🌷 !! “प्रेम योग — १५.” !! 🌷
“क्यों, हर बात इसे ही क्यों समझनी है, हम क्यों नहीं समझ सकते? तू क्यों नहीं समझ सकता? ये तुझे ब्याह कर लाई है या तू इसे ब्याह कर लाया है?”
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🌷 !! “प्रेम योग – १४” !! 🌷
“समधी जी, हमें कर्ज की नहीं, हमारे घर के लिए गृहलक्ष्मी चाहिए, जो अपने प्यार और अपनेपन से इस घर को स्वर्ग बना दे। और वैसे भी गिरिराज महाराज की कृपा से सब कुछ है हमारे पास। रही सही कसर आपने अपनी बिटिया रत्न देकर पहले ही पूरी कर दी और हमारे इस घर में चार चांद लगा दिए।”
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🌷 !! “प्रेम योग – १३” !! 🌷
शेखर जल्दी से अपनी गाडी से एक पैकेट निकाल कर ले आया। तब तक उमा ने अतुल को शेखर के लिए धोती कुर्ता निकाल कर दे दिया।
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🌷 !! “प्रेम योग :- १२” !! 🌷
शेखर फोन रख कर अतुल से गाड़ी रोकने के लिए बोला तो अतुल ने तुरंत स्थिति को समझते हुए प्रश्न किया – “क्या हुआ सर?”
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