“!! व्यक्तित्व परिचय:- कमल कांत जोशी !!”
- कल्प भेंटवार्ता
- 2025-02-01
- लेख
- Samvad
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!! “व्यक्तित्व परिचय” !!
नाम :- पूरा नाम: कमल कांत जोशी / लेखकीय: कमल कांत
माता/पिता का नाम :-मां ( स्वर्गीय):लीला जोशी/ पिता( स्वर्गीय): प्रेम कांत जोशी
जन्म स्थान एवं जन्म तिथि :-लखनऊ/ 27 अगस्त ,1951
पत्नी का नाम :- उषा जोशी
बच्चों के नाम :-पुत्र :आयुष ; पुत्री: श्वेता
शिक्षा :- एम .ए.(अर्थ शास्त्र)
व्यावसाय :- सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी/ स्वतंत्र लेखन
वर्तमान निवास :- बंगलुरु (कर्नाटक)
आपकी मेल आई डी :- kkj19511952@gmail.com
आपकी कृतियाँ :- ढेर सारी
आपकी विशिष्ट कृतियाँ :- कोई विशिष्ट कृति अभी तक नहीं लिखी
आपकी प्रकाशित कृतियाँ :- ¹) प्रिंट :सच्ची दस कहानियां, बंद गली, द केस आफ़ मर्डर्स एंड रिडल्स,द केस ऑफ़ मिस्टीरियस वूमन, जिज्जी और कल्लो,एक महल हो सपनों का ।
2: डिजिटल प्लेटफार्म पर भी अनेक फुटकर और लंबी रचनाएं।
!! “मेरी पसंद” !!
उत्सव :- होली
भोजन :- समभाव
रंग :- नीला
परिधान :-समभाव
स्थान एवं तीर्थ स्थान :- लखनऊ, वाराणसी
लेखक/लेखिका :-प्रेमचंद, यशपाल, कृष्ण चंदर , विमल मित्र, शिवानी, हरिशंकर परसाई
कवि/कवयित्री :- मैथलीशरण गुप्त, निराला
उपन्यास/कहानी/पुस्तक :- बहुत सी लेकिन आत्मकथाओं में ” सत्य के मेरे प्रयोग” के समकक्ष कोई नहीं
कविता/गीत/काव्य खंड :- कोई एक नहीं
खेल :-क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल
फिल्में/धारावाहिक (यदि देखते हैं तो) :- अनुराधा, प्यासा , साहब बीवी और गुलाम, जागते रहो, इत्तेफाक आदि।
आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :-
सभी प्रिय हैं लेकिन ‘ जिज्जी और कल्लो’ लिखने में आनंद आया।
!! “कल्पकथा के प्रश्न” !!
प्रश्न 1. जोशी जी, सबसे पहले हम आपके व्यक्तिगत, पारिवारिक, साहित्यिक, परिवेश के बारे में जानना चाहते हैं?
=> मेरे घर में पठन – पाठन को ही प्राथमिकता दी जाती थी। पढ़ने का शौक मेरी दादी, मां और पिताजी सभी को था। हमारे घर में किताबें और पत्र पत्रिकाएं पहले आती थीं और बाकी चीजें बाद में। पिताजी सांस्कृतिक गतिविधियों में अति सक्रिय थे।उनकी बैठकों में मित्रो और सहयोगियों का हमेशा जमावड़ा रहा करता था। जिनमें अन्य विषयों के साथ साथ साहित्यिक चर्चाएं भी हुआ करती थीं। गुलेरी जी की ‘उसने कहा था ‘, निराला की ” गुलाब और कुकुरमुत्ता” जैसी रचनाओं से बचपन में ही मेरा परिचय इन्हीं बैठकों ने कराया था। हम भाई बहनों में सभी कुछ न कुछ लिखने की सामर्थ्य रखते हैं लेकिन इस दिशा में मैं ही सबसे सक्रिय हूं।
प्रश्न 2. जोशी जी, आप देश के सर्वाधिक प्रगतिशील, सूचना तकनीकी के दृष्टिकोण से दुनिया का केंद्र बिंदु, सिलिकॉन वैली, बेंगलुरु नगर से हैं आप अपने शब्दों में दुनिया भर में इस नगर की विशेषता के बारे में आप अपने शब्दों में हमारे दर्शकों और पाठकों को बताइये?
