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!! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती शशि प्रभा एवं श्रीमती विमलेश कुमारी” !!

!! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती शशि प्रभा एवं श्रीमती विमलेश कुमारी” !!

नाम :- शशि प्रभा देशवाल

माता/पिता का नाम : श्री मति हरपयारी देवी/ डॉ सुखीराम रावत

पति का नाम :- श्री रवि राज देशवाल

बच्चे का नाम :- लसित देशवाल

जन्मतिथि/ जन्मस्थान :- ग्राम अंधोप जिला पलवल/ 12-03- 1978

शिक्षा :- एम फिल , एमबीए, एमएससी एवं संगणक अभियांत्रिकी में डिप्लोमा।

व्यवसाय :- शिक्षण

वर्तमान निवास :- पलवल, हरियाणा

मेल आईडी :- shashiprabha1203@gmail.com

आपकी कृतियां :- अनेक हैं जो दैनंदिनी में पुस्तकबद्ध हैं।

आपकी विशिष्ट कृति :- दिव्य दर्शन (कवि की कल्पना में रामायण गीत बद्ध काव्य) व
मेरी आँग्ल भाषा में कहानी किताब ” माई लाइफ स्टाइल” और काव्य संग्रह “दीदार”

आपकी प्रकाशित कृति :- अभी तक सिर्फ कुछ कृतियां कहानी लेखन एप पर ऑनलाइन ही प्रकाशित हैं जैसे पढ़ी लिखी अनपढ़, नया जमाना सास पुरानी, द मैजिक 🌆 और स्कूल दफ्तर :- एन एस्ट्रा मैरिटल एफेयर हैं।

पुरस्कार एवं विशिष्ट स्थान :- साहित्य के क्षेत्र में कहानी लेखन एप द्वारा लेखक अवॉर्ड। इसके अलावा कोई नहीं। सच कहूं तो इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया। सिर्फ कहानी या कविता दिल में उभरी ओर शब्द बनकर डायरियों में बंद हो गई।

!! “मेरी पसंद” !!

उत्सव :- जिसमें सब खुश हों ।

भोजन :- कोई भी सात्विक भोज जिससे जीवन को जिया जा सके व पेट भर सके।

रंग :- जो संन्यानुसार मन को भाए और मुझ पर चढ़ जाए।

परिधान :- शुद्ध भारतीय जिसमे तन की नुमाइश न हो।

स्थान एवं तीर्थ स्थान :- कोई भी दार्शनिक या रमणीय स्थल जहां मन और आत्मा को शांति मिले।

लेखक/लेखिका :- डॉ सुखीराम रावत, डॉ माही त्रिपाठी एवं शालिनी सिंह और अमरजीत सिंह , दुर्गा प्रसाद।

कवि/कवयित्री :- सुभद्रा कुमारी चौहान, मीरा, बैजू बावरा, तुलसीदास।

उपन्यास/कहानी/पुस्तक :- पुस्तक – “माई लाइफ स्टाइल”, उपन्यास – द मैजिक 🌆 सिटी, कहानी : स्कूल दफ्तर – एन एस्ट्रा मैरिटल एफेयर आदि।

कविता/गीत/काव्य खंड :- काफी हैं फिर भी अगर कहूं तो – ये डोली है अरमानों की, एवं तुम्हे भी ठंड में सिकुड़ना होगा आदि।

गीत – दिव्य दर्शन, दे दर्शन एक बार हमें, तेरी चाहत का नगमा उधार दे , प्यारे थे जो कभी, आदि कई सारे गीत हैं ; जो मुझे गाने बार बार पसंद हैं।

काव्य खंड – मेरा बेटा। और दिव्य दर्शन।

खेल :- चैस, जेवलिन थ्रो, बास्केटबाल।

मूवीज/धारावाहिक (यदि देखती हैं तो) :- ऑल हिंदी क्लासिक सिंपल मूवीज।
धारावाहिक – वैसे मैं देखती नहीं हूं फिर भी जो अब तक देखें हैं वो हैं – रामायण, महाभारत, श्री कृष्णा छोटी बहु, एंड इंद्रधनुष।

आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :- दीदार किताब का एक गीत – “दे दर्शन एक बार हमें”, और दास्तान ए गुलाब का “एक बार बुलाओ तो।”

!! “मेरा परिचय” !!

