एकाकी जीवन
अकेले जीना क्या होता है ? एक बार, जो जी लिया , तो फिर इस माया से भरी दुनियां और लालच से जुड़े रिश्तों में , आसान हो जाता है कहीं, अपने आप को ढूंढना , और जान लेना स्वयं के अस्तित्व का होना । पहले पहल अकेलापन काटने को दौड़ता, दूर तक भगाता, बेचैन सोने नही देता । …
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“मांडवी”
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पवनेश
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06/05/2024
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मुक्तक
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कविता
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मांडवी और भरत ब्रह्मांड के उन सर्वश्रेष्ठ दंपतियों में से है जिनके दांपत्य और निर्णय दोनों पर प्रश्न चिन्ह कभी नहीं लगा।
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प्रतीक
शीर्षक: प्रतीक । चर्चा का विषय रहा है,औरत का विधवा होना,टूटना चूड़ियों का, मांग का सुना होना ।कहते है…पुरुष ने क्या पुण्य किया,विधुर होने पर भी , पत्नी को क्या दिया ? घड़ी, ऐनक या हुक्का, कोई प्रतीकतो पुरुष के लिए होते,तोड़कर जिन्हें..विधुर होने का प्रमाण देते ।पर टूट गया जिसका जग सारा, और छूट गया गृहस्थी का सहारा ,जिसके …
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खानाबदोश ( बंजारे )
शीर्षक: खानाबदोश ( बंजारे ) खाने का ना होश है,जिंदगी खानाबदोश है ।चिथड़ों से ढकते है लाज को,चुप रहकर कहते है अपनी बात को । टुकड़ों पर पलते है बच्चे,चलते है, रास्ते तो है, मगर कच्चे ।अजब जिंदगी का ये मोड़ है,इसे चलाता तो कोई और है । कारवां गमों से रहा है भर,खाली हाथ मुझे रहा है कर ।आज …
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यहां कौन तेरा है?
शीर्षक: यहां कौन तेरा है ? हम आएं है किस जहां से,किस जहां में हमारा गमन होगा।किन रिश्तों को छोड़ आए पीछे,किन नातों का आगमन होगा। जीवन के रहते रिश्ते-नाते निभाते ,मृत्यु उपरांत किसी नए सफर को निकल जाते ।किस जन्म में कौन था अपना, कौन पराया, भूल चुके है अब सारे वादे, सारे रिश्ते-नाते । सफ़र जीवन-मरण के हर …
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पौने का होना ( पूरे से कम )
पौने का होना ( पूरे से कुछ कम ) जीवन में जो कुछ मिला,पौना ही रह गया,दी सांस अगर , जीना था, सौ वर्ष मगर,पौना ही रह गया, सोचा था खेलेंगे मन भर,मां ने जो लगाई आवाज़खेल अधूरा ही रह गया,पढ़ पढ़ कर काटी रात सभीआया निष्कर्ष तोपौना ही रह गया, पाया तो रिश्तों में कुछ न ,लोगों को खोना …
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मंत्र
शीर्षक: मंत्र (कविता) ——————————– चयन करना कितना मुश्किल है, जब सामने वाला हो अपना, और चुनना है उनमें से जो दिए गए हो विकल्प उनके द्वारा, पहले मन सोचता है , अपना मत रखूँ , फिर मन कहता है पहले देखूं , उनके दिल में है क्या ? कही मेरे एक के चुनने पर, उसे अच्छा न लगे, और अगर …
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यकीं है तुम मुझे प्यार नहीं करते
शीर्षक: यकीं है तुम मुझसे प्यार नहीं करते आज मैं ये यकीन से कह सकती हूं । कि….तुम मुझसे प्यार नहीं करते, जब रोते देखते हो,आंसू पोंछकर,फिर हंस देती हूं कुछ सोचकर, कभी बनते नहीं कारण हँसने का ,और तुम मेरे साथ कभी रोते भी नही,सोते हो साथ मेरे, पर साथ मेरे कभी होते नहीं, सुबह से लेकर रात तक,जीवन …
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जख्म
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Mukesh Duhan
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13/01/2024
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काव्य
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कविता
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काव्य रचना
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