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व्यक्तित्व परिचय :- श्रीमती रजनी कटारे “हेम” जी

व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती रजनी कटारे “हेम” 

!! “मेरा परिचय” !! 

नाम :- श्रीमती रजनी कटारे “हेम”

माता/पिता का नाम :- पं. कैलाश नारायण शर्मा-

स्व. श्रीमती श्यामा शर्मा 

जन्म स्थान एवं जन्म तिथि :- 9/7/56 भोपाल 

पति का नाम :- स्व. डाॅ. मदन कटारे

बच्चों के नाम :- राहुल कटारे, रोहित कटारे

शिक्षा :- एम. ए, बी. एड. (हिन्दी साहित्य)

व्यावसाय :- समाज व साहित्य सेवा

वर्तमान निवास :- जबलपुर म. प्र. 

आपकी कृतियाँ :- करीब 2060 से ऊपर रचनाओं का सृजन

4 पुस्तकें स्वयं की प्रकाशित 

                         2 पुस्तकें प्रकाशाधीन

आपकी विशिष्ट कृतियाँ :- जिंदगी की धूप छाँव, 

                                    काव्य मंजुषा

आपकी प्रकाशित कृतियाँ:-  1-जिंदगी की धूप छाँव

                                      2- काव्य मंजुषा

                                      3- काव्य निकुंज

                                      4- पूर्णिका प्रवाह

                                         प्रकाशाधीन कृति

                                  1- पूर्णिका सुगंध मंजरी

                                  2- प्रभु आराधना (भजन)

पुरूस्कार एवं विशिष्ट स्थान :-

*प्रतिलिपि मंच पर साप्ताहिक और मासिक टाप लेखकों में अनेकों बार प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त हुआ

* राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर पुरुस्कृत रचनाएं…..

* माँ तो माँ होती है- कहानी

* नन्हीं कलियां घर आंगन की-कहानी

* राष्ट्रीय एकता- कहानी

* कमला काकी- कहानी

* रमतो बुआ- कहानी

* कोरोना वारियर्स- थैंक्यू लेटर

* भूली बिसरी यादें- संस्मरण

* का करुं सखि री- बुंदेली काव्य 

* दुल्हन बालिका वधु- बुंदेली काव्य

* जाड़े की ठिठुरन- काव्य 

* बचपन बीत गया- गीत

!! “मेरी पसंद” !! 

भोजन :- सादा 

रंग :- मेहरुन, फिरोजी

परिधान :- साड़ी

स्थान एवं तीर्थ स्थान :- भोपाल, जबलपुर, मथुरा, वृंदावन 

लेखक/लेखिका :- प्रेमचंद

कवि/कवयित्री :- सेनापति, पदमाकर, सुभद्रा कु. चौहान

उपन्यास/कहानी/पुस्तक :- गबन पढ़ा था याद नहीं 

कविता/गीत/काव्य खंड :- सेनापति, पदमाकर, सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएं

खेल :- शतरंज, कैरम, बैडमिंटन

मूवीज/धारावाहिक (यदि देखती हैं तो) :- 

फिलहाल तो कुछ नहीं देख रही- साहित्य में ही रमी हूँ…. 

आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :-

1-कहानी संग्रह- जिंदगी की धूप छाँव

2-कविता संग्रह-काव्य मंजुषा

3-पूर्णिका छंद संग्रह-पूर्णिका प्रवाह

!! “मेरे प्रश्न” !! 

प्रश्न 1. साहित्य के प्रति रुचि कब और कैसे हुई? 

उ- 16/2/20 विपरीत परिस्थितियों में…..

मेरी भाभी शोभा शर्मा ने उस समय मेरा रूख साहित्य की तरफ मोड़ा….. 

2/7/20 से मेरा लेखन प्रारम्भ हुआ…. 

जो आज तक अनवरत जारी है….. 

प्रश्न 2. आपने विभिन्न प्रकार के छंदों का सृजन सीखा है। ये सब सीखने की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली एवं आपका छंद सीखने का अनुभव कैसा रहा? 

उ- साहित्य से जुड़ने के बाद मुझे लगा ओर भी विधाएं सीखना चाहिए- कहानी, लघुकथा, उपन्यास, मुक्तक, घनाक्षरी, हाइकु, सायली, पिरामिड, सुवचन अपने आप ही सीखने की कोशिश करी… 

कुंडलिया और दोहे सीखने का अवसर मिला मुझे कल्पकथा मंच पर वरिष्ठ साहित्यकार आ. रामसाय श्रीवास जीऔर वरिष्ठ लेखिका आ. आशा शुक्ला जी के सानिध्य में…..

जिन्होंने बहुत तन्मयता से हम सभी को सिखाया। 

कल्पकथा मंच का, पवनेश मिश्रा और राधाश्री को

धन्यवाद देती हूँ…. 

उन्होंने छंद सीखने का हमें सुअवसर प्रदान कराया 🙏

प्रश्न 3. आप काव्य और गद्य, दोनों विधाओं में लिखती हैं। आपके लिए दोनों विधाओं में से किस विधा में लिखना अधिक सहज है? 

उ- हाँ जी मैं दोनों ही विधाओं में लिखती हूँ, मुझे तो दोनों ही सहज लगते हैं लेकिन यह जरुर है कि काव्य लिखने में समय नहीं लगता, कहानी, उपन्यास लिखने में तो समय चाहिए….. 

प्रश्न 4. जब आप लिखती हैं तो उसे लिखने के बाद पढती भी होंगी। आप एक पाठक के रूप में अपनी रचनाओं को किस श्रेणी में रखती हैं? 

