नेता डेट पे।
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अमलतास जी खड़े हुए थे सोसाइटी के गेट पे,
झूल रहे थे फूलों संग, जैसे नेता डेट पे।