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प्रकाशनार्थ : राष्ट्रीय ध्वज

प्रकाशनार्थ : राष्ट्रीय ध्वज
 
 
स्वतन्त्रता दिवस के पहले प्रधानाचार्यजी के निर्देशानुसार कक्षा में मास्टर जी ने स्वतन्त्रता दिवस से सम्बन्धित एक अत्यन्त सरल सवाल पूछा –

 
‘बच्चों, बताओ तो भारत के राष्ट्रीय ध्वज में कितने रंग हैं  ?’
 
‘तीन ।’ सारे बच्चों के स्वर कक्षा में एक साथ गूँजा। लेकिन होनहार बच्चों में से एक बच्चा अपना हाथ उठाये शान्त बैठा मास्टर जी की  ओर देख रहा था।
 
जब मास्टरजी की  नजर उस पर पड़ी तब सभी बच्चों को शान्त होने का कह, उससे पूछा – कुछ कहना चाहते हो ?
 
शोर थमने के बाद वह बच्चा धीरे-धीरे खड़ा हो विनम्र स्वर में कहा, ‘मास्टर जी, पाँच ।’
 
सारे बच्चे यह सुन हँसने लगे ।
 
मास्टर जी अपने गुस्से को दबाने की कोशिश करते हुए पूछा, ‘चलिये, आप ही सबको बता दीजिये कौन-कौन से पाँच रंग है हमारे तिरंगे में ?’
 
तिरंगे के नाम सुनने के बाद भी बच्चा धीरे – धीरे बोलने लगा – ‘सबसे ऊपर केसरिया, उसके नीचे सफेद, सबसे नीचे हरा और बीच में एक चक्र जिसका रंग नीला है।’
 
मास्टर जी अपने हाथ दायें – बायें हिलाते हुए हल्के से ऊँची आवाज में पूछा – 
‘फिर भी तो चार ही हुये ना । ये पाँचवा रंग कौन सा है ?’
 
मासुम बच्चे ने आँख झुकाये सरलता से जबाब दिया – 
‘वो है पूरे ध्वज में फैला हुआ लाल – लाल धब्बा ।’
 
क्या कहा – ठीक से बताओ।
 
‘मुझे याद है मास्टर जी, जब मैंने पापा को अन्तिम बार घर के आंगन में देखा था। घर के आंगन में एक ताबूत के अन्दर पापा एक वैसे ही ध्वज को ओढ़ कर सोये हुये थे।’
 
कक्षा का शोर अचानक थम सा गया । मास्टर जी का गुस्सा गायब हो चुका था । गला भी भर आया था। कुछ बोल नहीं पा रहे थे ।सिर्फ हाथ के इशारे से सभीको शान्त बैठने को कहकर सिर झुकाये कक्षा से बाहर निकल आये और भींगी आँखों से आसमान की ओर देखते हुए सोचने लगे – ‘तिरंगे में लगे खून के उन लाल धब्बों को हम कैसे भूल गये ?
 
कैसे भूल गये कि हमें कितनी मँहगी पड़ रही है ये आतंकवादी घटनायें ? हँसते – हँसते अपने खून से धरती को रंगने वाले , उन वतनपरस्त शहीदों ने तो शांति व सुकून बनाये रखने के लिये अपनी जान की बाजी लगाने से भी नहीं चूक रहे हैं ।पर हमने उनके मकसद और दिशा से भटक कर किस ओर का रूख अपना लिया।’
 
क्या आज ये पंक्तियाँ हमारे लिए कोई मायने भी रखती हैं – 
 
एक पुष्प की अभिलाषा – 
 
‘मुझे तोड़ लेना वनमाली , उस पथ पर देना तुम फेंक। मातृभूमि पर शीश चढ़ाने , जिस पथ पर जायें वीर अनेक।’
 

 
गोवर्द्धन दास बिन्नानी “राजा बाबू”
जय नारायण व्यास कॉलोनी , बीकानेर
9829129011 / 7976870397
 
 
नोट : 1] यदि संभव हो तो निम्न रचना को दो रंगों में या फिर लाल रंग वाला गहरे अक्षरों में  प्रकाशित करेंगे तो अच्छा लगेगा।
        2] कृपया प्रकाशन पश्चात लिंक या पीडीएफ़ वश्य भेज दें।
G Binani