नाम :- विमलेश कुमारी

माता/पिता का नाम : गायत्री ओमप्रकाश राणा

जन्म स्थान एवं जन्म तिथि :आगरा 28- 6- 1976

पति का नाम :शिव कुमार

बच्चों के नाम :- अर्चना, शीतल, सनी , बहु दिव्या, पोती शानवी।

शिक्षा : बी कॉम, एम ए संगीत, हिंदी, सामाजिक शास्त्र, राजनीतिक शास्त्र,एम फिल हिन्दी।

व्यावसाय :- शिक्षण

वर्तमान निवास :- पलवल हरियाणा ।

मेल आईडी :- vimleshkumari1975@gmail.com ।

आपकी कृतियाँ :- काफी सारी हैं

आपकी विशिष्ट कृतियाँ :- अलग से संलग्न कर रही हूं ।

आपकी प्रकाशित कृतियाँ :कोई नहीं ।

पुरूस्कार एवं विशिष्ट स्थान :संगीत विष्टि पत्र एवं गायन समान हथीन पलवल ।

!! “मेरी पसंद” !!

उत्सव :- जो अपनों के साथ खुशी से बीते ।

भोजन :- सात्विक

रंग :- पीला , गुलाबी, फिरोजी ।

परिधान :- भारतीय साड़ी, सूट।

स्थान एवं तीर्थ स्थान :- पहाड़ी स्थल, मथुरा वृन्दावन ।

लेखक/लेखिका :- मुंशी प्रेम चंद । रविन्द्र नाथ टैगोर

कवि/कवयित्री :- शशि प्रभा जी , कवि हाथरसी, सुबद्रकुमारी चौहान

उपन्यास/कहानी/पुस्तक :- खास कोई नहीं ।

कविता/गीत/काव्य खंड :- स्व रचित गीत ।

खेल :- दौड़, अंताक्षरी।

मूवीज/धारावाहिक (यदि देखती हैं तो) :- मनोज कुमार की मूवीज / रामायण , महाभारत

आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :- भक्ति गीत ।

!! “कल्पकथा के प्रश्न” !!

“प्रश्न श्रीमती शशिप्रभा देशवाल जी, और श्रीमती विमलेश कुमारी जी के लिए”

☆ प्रश्न 1. साहित्यिक और व्यक्तिगत परिचय (आपके शब्दों में)

अ) श्रीमती शशि प्रभा जी :- अपने आप में कुछ नहीं। मुझे लगता है मैं अभी पैदा हुई हूँ। जैसे अभी चलना सीखा हो और फिर शायद आपने पब्लिकली चलना सिखा दिया हो।

ब) श्रीमती विमलेश जी :- मेरा शुरू से ही संगीत में रुझान रहा। और इसके लिए मैने विधिवत शिक्षा ली तथा इसी के चलते भक्ति गीतों ने मेरे जीवन में विशेष स्थान लिया।

☆ प्रश्न 2. आपके नगर का वर्णन (आपके शब्दों में)

अ) श्रीमती शशि प्रभा जी पलवल (हरियाणा) :- पलवल तीन और से पल्लव से यानी तालाब या पानी से घिरा हुआ था कभी जिसका उदाहरण अभी भी पंचवटी मंदिर के अंदर 90 फीट गहरे तालाब के रूप में मौजूद है। इसी कारण पल्लव के नाम से इसका नाम पलवल पड़ा। सुनते हैं महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा का एक पड़ाव यहां किया था जिसके फलस्वरूप यहां गांधी आश्रम आज भी है। यह जगह स्वतंत्रता सेनानियों का गढ़ भी रही है। एक समय बलराम भी यहां तक आए थे अपनी गायों के साथ। महाराज सूरजमल के पुत्र जवाहर सिंह ने यहां कई युद्ध जीते थे और मुगलों को हराया था। यहां के एक शहर होडल की बेटी महारानी किशोरी जिसके नाम पर सती कुंड है और सती के नाम से मेला लगता है। इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण की तीसरी मुख्य पत्नी सत्यभामा इसी शहर के एक गांव सतवास की थी। इसके अलावा भी कई इतिहासिक घटनाएं इस शहर से जुड़ी हैं । जिनका वर्णन वर्णन संक्षेप में नहीं किया जा सकता।

ब) विमलेश जी, पलवल (हरियाणा) :- पलवल शहर एक प्राचीन शहर है। इसमें विशेष भव्य मंदिर है जिसे देखने काफी श्रद्धालु और संत महात्मा आते हैं। यहां कई तालाब भी हैं। आस पास का वातावरण काफी अच्छा है।

