
!! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती प्रीति मनीष दुबे
- कल्प भेंटवार्ता
- 27/06/2024
- लेख
- साक्षात्कार
- 2 Comments
!! “व्यक्तित्व परिचय” !!
!! “मेरा परिचय” !!
नाम :- प्रीति मनीष दुबे
माता/पिता का नाम :- श्री अरविन्द नयन पाराशर
श्रीमती विजया पाराशर
जन्म स्थान एवं जन्म तिथि :- 31/03/1976
सिवनी
पति का नाम :- श्री मनीष दुबे
बच्चों के नाम :- अनन्या दुबे
आकर्ष दुबे
शिक्षा :- वनस्पति शास्त्र से स्नात्तकोत्तर
व्यावसाय :- शिक्षक
वर्तमान निवास :- मंडला
पुरूस्कार एवं विशिष्ट स्थान :- शिक्षा और साहित्य जगत में कई तरह के सम्मान
राष्ट्रीय स्तर पर कहानी प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान
!! “मेरी पसंद” !!
भोजन :- सात्विक
रंग :- नीला
परिधान :- पारम्परिक साड़ी
स्थान एवं तीर्थ स्थान :- अभी तक शिमला मनाली और जगन्नाथ पुरी
लेखक/लेखिका :- प्रेमचंद ज़ी
कवि/कवयित्री :- अटलजी, दिनकर जी
खेल :- क्रिकेट
मूवीज/धारावाहिक (यदि देखती हैं तो) :- अनुपमा
!! “कल्पकथा के प्रश्न” !!
प्रश्न 1. प्रीति जी, सबसे पहले आपके पारिवारिक परिवेश के बारे में हमें बताइये।
प्रीति जी :- मेरे परिवार में जीवनसाथी के साथ एक बेटा और एक बेटी है संस्कारी मध्यम वर्ग के परिवार है बेटी का ग्रेजुएशन और बेटे का 12th हुआ है दोनों ही अभी बहुत मुश्किल मोड पर हैं इस प्रतियोगिता से भरे युग में सामान्य वर्ग के बच्चों के लिए मुश्किल भरा सफर होता है पर हम सभी हर हाल में एक दूसरे के साथ है।
प्रश्न 2. साहित्य के प्रति रुचि कब और कैसे हुई?
प्रीति जी :- साहित्य के प्रति रुझान बाल्यावस्था से ही रहा, क्योंकि मेरे पिता एक बहुत ही विद्वान साहित्यकार हैं। अनुवांशिक रूप से उनका यह गुण मुझ में भी आया।
मुझे याद है, बचपन में मैं घर के खिड़की दरवाजों पर चौक से परिवार के सभी सदस्यों के विषय में अपने विचार लिख दिया करती थी। स्कूल और कॉलेज के समय वाद विवाद निबंध भाषण इन सभी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया करती थी। पिताजी सहयोग करते थे, लेकिन सर्विस के चलते अधिकांश समय बाहर रहते थे। हम मां के साथ रहते थे और पिताजी हफ्ते में एक बार आया करते थे। उन दिनों फोन वगैरा भी नहीं थे, तो हमेशा हमें मदद नहीं मिल पाती थी। हम खुद ही अपने विषय पर तैयारी करते थे, तो यूं कहिए की आदत वहीं से पड़ी।
फिर कोरोना कल में जब खाली समय मिला तब यह रुझान ज्यादा बढ़ गया। मैंने उसे आपदा को अवसर में बदलते हुए अपने साहित्यिक यात्रा की शुरुआत इस समय से की।
प्रश्न 3. कोई भी रचना लिखते समय आपकी प्रेरणा क्या होती है?
