सांसो की लय हो तुम
तुम स्त्री हो
केवल स्त्री नहीं
तुम निर्मात्री
तुम संचालिका
तुम निर्देशिका भी हो मेरी ।
कभी दूर होकर भी
तुम्हारी छाप मेरे साथ होती है ।
मेरे हर फेसले पर ,
छिपी राय तुम्हारी ही होती है ।
थके हुए कदम घर वापसी में
तुम्हारी मौजूदगी में
सहज हो चंचल हो उठते हैं ।
तुम हो तो,
घर मेरा घर है।
तुम्हारी मौजूदगी घर की गरिमा है ।
सुबह शाम की ज्योत बाती हो तुम ।
तुम ही हो घर की लक्ष्मी ,
मेरे मन में बसी छिपी दुर्गा तुम ही हो ।
तुम्हारी अनहोनी को .
सपने में भी सोच बेचैन हो जाता हूँ ।
मेरी सांसो की लय हो तुम ।
मेरी प्रियतमा बन
मेरी जिंदगी की डोर हो तुम ॥
Continue Reading
!! “कांता चाची” !!
उसके बाद जो माँ ने बताया, उसे सुनकर हम सन्न रह गए। हमें तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कोई किसी के साथ इतना भयानक अत्याचार भी कर सकता है और पीड़ित को ही उपेक्षा भी सहनी पड़े? माँ ने जो कुछ हमें बताया वो हम आप सब को भी बताते हैं। फिर आप सब ही निर्णय कीजिए कि ये कहाँ तक उचित और न्यायपूर्ण है………
Continue Reading
प्रतीक
शीर्षक: प्रतीक । चर्चा का विषय रहा है,औरत का विधवा होना,टूटना चूड़ियों का, मांग का सुना होना ।कहते है…पुरुष ने क्या पुण्य किया,विधुर होने पर भी , पत्नी को क्या दिया ? घड़ी, ऐनक या हुक्का, कोई प्रतीकतो पुरुष के लिए होते,तोड़कर जिन्हें..विधुर होने का प्रमाण देते ।पर टूट गया जिसका जग सारा, और छूट गया गृहस्थी का सहारा ,जिसके …
Continue Reading
यकीं है तुम मुझे प्यार नहीं करते
शीर्षक: यकीं है तुम मुझसे प्यार नहीं करते आज मैं ये यकीन से कह सकती हूं । कि….तुम मुझसे प्यार नहीं करते, जब रोते देखते हो,आंसू पोंछकर,फिर हंस देती हूं कुछ सोचकर, कभी बनते नहीं कारण हँसने का ,और तुम मेरे साथ कभी रोते भी नही,सोते हो साथ मेरे, पर साथ मेरे कभी होते नहीं, सुबह से लेकर रात तक,जीवन …
Continue Reading