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व्यक्तित्व परिचय श्रीमती शिवा सिंघल जी

!! “व्यक्तित्व परिचय” !!*

*!! “मेरा परिचय” !!*

नाम :- शिवा सिहंल आबुरोड

पिता/श्रीं मदनलाल जी
माता का नाम :- श्री कैलाशी देवी।

जन्म स्थान एवं जन्म तिथि 20/ 3/60
:-जन्म स्थान,,, नीमच

पति का नाम :-श्रीराजेंद्रकुमार जी सिंहल

बच्चों के नाम :-राहुल,, आशीष, बिटिया पुजा

शिक्षा :- एम ए

व्यावसाय :- स्कूल यूनिफॉर्म

वर्तमान निवास :-आबुरोड

मेल आईडी :- shivasinghal1960@gmail.com

आपकी कृतियाँ :-

आपकी विशिष्ट कृतियाँ :-

आपकी प्रकाशित कृतियाँ :- कई पत्रिका में एवं अन्य मित्रों के सांझा संकलन में रचना प्रकाशित हुई

पुरूस्कार एवं विशिष्ट स्थान :-1 समाज द्वारा, स्कूल मे डिवेड में, लायंस क्लब से भी वाद-विवाद प्रतियोगिता में, अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन कोलकता से निबंध प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान। नगर पालिका परिषद बनने पर समाज से इनाम, और भी मिलें हैं।

*!! “मेरी पसंद” !!*

उत्सव :- दीपावली ,,गणगौर,

भोजन :-सात्विक भोजन

रंग :-लाल व मेहरून

परिधान :-साधारण वेशभूषा

स्थान एवं तीर्थ स्थान :-स्थान बेंगलुरु,, तीर्थ स्थान जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम,

लेखक/लेखिका✓ :-शिवा सिंहल

कवि/कवयित्री :-शिवा सिंहल

उपन्यास/कहानी/पुस्तक :-नही

कविता/गीत/काव्य खंड :-नही

खेल :-छुपा छुपी, बैडमिंटन

मूवीज/धारावाहिक (यदि देखती हैं तो) :-
मिश्री धारावाहिक मूवी हम साथ साथ है।

आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :– जी हां मीठी दवाई होते हैं जंवाई।

चाय की प्याली फोटो से जो लगा डाली

*!! “कल्पकथा के प्रश्न” !!*

प्रश्न 1. शिवा जी, सबसे पहले आपके व्यक्तिगत एवं साहित्यिक परिवेश के बारे में हमें बताइये।

श्रीमती शिवा सिहंल जी ,,, सादा जीवन उच्च विचार रखने वाली एक साधारण गृहणी हूं। लिखना मेरा शौक है साहित्य में मेरी रुचि काफी समय से है।

प्रश्न 2. शिवा जी, कल्पकथा के इस भेंटवार्ता कार्यक्रम में हम हिन्दी साहित्य के साहित्यकार की रुचि अभिरुचि को वार्ता के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं, आप इस कार्यक्रम को कैसे देखती हैं? क्या आप उत्साहित हैं?

श्रीमती शिवा सिहंल जी ,,,,,।बाबा गोपीनाथ की कृपा मेरी कलम पर बरसीं उन्होंने अपने मंच पर मुझे अपने विचार रखने का अवसर दिया । एक कवि है लेखक को उसकी पहचाने के लिए एसी भेंट वार्ता है होनी चाहिए जिससे इंसान अपने मन की बात कह सके और अपने आप को एक स्वतंत्र लेखक महसूस कर सके। मुझे बहुत खुशी है पहली बार मेरा यह अवसर है उम्मीद करती हूं कि आपके सभी प्रश्नों का उत्तर दे सकूं और बाबा गोपीनाथ का आशीर्वाद ले सकूं। मैं कितनी खुश हूं बता पाना बहुत मुश्किल है जब हमारी भेंट वार्ता होगी तब आप देखेंगे कि मन में कितना उत्साह है।