वरिष्ठ व्यक्तित्व श्री गोवर्धनदास बिन्नानी जी 'राजा बाबू ' बिरला ग्रुप से लेखाकार पद से सेवानिवृत, ७८ बसन्त पूरे कर चुके,बीकानेर निवासी वरिष्ठ समाज सदस्य गोवर्धनदास बिन्नानी जी 'राजा बाबू ' की पहचान वर्तमान में एक ऐसे लेखक के रूप में है, जिनकी लेखनी ने उन्हें सदैव सम्मानित करवाया। यहाँ पर भी उनके लेखन की विशेषता यह है कि वे विनियोजन अर्थात इन्वेस्टमेंट के क्षेत्र में भी अपनी लेखनी से सतत न सिर्फ आमजन अपितु बैंकों तक को मार्गदर्शन करते रहे हैं। बीकानेर समाज के वरिष्ठ गोवर्धनदास बिन्नानी जी 'राजा बाबू ' की मूल पहचान वैसे तो बिरला ग्रुप के सेवानिवृत्त लेखापाल के रूप में है लेकिन अब इन पर लेखक की पहचान हावी हो चुकी है। हर कोई उन्हें ऐसे लेखक के रूप में जानता है, जिनकी लेखनी समाज सुधार का आगाज तो करती ही है साथ आर्थिक उन्नति के लिये 'अर्थ निवेश' को लेकर भी मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहे हैं। प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी लेखनी द्वारा भी आपको प्यार से 'राजाबाबू' या 'कलकत्तावाले' इस नाम से ज्यादा जानते है। उम्र एक पड़ाव भी हो सकती है, परंतु जब कोई व्यक्ति विशेष उसे सिर्फ एक अंक से ज्यादा कुछ ना मानता हो तो यह सब कुछ वो कर सकता हैं। अतः ऊर्जा के क्षेत्र में श्री बिन्नानी जी किसी युवा से कम नहीं है। इनकी प्रेरणास्पद रचनाएं देश के शीर्षस्थ समाचारपत्रों, पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। ये सामाजिक, आर्थिक तथा साहित्यिक के साथ साथ स्वास्थ्य संबंधी पक्षों पर सटीक, आंकड़ेवार लेखन करते हैं।ये सोशल मीडिया, ब्लॉग, वैबसाइट, ईमेल आदि इलेक्ट्रोनिक माध्यमों पर भी समाज उत्थान के भरसक प्रयास कर रहे हैं। नौकरी से जीवन की शुरुआत बीकानेर निवासी श्री बद्रीदास बिन्नानी जी के यहाँ कोलकाता में जन्मे गोवर्धनदास बिन्नानी जी ने बी.कॉम ( (ऑनर्स) तक शिक्षा ग्रहण की तथा आईबीएम की कोलकाता शाखा से कम्प्युटर कोर्स किया। फिर बिरला ग्रुप कोलकाता से शेयर विभाग के माध्यम से सम्बन्ध हो गये। तत्पश्चात अपनी मेहनत एवं लगन से लेखा विभाग में लेखापाल का पद संभाला। अपने कार्यकाल से अवकाश ग्रहण करने के पश्चात अपने सारगर्भित अनुभव से आप वित्त विनियोजन परामर्शक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आपको 'दि सोसाइटी फॉर कैपिटल मार्केट रिसर्च एंड डेवलपमेंट दिल्ली' भारत सरकार से मान्यता प्राप्त 'वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान संगठन' द्वारा किये गये चतुर्थ हाउसहोल्ड सर्वे 2000 के लिए भारतीय स्तर पर द्वितीय पुरस्कार मिला। आपने विगत दो वर्षों में कोरोना जैसे महामारी के विषय पर अपने सकारात्मक एवं जानकारी मुक्त लेखन से माहेश्वरी समाज को गौरवान्वित किया है। इस जागरूक लेखन के लिए भी इन्हें 'कोरोना कर्मवीर' पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। - कोरोना काल के दौरान महामारी पर सकारात्मक एवं जानकारी युक्त लेखन से माहेश्वरी समाज को जागरूक करने पर इन्हें कोरोना कर्मवीर पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। - सुधार एवं उन्नति ही लेखन का लक्ष्य आपने समय-समय पर बैंकिंग से जुड़े मुद्दों पर भी आवाज उठायी है जैसे कि - बैंक शुल्क, बैंकों में तरलता बढ़ाने के लिये सुझाव, बैंकिंग लेनदेन से सम्बन्धित "संक्षिप्त-सूची", बैंकिंग सॉफ्टवेयर उन्नतिकरण आदि । इन पर आलेख आपने केन्द्रीय बैंक एवं