Dark

Auto

Light

Dark

Auto

Light

WhatsApp Image 2025-05-07 at 10.18.53

“!! कल्प भेंटवार्ता में श्रीमती संध्या श्रीवास्तव साँझ जी छतरपुर बुन्देलखण्ड (मप्र) !!”

!! “व्यक्तित्व परिचय” !!

 

नाम :- श्रीमती संध्या श्रीवास्तव “साँझ” 

माता/पिता :- श्रीमती श्याम किशोरी श्रीवास्तव, श्री जानकी स्वरूप श्रीवास्तव 

जन्म स्थान एवं जन्म तिथि :-बाँदा, उत्तरप्रदेश, 15,05,1957

पति का नाम :- श्री दिनेश कुमार खरे 

बच्चों के नाम :- सौम्या खरे, दिव्या खरे,

शिक्षा :- एम ए, बी एड, एल एल बी 

व्यावसाय :- शिक्षिका

वर्तमान निवास :-छतरपुर मध्यप्रदेश 

मेल आईडी :- Sandhya.srivastavakhare@gmail.com

आपकी कृतियाँ :-स्मृतियों के पाँखी, हिलोर, बुंदेलखण्ड का सूरज, दिव्यांजलि, प्रवाह, अस्तित्व, अनुभूति, शब्दोपहार,चरणपादुका को नमन, अंतस की आवाज, मन वीणा के तार। 

आपकी विशिष्ट कृतियाँ :- समस्त 

आपकी प्रकाशित कृतियाँ :- स्मृतियों के पाँखी, हिलोर, बुंदेलखण्ड का सूरज। 

पुरूस्कार एवं विशिष्ट स्थान :- स्थानीय ,प्रादेशिक स्तर पर पुरस्कृत  नारी गौरव सम्मान, शिक्षक दिवस सम्मान, हिंदी दिवस सम्मान, अनेक सांस्कृतिक, साहित्यिक सम्मान। 

 

 

!! “मेरी पसंद” !!

 
 

उत्सव :- समस्त भारतीय उत्सव 

भोजन :- शाकाहारी भोजन 

रंग :-समस्त रंग 

परिधान :- साड़ी 

स्थान एवं तीर्थ स्थान :- समस्त भारतीय तीर्थ

लेखक/लेखिका :-फणीश्वर नाथ रेणु, महादेवी वर्मा, मन्नू भण्डारी 

कवि/कवयित्री :-दुष्यंत कुमार, सुभद्रा कुमारी चौहान 

उपन्यास/कहानी/पुस्तक :-वृंदावन लाल वर्मा, मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास 

कविता/गीत/काव्य खंड :-महादेवी वर्मा की रचनाएं

खेल :- कोई खास रुचि नहीं 

मूवीज/धारावाहिक (यदि देखती हैं तो) :- एक नहीं अनेक हैं। 

आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :- बुंदेलखण्ड का सूरज 

 

!! “कल्पकथा के प्रश्न और संध्या जी के उत्तर” !!

 

 

प्रश्न 1. संध्या जी, सबसे पहले आपके व्यक्तिगत एवं साहित्यिक परिवेश के बारे में हमें बताइये। 

उत्तर-एक मध्यम वर्ग का संयुक्त परिवार का स्नेहपूर्ण परिवेश, परिवार की साहित्य में विशेष रुचि, बड़े भाई बहन साहित्यकार। 

 

प्रश्न 2. संध्या जी, आप एतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नगरी “छतरपुर” की रहने वाली हैं। इस नगर के बारे में अपने शब्दों में कुछ कहिये। 

उत्तर-महाराज छत्रसाल द्वारा बसाई गई, चरणपादुका,जटाशंकर, बागेश्वर धाम, जैसे स्थानों से सुसज्जित पावन नगरी,

 

प्रश्न 3. संध्या जी, काव्य-सृजन की प्रेरणा आपके हृदय-सरोवर में किस प्रकार तरंगित होती है? क्या यह अंतःस्फुरणा है, या कोई विशिष्ट प्रसंग इसका उद्गम स्रोत बनता है?

