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!! “व्यक्तित्व परिचय : डॉ ओमकार साहू “मृदुल” जी” !!

!! “व्यक्तित्व परिचय” !!

 

 

 

 

!! “मेरा परिचय” !!

 

 

नाम :- डॉ०ओमकार साहू *मृदुल*

 

माता/पिता का नाम :- स्व० पी०एल० साहू

 

जन्म स्थान एवं जन्म तिथि :- उकवा, बालाघाट, मध्यप्रदेश

 

पत्नी का नाम :- श्रीमती चंद्रा साहू *चर्चित*

 

बच्चों के नाम :- 1. लक्ष्य कुमार साहू

                       2. डोली साहू

 

शिक्षा :- BEMS, BSc., DMRT

 

व्यावसाय :- नौकरी 

 

वर्तमान निवास :-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रेमनगर,नगर पंचायत प्रेमनगर,जिला- सूरजपुर, छत्तीसगढ़

 

आपकी मेल आई डी :- 2oksahu@gmail. कॉम

 

आपकी कृतियाँ :-

01. काव्यपथ मृदुल(एकल संग्रह)

02. छंदबद्ध भारत का संविधान (प्रमुख संपादक)

03. सिविचार पर चर्चित दोहे (संपादक)

04. अन्य 16 साझा संग्रह

 

आपकी विशिष्ट कृतियाँ :- छंदबद्ध भारत का संविधान, काव्यपथ मृदुल

 

आपकी प्रकाशित कृतियाँ :-उपरोक्त

 

पुरूस्कार एवं विशिष्ट स्थान :- छंदबद्ध भारत का संविधान हेतु गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड से सम्मानित एवं विकास क्षेत्रीय विधायक कीर्तिमान प्रमाणपत्र, स्मृति चिन्ह, अन्य 38 भिन्न शीर्षकों से संम्मानित।

 

 

 

 

!! “मेरी पसंद” !!

 

 

उत्सव :- होली

 

भोजन :- शाकाहारी

 

रंग :- पीला

 

परिधान :- धोती-कुर्ता

 

स्थान एवं तीर्थ स्थान :- उकवा, ओंकारेश्वर

 

लेखक/लेखिका :- पदुमलाल पुन्नालाल बक्शी, महादेवी वर्मा

 

कवि/कवयित्री :- कबीरदास जी, मीरा बाई

 

उपन्यास/कहानी/पुस्तक :- काव्य और प्रेरणात्मक पुस्तकें

 

कविता/गीत/काव्य खंड :- रामायण, काव्यपथ मृदुल

 

खेल :- बैडमिंटन, क्रिकेट, कैरम, फुटबाल

 

फिल्में/धारावाहिक (यदि देखते हैं तो) :-बागबान, स्वर्ग, मिशन मंगल

परमाणु

आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :- 

 

★03. =#=यार पुराने दे दो=#= ★

 

*महके माटी के आँगन घर, द्वार पुराने दे दो।…*

*लौट सके दिन बचपन वाले,यार पुराने दे दो।।…*

1.

कभी पिताजी घोड़ा बनते, चढ़े पीठ राजा थे।

ढोल समझकर हमें बजाते, मन 1प्रिय हम बाजा थे।।

*बाँट रोटियाँ खाते हिस्सेदार पुराने दे दो।…*

*लौट सके दिन बचपन वाले,यार पुराने दे दो।।…*

2.

मीठी दही चटाकर घर से, मात विदाई देती।

मामूली सी चोट लगे तो, आँचल में भर लेती।।

*दादी नानी के किस्सों का, प्यार पुराना दे दो।…*

*लौट सके दिन बचपन वाले,यार पुराने दे दो।।…*

3.

कागज के फिर नाव बनाकर, बहते पानी छोड़ें।

आग जलाएँ फिर पत्थर से, आम इमलियाँ तोड़े।।

*जामुन तेंदू तूत रसीले, चार पुराने दे दो।…*

*लौट सके दिन बचपन वाले,यार पुराने दे दो।।…*

4.

बचपन के बस्ते में होता,खुशियों भरा खजाना।

बेर इमलियाँ बिही छिपाकर, मिर्च नमक चट खाना।।

*गिल्ली डंडे कंचों के इतवार पुराने दे दो।…*

*लौट सके दिन बचपन वाले,यार पुराने दे दो।।…*

5.

टी व्ही में रामायण चलता,कूद फाँद कर जाते।

राम-सिया रावण बनते हम, नकली तीर चलाते।।

*कृष्ण-राधिका पुनः बनें श्रृंगार पुराने दे दो।…*

*लौट सके दिन बचपन वाले,यार पुराने दे दो।।…*

★★★★★★★★★★★★★★★

 

 

 

 

!! “कल्पकथा के प्रश्न” !!

