आदमी की कहानी
- Deepak Kumar Vasishtha
- 2024-04-11
- काव्य
- आदमी, कहानी, हिन्दी कविता
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आदमी अंदर-अंदर दु:खी है,औरों के सामने है खुश। अंदर से है टूटा- टूटा,अपनों के लिए है खुश। (खुशी) हंसती है अपने आने पर,वो रोता है उसे पाने पर । वो सोता तो है ,(सोने )को ,पर जागता है उसे पाने को । वो दिखना कोई चाहता है,पर अंदर से देखें तो,वो दिखता है कोई और । कौन सुनता है उसकी …
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