उत्तर- अवगति गति कछु कहत न आवे,जो गूंगे मीठे फल को रस अंतर मन ही भावे। 

 

प्रश्न 4. संध्या जी, आपकी पुस्तक “स्मृतियों की पाँखें” में आपने किस प्रकार के सृजन का संग्रह किया है? आपकी प्रिय कविता सुनना चाहेंगे। 

उत्तर-कहानी संग्रह और संस्मरण 

कविता

वादियां ये पर्वत ये नदी का किनारा   

छिपा है जन्नत का इन सबमें नज़ारा 

ये वादियां बुलातीं आज प्यार से हमें 

सहेजो इसे तुम यह पर्यावरण हमारा 

 

दूर बसे पर्वत हमें पुकारते हैं सदा से 

पेड़ों के झुरमुट से ये गीत गाते सदा से 

ये पक्षी बुला रहे सच दीवाना बना रहे 

आसमां की ऊंचाईयां छूते यह सदा से

 

आओ चलें सैर करें क्षितिज के पार तक 

हॅंसें बोलें गुनगुनाएं खुशनुमा बहार तक 

निकल जाएं दूर कहीं हाथ तेरा थामकर 

ये उड़ान भरती भावनाएं भू से नभ तक

 

फिज़ाओं में घुला ज़हर मौसम नाराज़ 

लम्हा लम्हा ज़िन्दगी का नहीं आज़ाद 

ढा रहा चहुं आज प्रदूषण अपना कहर 

वीरान वादियां गज़ब ढा रहा आफताब

 

खुशनुमा वादियों की बहार हमें लाना 

प्रदूषण के जाल से धरा गगन बचाना 

हाथ में हाथ ले आओ आज तय करें 

पर्वत नदी वादियों में रौनक है लाना

 

प्रश्न 5. संध्या जी, आपकी लेखनी का कौन-सा स्वरूप अधिक प्रबल है – विचारों की तीव्रता, भावों की सरसता, अथवा अलंकारों की आभा?

उत्तर- विचारों की तीव्रता 

 

प्रश्न 6. संध्या जी, यदि साहित्य एक उद्यान है, तो आपकी लेखनी उसमें कौन-सा पुष्प खिलाना अधिक पसंद करती है – गंभीर दार्शनिक विचारों की कमलिनी, लोकजीवन की मालती, अथवा श्रृंगार की माधवी लता?

उत्तर- तीनों

 

 

प्रश्न 7. संध्या जी, कहते हैं बचपन सदैव मनोहारी होता है। हम जानना चाहेंगे आपके बचपन का बाल विनोद भरा वो किस्सा, जो आपको आज भी मुस्कुराने पर विवश कर देता है। 

उत्तर _सहेली के साथ बिताए पल, 

 

प्रश्न 8. संध्या जी, आज भागदौड के समय में लेखकीय यात्रा को कई बिंदुओं पर भागदौड वाला ही बना दिया गया है। साथ ही शीघ्र प्रसिद्धि के लालच देकर अच्छा खासा व्यवसाय चलाया जा रहा है। आप इससे कितनी सहमत हैं? 

उत्तर- मैं इससे असहमत हूं। 

 

प्रश्न 9. संध्या जी, साहित्यिक परिशिष्ट में आप आज के लेखकों और कवियों का क्या भविष्य देखती हैं?

उत्तर- सम्भावनाएं बहुत हैं। बस दिशा सही रखें

 

प्रश्न 10. संध्या जी, आपकी दृष्टि में कोई साहित्यिक रचना किस गुण के कारण कालजयी बनती है? क्या यह उसके भावपक्ष की प्रबलता है, भाषा वैशिष्ट्य, अथवा समाज पर उसकी छाप?

उत्तर- तीनों 

 

प्रश्न 11. संध्या जी, आपने अपनी साहित्यिक यात्रा में बहुत से पुरुस्कार प्राप्त किये हैं। आप अपनी इन उपलब्धियों को कैसे देखते हैं?  

उत्तर- ईश्वर कृपा और प्रिय जनों का अपनापन। 

 

प्रश्न 12. संध्या जी, आप स्वयं में निस्संदेह एक विशिष्ट श्रेणी की लेखिका हैं। क्या आपको किसी और लेखक या कवि ने कभी प्रभावित किया है? कोई ऐसी विशिष्ट रचना जो आपने न लिखी हो, किंतु आपको बहुत प्रिय हो? 

उत्तर-दुष्यंत कुमार की साए में धूप 

 

प्रश्न 13. संध्या जी, यूँ तो अपनी लिखी सभी रचनायें विशेष प्रिय होती हैं। फिर भी हम आपकी स्वरचित एवं विशेष प्रिय कविता सुनना चाहेंगे। साथ ही जानना चाहेंगे कि वो आपको इतनी प्रिय क्यों है? 