प्रश्न 3. शिवा जी, आप एतिहासिक, धार्मिक, साहित्यिक एवं पर्यटन के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण नगर माउंट आबू की रहने वाली हैं। इस नगर के बारे में अपने शब्दों में कुछ बताइये।

श्रीमती शिवा सिहंल जी,, माउंट आबू एक पर्यटक स्थल है। यहां दूर-दूर से सेलानी देखने आते हैं और बहुत ही आनंद का अनुभव करते हैं ।यहां देखने के लिए नक्की लेख, दिलवाड़ा मंदिर, गुरु शिखर, पीस पार्क ,सनसेंट पॉइंट यूं तो दो दिन भी कम पड़ते हैं ।यदि हम अपने साधन द्वारा जाए तो 1 दिन में मुख्य-चीज देख सकते हैं और माउंट आबू की छटा का आनंद उठा सकते हैं ।

प्रश्न 4. शिवा जी, हमने सुना है कि आपकी साहित्यिक यात्रा किन्ही विशेष परिस्थितियों के कारण बीच में रुक गई थी। साहित्यिक क्षेत्र में वापसी करने पर आपके अनुभव कैसे रहें? आपकी रचनाओं को कैसा प्रतिसाद मिला?

श्रीमती शिवा सिहंल जी,,, मेरी रचनाओं का सफर 74 से शुरू हुआ और 87 से बंद हो गया था। भविष्य में कभी सोचा ही नहीं था कि पुनः कलम से मेरी पहचान होगी। फिर मेरे दामाद द्वारा 2020 जनवरी से पुनः कलम की पहचान हुई। कुछ नई ऊर्जा कुछ नया अनुभव मिला । जिसे शब्दों में बयां करूं उतना कम है। इसीलिए आज आपके सामने खड़े हम हैं।

प्रश्न 5. शिवा जी, आपने अपनी साहित्यिक यात्रा के अंतर्गत अन्यान्य मंचों से जुड़कर उनको गौरवान्वित किया है। यहां हम उस पहले मंच के बारे में जानना चाहेंगे जिसको आप अपनी साहित्यिक यात्रा की प्रथम सीढ़ी मानती हैं।

5,श्रीमती शिवा सिहंल जी,,अनकहे अल्फाजों का सफ़र से मेरी क़लम कि शुरुआत हुई।इसी मंच से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। यही मंच मेरे जीवन की पहली सीढ़ी है। फिर धीरे-धीरे में अन्य मंचों से जुड़ती गई।

प्रश्न 6. आप अपनी अन्य विशिष्ठ प्रतिभाओं के साथ-साथ एक विशिष्ट सृजन की शैली मिश्रित कवियत्री के रूप में पहचान रखती हैं। आपकी अब तक की साहित्यिक यात्रा कैसी रही? साथ ही हम आपकी कोई एक कविता सुनना चाहेंगे।

6,श्रीमती शिवा सिहंल जी,,, 2020 से अब तक कि मेरी साहित्यिक यात्रा बहुत अच्छी रही। उम्मीद से ज्यादा हर मंचों से सम्मान और एक नई पहचान मिली। जिससे कलम को लिखने की एक नई ऊर्जा मिली ।

रचना ,,तुझे पीपल के पत्ते पर
रोज एक खत लिखती पिया।
ज़मीं पे लगातीं थी तेरे नाम का तकिया।

प्रश्न 7. शिवा जी, कहते हैं बचपन सदैव मनोहारी होता है। हम जानना चाहेंगे आपके बचपन का बाल विनोद भरा वो किस्सा, जो आपको आज भी मुस्कुराने पर विवश कर देता है।

7,श्रीमती शिवा सिहंल जी,, बचपन के उन सुनहरी पलों को कैसे भूल सकती हूं। एक राज की बात में आपको बताती हूं कि मेरा बचपन इन्हीं के साथ बिता साथ में हम बहुत खेले, पता नहीं था भविष्य में ये खेल ही, एक जिंदगी का सुहाना सफर बन जाएगा । और यह बचपन हाथ पकड़ कर मुझे आबू ले आएगा। तभी तो मैं शान से कहतीं हूं कि,,,🤑🤑🤑
*”बचपन का मेरा यार है ,बड़ा दिलदार है, जो मुझे करता दिलो जान से प्यार है।”*

 

प्रश्न 8. समय परिवर्तनशील है। स्वाभाविक है कि साहित्य जगत में भी परिवर्तन होते रहते हैं। आप इन परिवर्तनों को किस रूप में देखती हैं?