प्रीति जी :- स्वाभाविक रूप से अंतर्मन ही प्रेरणा बनता है। जो सच है, जो वास्तविकता है, जिसे हम महसूस करते हैं बस उसे ही शब्दों में पिरोकर कागज पर उतारने का प्रयास करते हैं। और मैं सिक्के के हर पहलू को देखने का प्रयास करती हूँ।
प्रश्न 4. प्रीति जी, मंडला ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी समृद्ध नगर रहा है। दूसरे माँ नर्मदा की अनुकम्पा भी यहाँ नित्य बरसती है। आप अपने शब्दों में हमें इसके बारे में कुछ बताइये।
प्रीति जी :- जी सही कहा आपने मां नर्मदा की गोद में हम पल रहे हैं, जो हमारे जीवन की रेखा कहलाती है और जिसके कारण मंडला का धार्मिक महत्व अपने आप ही बढ़ जाता है। यहां से महज 18 किलोमीटर की दूरी पर गोंड राजाओं की नगरी रामनगर है। 1667 ई में राजा हृदय शाह का यहां शासन था। इन्होंने मोती महल, रानी महल और राय भगत की कोठी का निर्माण कराया जो कला और आकर्षण के अद्भुत नमूने हैं। महल के समीप उत्तर दिशा में कल कल करती रीवा का अनुपम दृश्य इसकी शोभा बढ़ाता है। यहां रानी दुर्गावती का भी इतिहास मिलता है, जिन्होंने अपने साहस शौर्य और पराक्रम के बल पर देश की वीरांगनाओं में अपना नाम दर्ज कराया। यह नगरी उनके कर्म स्थली रही।
कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान, गर्म पानी कुंड, सहस्त्र धारा आदि कई दर्शनीय स्थलों से घिरा हुआ है हमारा मंडला।
मंडल मिश्र के शास्त्रार्थ वाली माहिष्मती नगरी की रहवासी होने पर मैं खुद को धन्य मानती हूं।
प्रश्न 5. आपकी अब तक की साहित्यिक यात्रा कैसी रही? साथ ही हम आपकी कोई एक कविता सुनना चाहेंगे।
प्रीति जी :- अब तक की यह छोटी सी साहित्य की यात्रा काफी सुखद रही। पर यह सफर अभी बहुत लंबा है। यह तो सिर्फ शुरुआत है और मुझे इस क्षेत्र में बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है। यह क्षेत्र असीम संभावनाओं से भरा हुआ है। विद्वान साहित्यकारों का समंदर है। हम तो बस एक छोटी सी धारा है।
प्रश्न 6. प्रीति जी, आपने अब तक बहुत से कवियों और लेखकों को सुना है, पढा है, उनके साथ मंच साझा किए है, ऐसे ही कभी मंच साझा करने की दौरान कोई ऐसा घटनाक्रम जिसको आप सकारात्मक रूप से आश्चर्यजनक मानती हों ऐसे किसी अनुभव के बारे में हमें बताइये।
प्रीति जी :- सर्विस और पारिवारिक व्यवस्थाओं के चलते ऑफलाइन मंच साझा करने का अवसर कम ही मिला। पर ऑनलाइन अनेको साहित्यकारों से रूबरू हुई हूं। गीता श्री साहित्य भारती के 10 न्यूज़ चैनल पर प्रत्येक शनिवार आयोजित होने वाले लाइव शो “आओ चले गांव की ओर” में मैं 3 साल से संचालक की भूमिका में हूं, जहां लगभग 600 साहित्यकारों के साथ मंच साझा किया। इसके अतिरिक्त और भी कई मंचों में मंच संचालन के दौरान साहित्यकारों से जुड़ने का मौका मिला और इतने लोगों से जुड़कर मैंने यही देखा कि हर व्यक्ति दूसरे से बिल्कुल अलग है और प्रतिभावान है। हर किसी में कोई एक खूबी ऐसी है, जो आपको आकर्षित करती है। एक बार गणित दिवस के अवसर पर जिंदगी के गणित को एक साथी ने पूरी तरह गणितीय भाषा में प्रस्तुत किया, जो वाकई अद्भुत था। और भी कई ऐसे पल है जो मुझे बहुत पसंद आए किसी एक को या हर किसी को बयां कर पाना थोड़ा मुश्किल होगा।
प्रश्न 7. समय परिवर्तनशील है। स्वाभाविक है कि साहित्य जगत में भी परिवर्तन होते रहते हैं। आप इन परिवर्तनों को भविष्य में किस रूप में देखती हैं?
