सप्तशती सारांश
- Deepak Kumar Vasishtha
- 2024-04-09
- काव्य
- दुर्गा, दुर्गा सप्तशती, भगवती, मां, हिंदी कविता
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शीर्षक: सप्तशती सारांश जो प्रतापी था, वह स्वजन से हारा गया,स्व प्रजा का बोझ ना, अब उससे धारा गया ।रण से हारा, लौट रहा था नगर को,मन से हारा, बल से ना वह मारा गया । नाम सुरथ था, न्याय में ना उसका कोई पार था,अपनी प्रजा, अपनी पत्नी, अपने पुत्रों से उसे प्यार था ।आज रण में हारकर, सबके …
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