=> मैं इस शहर को 45 वर्षों से जानता हूं। जितना सहिष्णु, नागरिक सुविधाओं और नियमों का पालन करने वाला यह शहर हुआ करता था , वो अब नहीं रहा। आधुनिकता का दानव इसे लील गया है। शांति प्रिय प्रकृति का यह शहर अब शोर शराबे और ट्रैफिक की भूल-भुलैया में फंस कर उसी राह पर चल पड़ा है जिस पर पूर्व में कलकत्ता और उत्तर में कानपुर जैसे शहर जा चुके हैं।
प्रश्न 3. जोशी जी, साहित्य के प्रति आपका रुझान कैसे हुआ और आपकी प्रथम साहित्यिक रचना कौन सी है?
=> पढ़ने के शौक ने लिखने के लिए प्रेरित किया।घर पर सबने इसे प्रोत्साहित किया। पहली प्रकाशित कहानी ‘ पासा पलट गया थी’ जो लखनऊ से प्रकाशित होने वाले दैनिक अखबार ‘ स्वतंत्र भारत ‘ के रविवारीय परिशिष्ट में 1968 में प्रकाशित हुई थी। उससे पूर्व स्कूल की वार्षिक पत्रिकाओं में भी मेरी रचनाएं स्थान पा चुकी थीं।
प्रश्न 4. जोशी जी, आप लंबे समय से व्यवसायिक गतिविधियों में संलग्न हैं ऐसे में आप साहित्यिक गतिविधियों, सामाजिक जीवन, एवं व्यवसायिक गतिविधियों के मध्य संतुलन कैसे बनाते हैं?
=> नौकरी के दौरान मेरा लिखना लगभग बंद रहा। 1986-87 में ज़रूर कुछ एक रचनाएं वाराणसी के पत्र ‘ आज’ में छपीं लेकिन वो पूर्व की लिखी हुई थीं। इसी दौरान मेरे बैंक की हाउस मैगज़ीन ‘ द टेलर’ में भी 1978-79 के दौरान दो रचनाएं छपीं। यह तो वर्ष 2012 में सेवानिवृत्ति के बाद ही मेरी वास्तविक लेखन यात्रा शुरू हो सकी है।
प्रश्न 5. कमलकांत जी, हमारे पाठक और श्रोता जानना चाहते हैं आपके बचपन का बालविनोद भरा वो किस्सा, जो आपको आज भी याद है और जिसके याद आते ही आपकी बरबस हँसी छूट जाती है।
=> बचपन में जब हम भाई बहन घर पर ही खेल रहे होते थे तो हर बार हमारी बहन ही हमारी शरारतों का शिकार होती थी। बचपन में ही क्यों कुछ बड़े हो जाने पर तरुणाई तक यह जारी रहा। उसके खाने पर हमारी टिप्पणियां रहती थीं क्योंकि उसकी खुराक अपनी वय से कुछ अधिक थी। और शायद इसलिए भी कि उसके स्कूली जीवन की शुरुआत में मुझे कई बार अपनी कक्षा छोड़ कर उसे घर पहुंचाने जाना पड़ता था जो बड़ी ही झेंपू स्थिति थी। मैं कक्षा में पढ़ रहा हूं और एक अध्यापिका मेरी बहन का हाथ पकड़े आ खड़ी हुई है और कह रही है कि तुम्हारी बहन रो रही है इसे घर छोड़ आओ। आज वो सब याद कर के हंसी आती है।
प्रश्न 6. आप के गृह नगर के अतिरिक्त कौन सा ऐसा स्थान है जो आपको सबसे अधिक रूचिकर लगता है और क्यों?
=> भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी वाराणसी। अलमस्त और अपने में व्यस्त नगरी और वहां के लोग। गली गली में रचा-बसा इतिहास। खान-पान की विविधता और नगर में मौजूद रांड, सांड, सीढ़ी और सन्यासी।
प्रश्न 7. कमलकांत जी, यूँ तो एक लेखक और कवि के लिए अपनी सभी रचनाएं बहुत प्रिय होती हैं। फिर भी हम आपकी सबसे प्रिय कविता के बारे में जानना चाहेंगे?
=> मुझे निराला की कुकुरमुत्ता और बच्चन की मधुशाला प्रिय हैं। मेरी अपनी कविताएं बस यूं ही हैं। मैं उन्हें ज़्यादा भाव नहीं देता।
प्रश्न 8. आप अपने लेखन के लिए प्रेरणा कहां से प्राप्त करते हैं?
=> प्रेरणा स्वत:जागृत है। कोई विशेष प्रेरणा स्रोत नहीं है । हां , कुछ पाठकों ने मेरी रचनाएं पसंद कीं और वे ही मेरे प्रेरणा स्रोत बने हैं।
प्रश्न 9. आप की दृष्टि में साहित्य क्या है और ये किस प्रकार समाज के लिए उपयोगी हो सकता है?
=> साहित्य समाज का दर्पण है, यह यूं ही नहीं कहा जाता लेकिन जो साहित्य समाज को दर्पण दिखाने का काम करता है और उसे सही मार्ग दिखाता है,वह कालजयी बन जाता है।
प्रश्न 10. जोशी जी, आपने विविध पत्र पत्रिकाओं के लिए सृजन किया है। हमारा प्रश्न यह है कि जब आपकी पहली रचना प्रकाशित हुई तब आपको कैसी अनुभूति हुई?
=> ” कुछ लेना न देना मगन रहना” , मेरी मनोदशा प्रायः इसी तरह की रहती आई है। कुछ प्रसन्नता तो थी लेकिन अपने आपको विशिष्ट समझ लेने की भूल मैंने कभी नहीं की।”
प्रश्न 11. कमलकांत जी, आपने अब तक के लंबे सामाजिक जीवनकाल में बहुत से पुरुस्कार प्राप्त किये हैं। आप अपनी इन उपलब्धियों को कैसे देखते हैं? क्या आप प्रफुल्लित हैं?
=>
“सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं”
अभी तक ऐसा कोई पुरस्कार नहीं मिला जिस पर मैं उछल कर खड़ा हो जाऊं। बुकर प्राइज या नोबेल पुरस्कार से कम पर ऐसी प्रतिक्रिया की कोई उम्मीद नहीं है।
प्रश्न 12. आपको सृजन के लिए सबसे सहज और उपयोगी विधा कौन सी लगती है?
=> गद्य : कहानी
प्रश्न 13. क्या आप किसी एक ऐसे एतिहासिक पात्र को अपने दृष्टिकोण से उकेरने का प्रयास करेंगी, जिसको आपके दृष्टिकोण से इतिहास के पन्नों में स्थान नहीं मिला है अथवा एतिहासिक परिप्रेक्ष्य में उनके साथ न्याय नहीं हुआ है, यदि हां तो वह कौन हैं ?
=> अश्वत्थामा, औरंगजेब
प्रश्न 14. जोशी जी, साहित्यिक परिशिष्ट में आप आज के लेखकों और कवियों का क्या भविष्य देखते हैं?
=> मैं भविष्यवक्ता बनना पसंद नहीं करूंगा लेकिन कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उदय के साथ लेखकों और कवियों के बुरे दिन दूर नहीं हैं।
प्रश्न 15. लेखन के अतिरिक्त ऐसा कौन सा कार्य है, जो आप को विशेष प्रिय है?
