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भाई का बोझ

सूरज ढल रहा था। जापान के शहर, नागासाकी की जली हुई धरती पर अब सिर्फ राख बची थी और चारों तरफ एक गहरा सन्नाटा पसरा था।

वहीं एक नन्हा लड़का जिसकी उम्र मुश्किल से दस साल रही होगी, अपने छोटे भाई को पीठ पर बाँधे नंगे पाँव खड़ा था। उसकी कमीज़ फटी थी, घुटनों तक के छोटे-से निक्कर में उसकी मासूमियत छिपी नहीं थी। वह चुप था लेकिन उसकी आँखों से दर्द स्पष्ट झलक रहा था।

पीठ पर बंधा उसका छोटा भाई अब इस दुनिया में नहीं था। चेहरा शांत, आँखें बंद और शरीर निर्जीव। शायद उस बम के विस्फोट के बाद दोनों अनाथ हो गए थे। या शायद घर ही नहीं बचा था जहाँ कोई उन्हें देख पाता।

वह बच्चा कतार में खड़ा था, उन लोगों की कतार में जो अपने मरे हुए परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए लाकर सामूहिक चिता में सौंप रहे थे।

एक सैनिक ने उसके पास जाकर धीरे से पूछा, “तुम अकेले आए हो?”

लड़के ने सिर हिलाया। आँखें सामने कहीं शून्य में गड़ी रहीं।

“तुम्हारे साथ कोई बड़ा नहीं है?”

उसने धीरे से जवाब दिया, “मैं ही बड़ा हूँ।”

सैनिक ने उससे कहा, “अपने मृत भाई को नीचे रख दो। तुम्हें बोझ लगेगा ।”

बच्चे ने कहा, “यह बोझ नहीं है, मेरा भाई है..!”

सैनिक का गला भर आया। वह चुप हो गया और उसने अपनी टोपी उतारकर सम्मान से सिर झुका लिया। यह एक सलामी थी एक ऐसे बच्चे को जो अपने भाई का अंतिम संस्कार करने आया था, बिना आँसू बहाए, बिना सवाल किए।

चिता जली, धुआँ उठा। वह बच्चा तब तक वहीं खड़ा रहा, जब तक राख हवा में उड़ नहीं गई। फिर वह बिना पीछे देखे चल पड़ा। वह नंगे पाँव था, अकेला था पर उसका सिर ऊँचा और आत्मा अपराजेय थी।

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पेड़ लगाने का महत्व

वृक्षारोपणस्य महत्त्वम् – शशि धर कुमार

वृक्षा: अस्माकं जीवनस्य अनिवार्या: भागः सन्ति। ते न केवलं वातावरणं शोभयन्ति, अपि तु समग्रं जैविक-तंत्रं धारयन्ति।

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11 मोतियों की माला

११ मोतियों की माला——एक जंगल में एक सिद्धि प्राप्त ऋषि रहते थे.आस -पास के लोग उनसे मिलने जाया करते थे.ऋषि की कुटिया के पास एक कुआँ था.कुँए की एक ख़ासियत थी जो भी कोई पानी पीने जाता बाल्टी के साथ एक मोती भी ज़रूर आता.अक्सर आस-पास के लोग इस कारण से उनसे मिलने जाते थे.एक क़स्बे में एक ज्ञानीजन रहते …

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मीठे पानी का कुआँ

तेजगढ़ राज्य दुखों की चपेट में आ गया, लोग पानी के लिये तरसने लगे. तेजगढ़ के राजा को अपनी प्रजा की कोई चिंता न थीं.राजा अपने में ही मस्त रहते थे , ज़्यादातर समय शिकार खेलने में ही व्यस्त रहता था.प्रजा पानी के लिए तरस रही थी.राज्य के लोग बड़े ही परेशान रहने लगे , कम से कम राजा पीने …

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!! “अनिरुद्ध : दिव्य योद्धा” !!

ये कहानी एक ऐसे बालक की है, जो जन्म से ही कई दिव्य शक्तियों के साथ पैदा हुआ है। ये कहानी हम बालको को ध्यान में रखते हुए लिख रहे हैं। इसमें हमने अपनी कल्पनाओं का आकाश सजाया है। जिसका किसी भी प्रकार से इस जीवित संसार से कोई सम्बंध नहीं है। हमसे हुई त्रुटियों के लिए हम अग्रिम क्षमाप्रार्थी हैं।

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