8,श्रीमती शिवा सिहंल जी,, जीवन में सदा धूप छांव सा परिवर्तन आता है यह परिवर्तन हीं हमें जिंदगी में एक नया सबक दे जाता है।
साहित्यिक जगत के परिवर्तन से कभी घबराना नहीं चाहिए निराशा ही एक आशा उत्पन्न करती ‌। बस आगे बढ़ते रहने का लक्ष्य लेकर चलते रहना चाहिए।

 

प्रश्न 9. आप आज के समय के किस लेखक या कवि से सबसे अधिक प्रभावित हैं?

 

9,श्रीमती शिवा सिहंल जी,,, आरती झा ,अजब सिंह, विष्णु शर्मा राधा दीदी अन्य,,सडनली तो किसी एक के लिए नहीं कह सकतीं लेकिन मुझे कुछ मंच के एडमिन के एटीट्यूड उनके व्यवहार ने मेरे मन में बहुत कचोटा फिर मेरे मन को उन्होंने लिखने व आगे बढ़ने के जूनून को उकसाया है।

प्रश्न 10. शिवा जी, हम आपका वो अनुभव जानना चाहेंगे, जब आपको लेखन क्षेत्र में पहला पुरुस्कार मिला?

 

श्रीमती शिवा सिहंल जी,, दैनिक पत्रिका में मेरी रचनाएं छपती थी मेरे ससुर जी लेकर जाते थे दैनिक पत्रिका वाला हमें कुछ राशि या पुरस्कार देते थे ।1985 कि बात है मेरे ससुर जी लेकर के आए थे कि शिवा ये 1100₹ तुम्हें पत्रिका वाले ने दिए हैं। घर में सभी को खुशी हुई मुझे भी खुशी हुई कि मुझे पहला ईनाम मिला है।

 

प्रश्न 11. आज चारों ओर सोशल मीडिया का प्रभाव आप देखती होंगी। साहित्य जगत में सोशल मीडिया का प्रभाव आप किस रुप में देखती हैं?

 

श्रीमती शिवा सिहंल जी,, हमारी रचना को आगे बढ़ाने में सोशल मीडिया भी एक सीढ़ी होती है। कोई माने या ना माने लेकिन मेरी राय में सोशल मीडिया साहित्यिक जगत में होना आवश्यक है । सोशल मीडिया द्वारा ही हमें पत्रिकाओं में रचना ऑनलाइन ऑफलाइन के अवसर मिलते हैं।

 

प्रश्न 12. शिवा जी, आजकल रचनाओं में भाषागत सम्मिश्रण बहुत अधिक हो गया है। इस भाषागत मिश्रण को लेकर आपके क्या विचार हैं? साथ ही हम आपकी वो कविता भी सुनना चाहेंगे, जो आपको विशेष प्रिय हो।

 

श्रीमती शिवा सिहंल जी,,, भाषा जगत में सम्मिश्रण भाषा का होना भी जरूरी है। हमें हर भाषा लिखने की समझने की एक अनुभूति होती है और लोगों को पढ़ने में भी आसानी होती इसलिए भाषाओं में मिश्रित भाषा का होना आवश्यक है।

*फिर तुझे प्यार भरा खत लिखूं मैं पिया*,
*जिसे पढ़ते ही धड़के तेरा जिया।*

 

प्रश्न 13. शिवा जी, आपने बताया कि आप अपने विद्यालय व महाविद्यालय के समय से लिखती आ रही हैं। आपकी पहली रचना कौन सी थी और उसे दर्शकों को कैसा प्रतिसाद मिला।

 