प्रीति जी :- जी बिल्कुल परिवर्तनों को आत्मसात करते हुए उनके साथ आगे बढ़ना ही बुद्धिमानी है। साहित्य, जो कभी सेवानिवृत होकर बिल्कुल फुर्सत में रहने वालों का क्षेत्र था, अब इसके प्रति युवाओं का रुझान भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है। युवाओं की अपनी सोच है, अपने विचार हैं, जो खुलकर सामने आ रहे हैं। एक विशेष बात और जो मुझे समझ में आई कि अब साहित्य के मायने बहुत क्लिस्ट और गूढ अर्थ वाली कोई भाषा शैली और रचना हो ऐसा नहीं है, अब सरल सहज भाषा में आसानी से बोधगम्य रचनाएं ही ज्यादा प्रचलन में है।
प्रश्न 8. प्रीति जी, वर्तमान समय में आप किस कवि अथवा लेखक के बारे में यह कह सकती हैं कि उनकी रचनाएँ पाठकों के हृदय पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं उनके बारे में बताइए और उनकी कोई प्रभावित करने वाली रचना सुनाइए?
प्रीति जी :- सच कहूं तो मैंने बहुत ज्यादा ना किसी को पढ़ा है और ना ही सुना है। हाँ, कुमार विश्वास जी से मैं प्रभावित हूं। उनकी पंक्तियों में जीवन तथा यथार्थ का अनुभव होता है और उन्हें सुनकर एक नई ऊर्जा का संचार होता है। उनकी सारी रचनाए अद्भुत है। उनमें से एक मेरे दिल के बहुत करीब है….
“संबंधों को अनुबंधों को परिभाषाएं देनी होगी
होठों के संग नैनो को कुछ भाषायें
देनी होगी।
हर विवश आंख के आंसू को यूं ही हंस-हंस पीना होगा।
मैं कवि हूं जब तक पीड़ा है तब तक मुझको जीना होगा।।”
प्रश्न 9. आपकी दृष्टि में एक लेखक/कवि के क्या गुण होने चाहिये?
प्रीति जी :- मेरे अनुसार लेखक या कवि में सबसे आवश्यक गुण होता है संवेदनशीलता। क्योंकि संवेदनाएं ही आपकी कलम की धार बनाते हैं। इसके अतिरिक्त धैर्य, सहनशीलता, विनम्रता, सत्यवादिता और स्पष्टवादिता, यह भी आवश्यक गुण होते हैं।
प्रश्न 10. आज चारों ओर सोशल मीडिया का दबदबा आप देखती होंगी? ये साहित्य जगत के लिए किस प्रकार सहायक सिद्ध हों सकता है?
प्रीति जी :- सोशल मीडिया के अपने फायदे और अपने नुकसान है, जिन पर हम ज्यादा चर्चा नहीं करेंगे। यदि सहायता की बात करें, तो पहले जहां लेखकों को अपनी पहचान स्थापित करने में एक लंबा समय लगता था, अपनी रचनाओं को जन सामान्य के बीच लाना आसान नहीं था, अब वह कार्य सोशल मीडिया के माध्यम से बिल्कुल सहज और पलक झपकते होने लगा है। जाहिर है प्रसिद्धि के लिए अब ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता।
प्रश्न 11. आप विषयानुगत लेखन के विषय में क्या सोचती हैं?
प्रीति जी :- विषयनुगत लेखन आवश्यक और अनिवार्य है। सामान्यतः जब हमें कुछ बहुत अच्छा लगता है, या कुछ बहुत चुभता है, तभी लेखनी चलती है। लेकिन समय-समय पर विषय आते रहते हैं, तो लेखनी में निरंतरता बनी रहती है, जो साहित्य के प्रचार प्रसार के लिए आवश्यक है।
प्रश्न 12. प्रीति जी, सुना है आपका लेखन मंत्रमुग्ध करने वाला है। अतः अपने पसंद की कोई रचना हमें सुनाईये न?
प्रीति जी :- यह तो आप सभी हमारे सुधी श्रोता गण तय करेंगे। मैं तो यही चाहूंगी कि आप सबका स्नेह मुझे इसी तरह मिलता रहे।
प्रश्न 13. कहते हैं लेखन तभी सार्थक होता है, जब वो देशहित/समाजोपयोगी हो, क्या आप अपने लेखन को इस मापदंड पर परखना चाहेंगी, यदि हां तो आप अभी तक स्वयं को इस मापदंड पर कितना सफल मानती हैं?
प्रीति जी :- पहली बात तो मैं कोई बहुत बड़ी लेखिका या कवयित्री नहीं हूँ। साहित्य जगत की एक अदना सी रचनाकार हूं, जिसे अभी बहुत कुछ सीखना है, पढ़ना है और खुद को परिष्कृत करना है। और परखने का कार्य तो पाठकों और श्रोताओं का है कि वह आपको कितना आशीर्वाद और सहयोग दे पाते हैं।
प्रश्न 14. प्रीति जी, कल्पकथा मुखिया श्री राधा गोपीनाथ जी के आशीर्वाद से संभव हो रहे इस भेंटवार्ता कार्यक्रम में आप जुड़ीं, हम सभी के लिए यह प्रसन्नता का विषय है। कल्पकथा परिवार के लिए आपका कोई विशेष संदेश?