 

कविता – “हे जनक नन्दिनी जनक दुलारी”

 

जनक नन्दिनी जनक दुलारी सिया रानी प्रणाम हमारा

 मैथिली वैदेही जनकसुता स्वीकार करें आभार हमारा

भूमिजा धरिणी सुपुत्री हर नारी का सम्मान तुम्ही से

 जगद्जननी हे महादेवी तुमसे ही स्वाभिमान हमारा

हर बेटी का गर्व तुम्ही बस मात पिता का मर्म तुम्ही 

भारत वर्ष वसुंधरा का आधार ज्ञान अरु कर्म तुम्ही 

चाहे जितनी सदियां बीतें धरती का अभिमान तुम्ही 

 जगदम्बा हे मृगनयनी सूर्य वंश का बस उत्कर्ष तुम्ही 

हे वानिका हे सीताशी तुम पल पल एहसास हमारा

हे क्षितिजा हे मृणमयी तुम हर क्षण विश्वास हमारा

राम चरित की श्रद्धा हो तुम युगों युगों से हे जननी

हे पार्थवी हे लक्षाकी तुमसे जग को आभास हमारा

लवकुश माता सुनयना नयना भगिनी उर्मिला वंदन 

मिथिलांचल मर्म मिथिलेशजा त्रेता से कलियुग अर्चन 

मां सीता आन अवधपुरी तुम ही आस्था दीप जलाती

हर्ष विषाद से ऊपर रह सदा से देती हमको तुम चिंतन 

हे अम्ब बस यही प्रार्थना शक्ति हमें तुम देना हे माता

राम नाम अद्भुत महिमा से जुड़ा रहे हम सबका नाता

कभी अवसर पाकर माता प्रभु से बस संस्तुति करना

 राम कृपा बनी रहे सदा, समृद्ध रहें बस भारत माता.

रचनाकार – श्रीमती संध्या श्रीवास्तव “सॉंझ” छतरपुर मध्यप्रदेश वरिष्ठ शिक्षिका कवयित्री लेखिका आकाशवाणी कलाकार 

 

प्रश्न 14. संध्या जी, आप के गृह नगर के अतिरिक्त कौन सा ऐसा स्थान है जो आपको सबसे अधिक रूचिकर लगता है और क्यों? 

उत्तर-मुझे अपना गृहनगर और जन्म स्थान ही अच्छा लगता है। 

 

प्रश्न 15. संध्या जी, कविता कई बार हमारे जीवन को एक दिशा दे जाती हैं। क्या आपके जीवन में दिशा निर्देशक कोई कविता है? हम उसे सुनना चाहेंगे। 

 

उत्तर- ऐसा तो नहीं है पर मैं माँ पर एक रचना सुनाती हूं 

 

“मां तो बस मां है कोई कहता वह तो ईश है

कोई कहे प्रतिरुप किसी को दिखता स्वरूप 

पर उसके लिए विशेषण नहीं उदाहरण नहीं

मां तो बस मां है

क्रोध प्यार मनुहार बीच वो ममता की मूर्ति है

बस वो दृढ़ता और ममता का सुंदर संगम है 

दानवी हो मानवी हो लौकिक अलौकिक हो

मां तो बस मां है

मां का कोई दिवस नहीं कभी कोई मुहूर्त नहीं

हर दिन हर रात हरपल हर सांस के साथ मां है

उससे अलग होकर तो बनती नहींकोई बात है 

मां तो बस मां है

मां का प्यार अविरल रुकता नहीं है कभी भी

माता का ऋण तो चुकता नहीं बस कभी भी

मां कुमाता नहीं सुमाता नहीं इन सब से परे  

मां तो बस मां है 

मां पर वक्तव्य नहीं वह एक मधुर एहसास है 

मां अभिव्यक्ति नहीं अनुभूति और आभास है

मां दिमाग नहीं दिल है वोभावना है संवेदना है

मां तो बस मां है.

 

प्रश्न 16. संध्या जी, हिन्दी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने के सतत प्रयासों से क्या आप संतुष्ट हैं? यदि नहीं, तो आपके विचार में और ऐसे क्या प्रयास किये जाने चाहिये, जिससे हिन्दी राष्ट्र भाषा बन सके? 

उत्तर–जो प्रयास हैंसराहनीय हैं पर हमें हर आंगन में हिंदी का पुष्प खिलाना होगा। 

 

प्रश्न 17. संध्या जी, हर गुणी लेखक/कवि की लालसा होती है कि उसे अपनी रचना पर विशेष टिप्पणियां मिले, जो सकारात्मक के साथ-साथ निष्पक्ष भी हों। आप इस संदर्भ में क्या राय रखती हैं? 