 

प्रश्न 1. मृदुल जी, सबसे पहले हम आपके पारिवारिक एवं साहित्यिक परिवेश के बारे में जानना चाहते हैं।

 

मृदुल जी :-  मेरे परिवार में पाँच सदस्य हैं माताश्री को छोड़कर हम पति-पत्नी और बच्चे भी छंद लेखन कार्य करते हैं।

 

 

प्रश्न 2. साहित्य जगत से आपका परिचय कब और कैसे हुआ?

 

मृदुल जी :-  छिटपुट लेखन कला को सहेजने का समय कोरोनाकाल ने प्रदान किया और प्रेरक बनीं पुनः चंद्रा साहू चर्चित जी।

 

 

 

प्रश्न 3. मृदुल जी, कल्पकथा के इस भेंटवार्ता कार्यक्रम में हम हिन्दी साहित्य के साहित्यकार की रुचि अभिरुचि को वार्ता के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं, आप इस कार्यक्रम को कैसे देखते हैं? क्या आप उत्साहित हैं? 

 

मृदुल जी :-  सार्वभौमिक कहना चाहूँगा…

      न केवल अनेक अपरिचित सृजनकारों को मंच के माध्यम से लेखन कला का साहित्य जगत से परिचय कराना बल्कि उनके सभी पक्षों से परिचय करवाता यह उम्दा कार्यक्रम है।असीम शुभकामनाएँ समस्त सिपहसालारों को।

 

 

 

प्रश्न 4. मृदुल जी, आप मूल रूप से छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले से हैं। इस नगर की विशेषता के बारे में आप अपने शब्दों में हमारे दर्शकों और पाठकों को बताइये। 

 

मृदुल जी :-  नैसर्गिकता से परिपूर्ण प्रकृति की गोद में स्थित। एक ओर जिसे माता कुदरगढ़ी का आशीर्वाद प्राप्त है, वहीं दूसरी ओर काले सोने अर्थात कोयले की खदानें ऊर्जा के भंडार बढ़ाते है।

 

प्रश्न 5. मृदुल जी, हमारे पाठक और श्रोता जानना चाहते हैं आपके बचपन का बालविनोद भरा वो किस्सा, जो आपको आज भी याद है और जिसके याद आते ही आपकी बरबस हँसी छूट जाती है।

 

मृदुल जी :- रंगमंच में नाटक करने वाली वह शाम….

 

 

प्रश्न 6. मृदुल जी आप व्यावसायिक क्षेत्र में रेडियोटेक्नोलॉजिस्ट हैं। अपने इस कार्य के बारे में कुछ बताइये। साथ ही हम आपकी एक कविता भी सुनना चाहेंगे। 

 

उ० रेडियो अर्थात विकिरण जैसे(UV, X-Rays)

कविता भी पेश है…

 

 

 

प्रश्न 7. आप के गृह नगर के अतिरिक्त कौन सा ऐसा स्थान है जो आपको सबसे अधिक रूचिकर लगता है और क्यों?

 

मृदुल जी :-  खेल का मैदान…जहाँ मित्रमिलन होता है, खेल मन और चित्त को शांति प्रदान करता है।

 

 

 

प्रश्न 8. मृदुल जी, आपने अपनी पुस्तक “काव्यपथ मृदुल मौलिक छंदगीत” की चर्चा की है। अपनी इस पुस्तक के बारे में कुछ बताइये। 

 

मृदुल जी :-  तात्कालिक

 

 

 

प्रश्न 9. आप अपने व्यक्तिगत व्यवसाय और लेखन में कैसे सामंज्य बिठाते हैं? 

 

मृदुल जी :- छोटे-छोटे कालखंडों का सदुपयोग कर।

 

 

 

प्रश्न 10. आप की दृष्टि में साहित्य क्या है और ये किस प्रकार समाज के लिए उपयोगी हो सकता है?

 मृदुल जी :- 

दे सकता ऊर्जा दिशा, जनमानस साहित्य।

जैसे करता अनवरत, अम्बर का आदित्य।।

 

प्रश्न 11. मृदुल जी, आपने “संविधान पद्यानुवाद” का संपादन किया है। ये क्या है और इसमें किस प्रकार की रचनायें हैं?

मृदुल जी :-  समस्त अनुच्छेदों का दोहा और रोला छंद में सरलीकरण का प्रयास।

 

प्रश्न 12. मृदुल जी, आपने अब तक बहुत से पुरुस्कार प्राप्त किये हैं। आप अपनी इन उपलब्धियों को कैसे देखते हैं? क्या आप प्रफुल्लित हैं? 