उ- हाँ लिखने के बाद पढ़ती हूँ यदि कुछ त्रुटि हुई तो ठीक भी कर लेती हूँ….. 

रचनाओं में यदि श्रेणी की बात करी जाए तो मेरी बहुत सारी रचनाएं उत्कृष्ट हैं और कुछ रचनाएं

मध्यम भी हैं….. 

प्रश्न 5. अगले पाँच सालों में साहित्यिक क्षेत्र में आप स्वयं को कहाँ देखती हैं? 

उ- अगले पाँच वर्ष कौन देख पाया, जो मैं देख पाऊँगी? खैर-स्वयं का आकलन करना मुश्किल है, 

ये तो पाठक वृंद ही कर सकते हैं….. 

प्रश्न 6. लगातार होते परिवर्तनों के बीच में आप साहित्य को भविष्य में किस स्वरूप में उच्चतम स्तर पर देखती हैं? 

उ- हर तरह का साहित्य तो लिखा जाता ही है। हाँ, समसामयिक भी लिखा जाता है…. 

भविष्य में साहित्य रुपी ऊँट भी न जाने कौन करवट बैठेगा….. 

प्रश्न 7. आप साहित्य को और भी अधिक समाज उपयोगी बनाने के लिए किन प्रयासों की अनुशंसा करती हैं? 

उ- समाज को दिशा देने वाले विषय , संदेश परक, प्रेरणादायी रचनाएं हों, समाज को प्रेरित करने वाले आयोजन हों….. 

प्रश्न 8. आपकी दृष्टि में एक लेखक के क्या गुण होने चाहिये? 

उ- *सरल, सहज, सौम्य और मृदुलभाषी हो… 

* कम शब्दों में बहुत कुछ कह दे…. 

* लेखन ऐसा हो जो अपना प्रभाव छोड़ सके…. 

*भाषा सरल और स्पष्ट हो…. 

*अपनी भावनाओं को शब्दों में उतारने की क्षमता हो….. 

*अपने पाठकों से जुड़ाव बना कर रखें

प्रश्न 9. आज चारों ओर सोशल मीडिया का दबदबा आप देखती होंगी? ये किस प्रकार से सहायक सिद्ध हों सकता है? 

उ- किसी भी क्षेत्र में सोशल मीडिया ही एक ऐसा साधन है जो आपकी लोकप्रियता को बढ़ाने में समर्थ है….. 

प्रश्न 10. आप विषयानुगत लेखन के विषय में क्या सोचती हैं? 

उ- कोई न कोई विषय पर आधारित तो होता ही है लेखन, कई मचों पर लिखने को विषय दिया जाता है, मर्जी अपनी है आप दिए हुए विषय पर लिखें 

या न लिखें…..

प्रश्न 11. लेखन क्षेत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजी स्वतंत्रता के विषय में आपके क्या विचार हैं? 

उ- लेखक अपने विचार गद्य या पद्म के माध्यम से

स्वतन्त्रता से रख सकता है….

प्रश्न 12. कहते हैं लेखन तभी सार्थक होता है, जब वो देशहित में कार्य करे। आप अपने लेखन को इस तर्क पर कैसे सिद्ध करती हैं? 

उ- सही कहा आपने, अपनी रचनाओं के माध्यम से….. 

प्रश्न 13. कल्पकथा से जुड़े हुए आपको काफी समय हो गया है। कल्पकथा के साथ जुड़कर आपका अनुभव कैसा रहा? 

उ- साहित्यक मंच होने के साथ साथ पारिवारिक 

माहौल होना, ये तो ऐसा है “सोने पर सुहागा”

बहुत से साहित्यक साथियों से काव्य सम्मेलन के माध्यम से मिलना जुलना,बहुत अपनापन मिला… 

मंच पर बहुत कुछ सीखने भी मिला…. 

प्रश्न 14. आप कल्पकथा की प्रगति और उन्नति के लिए क्या सुझाव देंगी? 

उ- कल्पकथा मंच दिनोदिन प्रगति के पथ पर है, 

साहित्य से सम्बंधित अलग अलग विधाओं की जानकारी एवं आयोजनों से और भी नये नये

आयामों को छुएगा….. 

प्रश्न 15. आप समाज को क्या संदेश देना चाहती हैं?

उ- सीखने सिखाने की कोई उम्र नहीं होती….

कहा भी गया है, जब जागो तभी सबेरा….

हम साहित्यकार समाज को संदेश देती हुई रचनाओं का सृजन करें, उन रचनाओं को समाज तक पहुँचाए, यदि उस सृजन से कोई भी प्रेरित हुआ तो वह रचना का लिखना सार्थक हो जाएगा….

साहित्य का क्षेत्र बहुत विस्तृत है- हम चाहेंगे समाज के बच्चे, युवा पीढ़ी और वरिष्ठ भी साहित्यक क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाएं जिससे हम साहित्यक विरासत को संजो सकें…।

जय हिन्द- जय भारत 🙏

रजनी कटारे “हेम”

जबलपुर म. प्र.

तो पाठकों, 

          ये थी हमारी प्यारी सी, मृदुभाषी एवं मितभाषी लेखिका श्रीमती रजनी कटारे “हेम” जी, जबलपुर मध्यप्रदेश से। अब बताइये, आपको हमारी वरिष्ठ लेखिका जी से मिलकर कैसा लगा? 

       हम आशा करते हैं कि आप सभी अधिक से अधिक इन्हें और कल्पकथा को प्रोत्साहित करेंगे। मिलते हैं अगले सप्ताह एक और लेखक या लेखिका के साथ। 

तब तक के लिए 

राधे राधे 

साक्षात्कारकर्ता 

  1. ✍🏻 राधा श्री शर्मा 
कल्प भेंटवार्ता

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