
!! “कविता” !!
- Radha Shri Sharma
- 21/03/2024
- कवित्त
- मुक्तक
- 1 Comment
कवित्त बन बहती रही, छंद नदी रसधार में ।
भाव रस से पगी हुई हिय स्पन्दन संसार में।।
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कवित्त बन बहती रही, छंद नदी रसधार में ।
भाव रस से पगी हुई हिय स्पन्दन संसार में।।