उत्तर-जी यह सच है। 

 

प्रश्न 18. संध्या जी, वर्तमान में प्रयोगधर्मिता के नाम पर हिन्दी साहित्य में अनेक प्रकार की सृजन शैली विकसित की जा रही है – जैसे मात्रामुक्त कुंडली, सम शब्द संख्या के दोहे, एक रचना में तीन या उससे अधिक भाषाओं के मिश्रण की कविता, चीनी काव्य शैली शांशुई, यूएफू, फू आदि को हिन्दी (देवनागरी) में लिखना, कोरियन शैली की गौरैयो, हयांग्गा के गीतों को हिन्दी में लिखना इत्यादि। आप इनको कैसे देखते हैं? 

उत्तर-लेखन होना चाहिए, फिर चाहे जो स्वरूप हो। रचना स्वांतःसुखाय, परिजन हिताय होनी चाहिए। 

 

प्रश्न 19. क्या आप किसी एक ऐसे एतिहासिक पात्र को अपने दृष्टिकोण से उकेरने का प्रयास करेंगी, जिसको आपके दृष्टिकोण से इतिहास के पन्नों में स्थान नहीं मिला है अथवा एतिहासिक परिप्रेक्ष्य में उनके साथ न्याय नहीं हुआ है, यदि हां तो वह कौन हैं और आपको क्यों लगता है कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ है?

उत्तर-चरण पादुका के शहीद, मैंने खण्ड काव्य भी लिखा है। 

 

प्रश्न 20. भाषा एवं शैली की दृष्टि से आप किस प्रकार के प्रयोगों को साहित्य में स्थान देने योग्य मानते हैं? क्या परंपरागत स्वरूप अधिक प्रभावी है, या नवीन प्रयोगों की धार, जो कि अधिक तीक्ष्ण है?

उत्तर-दोनों 

 

प्रश्न 21. संध्या जी, आपकी दृष्टि में साहित्य का परम उद्देश्य क्या है – केवल मनोरंजन, समाजोद्धार, आत्मसाक्षात्कार, अथवा इन समस्त तत्वों का संगम?

उत्तर-समस्त तत्वों का संगम 

 

प्रश्न 22. आपकी दृष्टि में भारतीय संस्कृति और साहित्य का परस्पर संबंध किस प्रकार परिलक्षित होता है? क्या साहित्य संस्कृति का प्रतिबिंब है, या संस्कृति साहित्य का स्रोत?

उत्तर-दोनों

 

 

प्रश्न 23. संध्या जी, आपने विविध साँझा संग्रहों का संकलन किया है। क्या उनमें कोई एक ऐसा संग्रह है, जिसने आपके मन पर विशेष प्रभाव डाला हो? 

उत्तर-भाव पंखुड़ियां

 

प्रश्न 23. श्री राधा गोपीनाथ बाबा की प्रमुखता में चल रहे कल्पकथा से काफी समय से जुडी हुई हैं। आप इस के साथ जुडे अपने अनुभव बताइये। साथ ही हम जानना चाहेंगे आप इससे कितनी प्रभावित हैं? 

उत्तर ‘शब्दों में नहीं बांध सकती, एक अपनापन है। 

 

प्रश्न 24. आप अपने पाठकों, हमारे दर्शकों, सभी लेखकों और समाज को क्या संदेश देना चाहती हैं?

उत्तर-अपने धर्म ग्रंथ पढ़ो,सत्य सनातन रक्षा के लिए तैयार रहो। अपने राष्ट्र का आराधन करो

 

 

“कल्प भेंटवार्ता के कार्यक्रम को देखने के लिए लिंक पर जाएं।”

https://www.youtube.com/live/2mnEXHsyUJQ

 

 

 

✍🏻 प्रश्नकर्ता : कल्प भेंटवार्ता प्रबंधन

कल्प भेंटवार्ता

One Reply to ““!! कल्प भेंटवार्ता में श्रीमती संध्या श्रीवास्तव साँझ जी छतरपुर बुन्देलखण्ड (मप्र) !!””

  • पवनेश

    राधे राधे,
    आदरणीया श्रीमती संध्या श्रीवास्तव साँझ जी के साथ भेंटवार्ता कार्यक्रम अत्यंत आनंददायक रहा।
    🙏🌹🙏

Leave A Comment