प्रीति जी :- कल्प कथा का यह मंच बहुत ही सृजनशील और विस्तारित है। साहित्यकारों को प्रोत्साहित कर नई दिशा प्रदान करने का कार्य कर रहा है। इस सराहनीय कार्य के लिए इस परिवार के सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं। इस परिवार के सभी सदस्यों के अथक और अनवरत परिश्रम और प्रयास के लिए और मुझे यह अवसर प्रदान करने के लिए मैं इस मंच को हृदय तल से साधुवाद देती हूँ, आभार व्यक्त करती हूँ। एक अद्भुत बात इस मंच की कि इसके प्रमुख श्री राधा गोपीनाथ जी है जिन्हे हम प्रणाम करते है, जो नाथों के नाथ है। और संस्थापक श्री पवनेश मिश्रा जी, संस्थापिका राधाश्री शर्मा जी एवं संचालिका जया शर्मा प्रियंवदा जी, सभी का हम तहेदिल से आभार ज्ञापित करते है और इस पटल के उत्तरोत्तर साहित्यिक उन्नति के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं प्रेषित करती हूं।
प्रश्न 15. आप अपने पाठकों, हमारे दर्शकों, सभी लेखकों और समाज को क्या संदेश देना चाहती हैं?
प्रीति जी :- मैं तो बस सबसे यही निवेदन करना चाहूंगी कि हम अपनी भारतीय संस्कृति सभ्यता और संस्कारों को मजबूती से पड़े रहे। अपनी जड़ों को ना छोड़े और स्वयं से प्रारंभ करके नई शुरुआत करें अपना अपना कार्य अपने-अपने स्तर पर पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ करते रहे अपनी सोच सकारात्मक रखें तो निश्चित ही हमारा यह समाज और देश उन्नति के पथ पर अग्रणी होगा और अंत में कहना चाहूंगी….
“बाधाएं आती हैं आए घिरें भले ही घनघोर घटाएं,
पांव के नीचे अंगारे सर पर बरसे यदि ज्वालायें,
नीचे हाथों से हंसते-हंसते आग लगाकर जलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा कदम मिलाकर चलना होगा।।”
✍🏻 श्रीमती प्रीति मनीष दुबे
आज हमारी विशिष्ट अतिथि रहीं प्रसिद्ध मंच संचालिका श्रीमती प्रीति मनीष दुबे, जो व्यावसायिक रूप से वनस्पति विज्ञान की प्राध्यापिका हैं, एक उत्तम लेखिका और श्रेष्ठ कवयित्री हैं। हमें आशा है कि आप इनके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित रहे होंगे।
आप इनसे हमारे यू ट्यूब चैनल पर मिल सकते हैं। इसके लिए लिंक है : 👇
https://www.youtube.com/live/_w2G3DAtD0o?si=2GFN5KjGnamkbBT9
आप अपने विचार हमें अपने कमेन्ट के माध्यम से भेज सकते हैं और साथ ही अपने पसंदीदा व्यक्तित्व के साथ भेंट का सुझाव भी दे सकते हैं।
✍🏻 प्रश्नकर्ता :- कल्पकथा परिवार
2 Comments to “!! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती प्रीति मनीष दुबे”
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पवनेश
राधे राधे,
आदरणीया श्रीमती प्रीति मनीष दुबे जी के व्यक्तित्व, कृतित्व, एवं सहज किंतु सद उद्देश्यपूर्ण विचारों, से परिचित होने का गरिमामय अवसर प्राप्त हुआ है। सादर 🙏🌹🙏
Radha Shri Sharma
प्रीति जी के उत्तर देने का ढंग जितना लिखित में सुन्दर है उतना ही भव्य भेंटवार्ता में बन पडा है। सचमुच प्रीति जी एक अद्भुत व्यक्तित्व की स्वामिनी हैं। गोपीनाथ बाबा उन्हें सदैव प्रगति पथ पर अग्रसर रखें।
राधे राधे 🙏 🌷 🙏