श्रीमती शिवा सिहंल जी,, कॉलेज में मैं छोटी-छोटी शायरियां जोक्स वगैरा अपने मित्रों के साथ बैठकर सुनाया करती थी। कभी-कभी हम कैंटीन में जाते हैं तभी मेरे मित्र बहुत शौक से मेरी शायरियां सुना करते थे। जिस दिन मैं कॉलेज नहीं जाती उस दिन वो कहते यार चाय फीकी लग रही है पकोड़े में वह टेस्ट नहीं जो उसकी बातों की मिठास से आता है।
सर्वप्रथम मेरी रचनाएं लेख से शुरू हुई हमारे समाज की पत्रिकाओं में हिम्मत करके मैने भी एक लेख लिखकर भेजा काफी लोगों ने उस लेख की सराहना कि हर साल वो आगे होकर मुझसे कहते हैं एक रचना भेजना बेटा।

प्रश्न 14. काव्य विधा का आठ रसों में सृजन होता है। आप काव्य के कौन से रस में लिखना अधिक पसंद करती हैं?

 

श्रीमती शिवा सिहंल जी,, आदरणीय वैसे तो मेरी कलम हाजी जवाब है । हर रस में लिखने की कोशिश करती है। फिर भी कभी हास्य और कभी प्रेम पर ही ज्यादा ही लिखी जाती है।

 

प्रश्न 15. कहते हैं लेखन तभी सार्थक होता है, जब वो देशहित में कार्य करे। आप अपने लेखन को इस विचार के अनुसार कितना सफल मानती हैं?

 

श्रीमती शिवा सिहंल जी,,, सच में हमारा लेखन देश के हित में हो किसी प्रकार से कडवाहट ना हो। हमारे लेखन में राजनीति नहीं होनी चाहिए । किसी प्रकार की किसी पर छींटाकशी ना हो। मैं उम्मीद करती हूं कि कम से कम 85% तक सफल रहना चाहिए।

प्रश्न 16. शिवा जी, आप रचनाएँ किसी माँग (विषय/परिस्थिति) पर सृजित करना पसंद करती हैं या फिर स्वत: स्फूर्त सृजन को प्राथमिकता देती हैं?

श्रीमती शिवा सिहंल जी,, स्वत सृजन तो हर कोई लिख लेता है लेकिन विषय और परिस्थिति पर लिखना ही कलम का लक्ष्य होना चाहिए। मेरी राय में वो कलम ही क्या जो किसी विषय पर लिख ना सकें । वो परिस्थितियां ही का क्या शब्दों में बयां न कर सके । वहीं सच्चा कवि है वहीं सार्थक कलम है। ऐसा मेरा मानना है।

 

प्रश्न 17. शिवा जी, आपके दृष्टिकोण में क्या रचनाओं में भावपक्ष एवं कलापक्ष का संतुलन होना आवश्यक है? यदि हां तो क्यों? अथवा प्रवाह के साथ रचना सृजन में इस संतुलन को पीछे छोड़ा जा सकता है, यदि हां तो क्यों?

 

श्रीमती शिवा सिहंल जी,, ऐसा जरूरी नहीं है कि हर वक्त पक्ष एवं कला पक्ष का संतुलन होना जरूरी है कभी-कभी लिखते समय हमें भाव पक्ष को आगे रखना पड़ता है और कला पक्ष कभी-कभी पीछे छूट जाता है क्योंकि दोनों को जोड़ने में रतन का संबंध में सही रूप से प्रस्तुत नहीं हो पता है जो हम कहना चाहते हैं लिखना चाहते हैं दोनों पक्ष का संतुलन बनाने में कुछ और ही लिख जाते हैं कहीं-कहीं दोनों पक्ष संतुलन ठीक है लेकिन हर जगह हर वक्त नहीं ।

 

प्रश्न 18. शिवा जी, आधुनिक युग में काव्य रचनाओं के विष्लेषण के नाम पर तुलना किया जाना कुछ अधिक ही प्रचलित हो गया है, जिससे तुलना के स्थान पर छद्म आलोचना का माहौल बन जाता है। इस छद्म आलोचना का सामना कैसे किया जाना चाहिए?