=> पढ़ना और घूमना
प्रश्न 16 जोशी जी, आपके दृष्टिकोण में क्या कविताओं में भावपक्ष एवं कलापक्ष का संतुलन होना आवश्यक है? यदि हां तो क्यों? अथवा प्रवाह के साथ रचना सृजन में इस संतुलन को पीछे छोड़ा जा सकता है, यदि हां तो क्यों?
=> आप पीटी और नृत्य में अंतर समझ सकते हैं। शास्त्रीय नृत्य और लोक नृत्य में अंतर है। आप कलापक्ष पर अधिक ध्यान देंगे तो काव्य शास्त्रीय नृत्य की तरह हो जाएगा जिसके सीमित गुणग्राहक होंगे और भाव पक्ष प्रबल होने पर वह जन प्रिय ,लोक प्रिय हो जाएगा। व्याकरण और छंदों की कठोर बंदिश वाला काव्य मेरी नज़र में एक तरह से पी टी व्यायाम है जो सेहत के लिए अच्छा तो है लेकिन जिसमें नृत्य जैसा लास्य भाव नहीं होता।
प्रश्न 17. जोशी जी, काव्य लेखन की एक विधा है मुक्तक, आप काव्य लेखन की विविध विधाओं के ज्ञाता हैं। आप मुक्तक विधा के संदर्भ में हमारा ज्ञानवर्धन कीजिए?
=> मैं कवि नहीं हूं और कवि हृदय तो कतई नहीं। फिर भी मेरी काव्य की मुक्तक विधा के पक्ष में राय है। प्रबंध काव्यों के दिन लद गए। कहानी ही कहनी है तो गद्य में क्यों नहीं?
प्रश्न 18. जोशी जी, वर्तमान समय को सोशल मीडिया का समय कहा जाता है ऐसे में आप साहित्य के क्षेत्र में सोशल मीडिया की भूमिका देखते हैं?
=> आज सोशल मीडिया है। कल कुछ और था , कल कुछ और होगा।ये “कुछ और” फैक्टर कमज़ोर रचनाओं को भी कुछ समय के लिए आसमान पर चढ़ा देता है लेकिन लंबे समय में सबके साथ न्याय हो जाता है।
प्रश्न 19. जोशी जी, श्री राधा गोपीनाथ बाबा की प्रमुखता में चल रहे कल्पकथा परिवार तीन वर्ष पूरे करते हुए अपना स्थापना मास मना रहा है। आप इस परिवार के वरिष्ठ सदस्य हैं। आपके कल्पकथा परिवार के साथ अनुभव क्या और कैसे हैं?
=> सच कहूं तो मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि मुझे कल्पकथा परिवार इस महत्वपूर्ण अवसर पर यह मौका देगा। इस परिवार से मैं परिचित तो अवश्य था और यदा-कदा इसकी गतिविधियों की जानकारी भी लेता रहता था लेकिन मेरी सहभागिता इस दौरान बहुत कम रही है। इस मौके पर मैं एक सवाल करना चाहता हूं कि वह क्या चीज़ है जो आपको यह महती कार्य करने की प्रेरणा दे रहा है? देखते – देखते तीन वर्ष बीत गए।
प्रश्न 20. आप अपने पाठकों, दर्शकों और समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं?
=> सुषुप्ता अवस्था में मत रहिए । जागरूक बनिए ।
राबर्ट फ्रास्ट से उधार लिए शब्दों में आप सबको संदेश है:-
अरे, अभी तो मीलों तुम को मीलों तुम को चलना है ।
▶️ “!! कार्यक्रम को कल्पकथा के यूट्यूब चैनल पर देखने के लिए लिंक पर जाएं। !!” ▶️
https://www.youtube.com/live/_gxT3gVHaFc?si=WS3HgVumvrhMKN01
✍🏻 प्रश्नकर्ता ; कल्पकथा प्रबंधन
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