सरकार को भी लिखा है। कुछ मुद्दों में सुधार भी हुआ है जबकि कुछ में अभी भी जारी है। - उज्जैन से हिन्दी में प्रकाशित होने वाली श्री माहेश्वरी टाईम्स वालों ने इनके द्वारा किये जा रहे कार्यों एवं विचारों से प्रभावित हो इनसे अक्टूबर २०१८ में अपने अंक में अतिथि सम्पादकीय लिखवा कर सम्मानित किया। - इसी प्रकार हिन्दी में साहित्यिक प्रयास एवं रचना सृजन हेतु - - हिंदी साहित्य अकादमी (मप्र) से अभा नारद मुनि पुरस्कार-सम्मान व १ राष्ट्रीय कीर्तिमान प्राप्त, १.५२ करोड़ ५० हजार दर्शकों-पाठकों के अपार स्नेह और ९ सम्मान से अलंकृत मंच ...हिंदीभाषा डॉट कॉम,इंदौर (मप्र) द्वारा कई बार श्रेष्ठ सृजनकर्ता से सम्मानित किये जा चूके हैं। - बृजलोक साहित्य कला संस्कृति अकादमी, आगरा ने भी अनेकों बार निम्न सम्मान प्रदान किये हैं - अ) साहित्य साधक के सम्मान से २०२२ में ब) साहित्य, धर्म वगैरह की उच्चतम उपलब्धियों के प्रति समर्पित क्रियाशीलता के योगदान की प्रशंसा हेतु वृज भूषण अवॉर्ड से २०२३में स) विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी भाषा भूषण सम्मान से २०२४ में द) धर्मरक्षा, संस्कृति संवर्धन के लिये स्वामी विवेकानन्द स्मृति सम्मान से २०२४ में - ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय ने साहित्य, शिक्षा वगैरह के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये २०२४ में साहित्य साधक सम्मान प्रदान किया। - माहेश्वरी एकता परिवार ने भी आपकी सेवाओं को सम्मानित करते हए 2021 में माहेश्वरी गौरव सम्मान से सम्मानित किया है। - अलबेलो राजस्थान, मुम्बई वालों ने भी इनकी सामाजिक गतिविधियों के दृष्टिगत सम्मानित किया है। - सीएलएफ फाउंडेशन, दिल्ली ने अप्रैल,२०२३ में आयोजित लोककथा प्रतियोगिता में इन्हें अखिल भारतीय स्तर पर तृतीय सर्वश्रेष्ठ घोषित कर प्रमाण पत्र के साथ सम्मानित किया। - मैं भारत हूँ फाउंडेशन,मुम्बई के श्री बिजय कुमार जैन ने भी अपनी ऑफिस में आमन्त्रित कर इनको अपनी पुस्तक भेंट करने के साथ साथ मैं भारत हूँ वाला पट्टा ओढ़ा न केवल सम्मानित किया बल्कि अपने संगठन से जुडने का आह्वान किया। - कल्याण फाउंडेशन आफ इंडिया, बीकानेर ने 31अगस्त 2023 तक "एक घर एक पौधा अभियान" में सक्रिय भागीदारी निभाने पर पर्यावरण रक्षक सम्मान 2023 के अन्तर्गत "पर्यावरण योद्धा" सम्मान प्रदान कर सम्मानित किया है। - भारतीय परम्परा ,मुम्बई द्वारा भारतीय परम्पराओं को उत्कृष्ट लेखन के माध्यम से सुदृढ़ करने में सहभागिता हेतु साहित्य सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया है । - वैदिक प्रकाशन, हरिद्वार ने ११-०५-२०२५ को "प्यारी माँ" के संकलन में मेरे द्वारा निभाई गयी अमिट भूमिका एवं साहित्यिक योगदान के चलते उत्कृष्ट सह लेखक सम्मान से अलंकृत किया । - समाचार भारत की बात ने 20 मार्च 2025 को होली पर्व के अवसर पर रचनात्मक सहयोग के चलते रंग लेखन सम्मान प्रदान किया। आपकी उम्र ७८ हो जाने पर भी आप आज के उन्नत संचार माध्यमों से एक रूप हो चुके हैं। अपने प्रबुद्ध विचारों को साझा करने में व्हाट्सअप, ब्लॉग,Raja Babu नाम से यूट्यूब चैनल, वेबसाइट व ईमेल इत्यादि का प्रयोग करके सामाजिक उत्थान के साथ साथ व्यवस्था में सुधार हेतु आप अपना भरसक प्रयास अनवरत जारी रखे हुये हैं। गोवर्धन दास बिन्नाणी 'राजा बाबू' IV E 508, जय नारायण व्यास काॅलोनी, बीकानेर - 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