श्रीमती शिवा सिहंल जी,, हर समस्या का समाधान होता है। हमें यह समझना है की आलोचना किस बात को लेकर हो रही और क्यों हो रही। जब हम यह बात समझ जाते हैं तो आसानी से हम समस्या से निपट सकते हैं यदि हमारे विषय पर टिप्पणी चल रही है तो हमें शांत भाव से जवाब देना चाहिए। हो सकता है हम भी गलत हो सकते हैं । उस समय अपनी अकड़ और अपने एटीट्यूड को तक पर रखना ही समस्या का समाधान है ।

 

प्रश्न 19. लेखन के अतिरिक्त ऐसा कौन सा कार्य है, जो आप को विशेष प्रिय है?

 

,श्रीमती शिवा सिहंल जी,, , समाज सेवा व दूसरो कि मदद करना । गरीब बच्चों को फ्री ट्यूशन सेवा देना मेरा प्रयास रहता था। किसी बच्चे का साल खराब ना हो। सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना। हैंडीक्राफ्ट बहुत पसंद है।
सदा चेहरे पे मुस्कान वाणी में मिठास रखना मेरा काम है। अपने काम से दुसरो को मुस्कुराता देख मुझे बहुत खुशी होती ।

प्रश्न 20. शिवा जी, आप विशिष्ट कौशल सम्पन्न हैं। क्या आपको लगता है कि आपके इस कौशल को अन्य लोगों तक विस्तारित करना चाहिए?

श्रीमती शिवा सिहंल जी,, ,,,जी मेरा सदा प्रयास रहता है कि मेरी कलम को हर कोई पढ़ें। मैं अधिक से अधिक मंच से जुड़कर लोगों तक अपनी रचना को पहुंचाना चाहती हूं। जिससे जो छुपे हुए लोग हैं अभी तक आगे नहीं आए हैं। वह उत्साहित होकर अपनी रचना को आगे प्रेषित कर सके यही मेरा उद्देश्य रहता है।

प्रश्न 21. श्री राधा गोपीनाथ बाबा की प्रमुखता में चल रहे कल्पकथा के कार्यों को तो आप देख ही रहीं हैं। क्या आपको लगता है कि ये कार्य समाज और साहित्य के हित में हैं? साथ ही हम जानना चाहेंगे आप इससे कितनी प्रभावित हैं?

श्रीमती शिवा सिहंल जी,, ,,,, अभी मुझे कुछ भी दिन हुए हैं जुड़े हुए हैं । यह मंच प्रेरणा के रूप में एक मिसाल है । हर एक नए रचनाकार को उनकी टुटती कलम में जान भरने वाला मंच हैं। हम भविष्य में सोच भी नहीं सकते कि हम इतना लिख सकते हैं। मेरी कलम 95% प्रभावित हुई कि ये मंच मुझे पहले क्यों नहीं मिला ऐसा मेरी कलम पुकारती है।

प्रश्न 22. आप अपने पाठकों, हमारे दर्शकों, सभी लेखकों और समाज को क्या संदेश देना चाहती हैं?

 

श्रीमती शिवा सिहंल जी,, ,, में मैं अपने पाठकों एवं दर्शकों को लेखक को एक संदेश देना चाहती हूं कि कभी भी मेरा ना हो, अपनी रचनाओं को कभी किसी को कम नहीं समझते। कई बार होता है कि हमारी रचना अच्छी होती है फिर भी कमेंट नहीं मिलाते हैं। कई बार लोग या तो रचना पढ़तेही नहीं हैं। या फिर नाम के आधार से टिक करते हैं ।
आज नहीं तो कल हमारी रचना को प्राथमिकता अवश्य मिलेगी यही सोचकर लिखते रहेंगे और आगे बढ़ते रहे।

✍🏻 प्रश्नकर्ता : कल्पकथा प्रबंधन

 

कल्प भेंटवार्ता

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