
घर वापसी
- Deepak Kumar Vasishtha
- 30/04/2024
- काव्य
- कविता घर वापसी हिन्दी एहसास बेटे पुत्र किसान
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शीर्षक: घर वापसी पिता सोच रहा है,खुश हूं इस बात पर कि बेटा लौट आया है ,उसके पास ।या मनाऊं मातम ,कि सपनों का खून कर लौटा है घर वापस । माटी के आंचल में रोने को,शायद टूट कर ।क्योंकि शहरों की सड़कों पर ,कहां है वह गांव की मिट्टी की सी नमी ?जहां ना रोने को कोई कंधा ही …
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