मृदुल जी :-  

प्रतिबिम्ब देखे वहीं, जहाँ नीर हो शांत।

कलकल बहती धार ही, होती है संभ्रांत।।

 

प्रश्न 13. आपने बहुत से साँझा संकलन निकाले हैं। उनमें हम आपकी सबसे प्रिय कविता सुनना चाहेंगे। 

मृदुल जी :-  जी, अवश्य तात्कालिक

मुक्तक से…

 

 

प्रश्न 14. आप अपने समकालीन लेखकों एवं कवियों में किन से अधिक प्रभावित हैं?

 

उ० कुमार विश्वास जी से

 

 

 

प्रश्न 15. मृदुल जी, आप इतने प्रसिद्ध कवि हैं। बहुत सी विधाओं में काव्य सृजन करते हैं। फिर भी आपको काव्य के कौन से रस में लिखना अधिक रूचिकर लगता है? 

 

मृदुल जी :- विषय के अनुसार छंदों का चयन होता है। गीतिका और पञ्चचामर…

 

 

प्रश्न 16. मृदुल जी, साहित्यिक परिशिष्ट में आप आज के लेखकों और कवियों का क्या भविष्य देखते हैं?

 

मृदुल जी :- समसामयिकता के विषयों को जनमानस तक पँहुचाए, भविष्य सुंदर होगा।।

 

 

प्रश्न 17. लेखन के अतिरिक्त ऐसा कौन सा कार्य है, जो आप को विशेष प्रिय है? 

 

मृदुल जी :- खेल

 

 

 

प्रश्न 18. मृदुल जी, आप चिकित्सा क्षेत्र में तकनीकी से सम्बंध रखते हैं। ऐसे में साहित्य सृजन की डगर पर चलना कैसे सम्भव हुआ?

 

मृदुल जी :- 

चलना दुष्कर है सदा, रखकर दो पग नाव।

संभव उस परिवार में, जहाँ प्रेम का भाव।।

 

 

 

प्रश्न 19. मृदुल जी, आपके दृष्टिकोण में क्या कविताओं में भावपक्ष एवं कलापक्ष का संतुलन होना आवश्यक है? यदि हां तो क्यों? अथवा प्रवाह के साथ रचना सृजन में इस संतुलन को पीछे छोड़ा जा सकता है, यदि हां तो क्यों?

 

मृदुल जी :-  भावपक्ष और कलापक्ष को छोड़ना अर्थात मेरे दृष्टिकोण से बिना अपरिपक्वता का प्रदर्शन।

 

 

प्रश्न 20. मृदुल जी, श्री राधा गोपीनाथ बाबा की प्रमुखता में चल रहे कल्पकथा परिवार एवं हमारे कल्प प्रमुख के कार्यों को देख ही रहे हैं। क्या आपको लगता है कि ये कार्य समाज और साहित्य के हित में हैं? साथ ही हम जानना चाहेंगे आप इससे कितनी प्रभावित हैं? 

 

मृदुल जी :- शत प्रतिशत

 

 

 

प्रश्न 21. आप अपने पाठकों, दर्शकों और समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं?

 

मृदुल जी :-

कहते समयाभाव है, चलते-फिरते लोग।

समय नहीं मत बोलना, करिए सदुपयोग।।

✍🏻 भेंटवार्ता : डॉ ओमकार साहू “मृदुल” 

 

तो ये थे डॉ ओमकार साहू मृदुल जी, इनके बारे में अधिक जानकारी के लिए आप इन्हें कल्पकथा के यू ट्यूब चैनल पर मिल सकते हैं। लिंक नीचे है : 👇 

 

https://www.youtube.com/live/cqC_QpCeCWs?si=kJccloxESKtGXdtF

 

मिलते हैं अगले सप्ताह एक और साहित्यकार के साथ। तब तक के लिए हमें आज्ञा दीजिये। 

राधे राधे 🙏 🌷 🙏 

✍🏻 लिखते रहिये,  📖  पढते रहिये और 🚶 बढते रहिये 🌟 

 

✍🏻 कल्पकथा परिवार

 

 

कल्प भेंटवार्ता

One Reply to “!! “व्यक्तित्व परिचय : डॉ ओमकार साहू “मृदुल” जी” !!”

  • पवनेश

    राधे राधे, आदरणीय डॉ ओमकार साहू मृदुल जी के साथ भेंटवार्ता कार्यक्रम अत्यंत आनंददायक रहा। सादर 🙏

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