☆ प्रश्न 3. शशि प्रभा जी, बाल्यकाल से लेखन की ज्योति मन में जली — क्या वह प्रथम गीत अब भी स्मृति में अमिट है? कृपया उस प्रथम भाव की अनुभूति साझा करें।

श्रीमती शशि प्रभा जी :- जी मुझे बाल्यकाल से ही आसमान को व टिमटिमाते तारों को देखना बेहद पसंद है। बस हम जब 6th क्लास में थे तब यूंही अचानक एक तारा जिसे आप मर्करी या बुध के नाम से जानते हैं,हम प्यार से उसे वीनू कहा करते थे। वो आज तक का सबसे अच्छा दोस्त है मेरा। उससे हम अक्सर रोज बातें करते ।बस उस दिन उसे देखकर कुछ पंक्तियां यूंही जहन से निकल पड़ीं जिन्हें हमने पन्नों पर उकेर दिया। जो इतिफाक से अब हमारे पास नहीं है। उसे हमसे किसी ने लिया था जिसने उसे गुम कर दिया। वो पहली किताब जिसमें लगभग पचास से अधिक कविताएं थीं। उसी में ये पहली कविता भी थी।

☆ प्रश्न 4. विमलेश जी, आपकी प्रथम पंक्ति की कहानी क्या है, जिसने कलम को चूम कर कविता/गीत बना दिया?

श्रीमती विमलेश जी :- संगीत की शिक्षा लेते हुए कब मैने लिखना प्रारम्भ किया शायद मुझे भी ठीक से नहीं पता। हां इतना अवश्य जानती हूं कि इस ओर मेरा रुझान शुरू से था और इसमें मेरे पापा ने अहम भूमिका निभाई।

☆ प्रश्न 5. शशि प्रभा जी, “माई लाइफ स्टाइल” की पुनर्जन्म-प्रधान कथाओं में यथार्थ और कल्पना का अनुपात कैसे साधा आपने?

श्रीमती शशि प्रभा जी :- जी जैसा हमने पहले भी कहा कि हम कुछ नहीं करते बस अंदर से ऐसा लगता है कोई और बोलता है और वो हम लिख लेते हैं । वैसे इसमें एक लड़की अपने आज में सात सपने देखती है जो उसके सात जनम की कथा है। अतः ये कहानियां लगभग उस लड़की के आज और पिछले जन्मों में घूमती रही है।

☆ प्रश्न 6. विमलेश जी, संगीत और श्रृंगार काव्य की कोमलता — दोनों के बीच संतुलन कैसे साधती हैं आप?

श्रीमती विमलेश कुमारी :- जी दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए ही नहीं बल्कि मेरी नजर म एक ही है। गीत या कविता है तो जाहिर है संगीत की धुन है और धुन पर ही तो गीत चलते हैं।

☆ प्रश्न 7. शशि प्रभा जी, ‘नया जमाना सांस पुरानी’ जैसे शीर्षक में समाज की कौन-सी गूढ़ व्यंजना अभिव्यक्त हुई है?

श्रीमती शशि प्रभा जी :- जी ये एक अच्छा प्रश्न आपने किया। और उतर भी उतना ही सीधा है। यह उपन्यास आज के एक समाज को दिखाता है जहां लड़कियां चांद और मंगल पर पहुंच गई किन्तु घरों की औरतें सास बनने पर वहीं रूढ़िवादी धारा अपनाना पसंद करती हैं जो पुराने समय में होता था।

☆ प्रश्न 8. विमलेश जी, आप जो भक्ति रस रचती हैं — क्या उसमें आधुनिक भक्ति भाव की व्याकुलता अधिक होती है या शाश्वत भावों की स्थिरता?

श्रीमती विमलेश जी :- जी दोनों ही होते हैं। अपने ईस्ट के प्रति प्रेम भाव का होना ही भक्ति भाव है नीति नजर में। और जब आपका लक्ष्य स्थिर है तो उसमें शाश्वत स्थिरता स्वतः ही दिखने लगती है।

☆ प्रश्न 9. शशि प्रभा जी, शिक्षा जगत की उपलब्धियाँ जैसे सुरसा और सीबीएसई पुरस्कार — इन्हें आपने अपने साहित्यिक विकास में कैसे साधक रूप में जोड़ा?

श्रीमती शशि प्रभा जी :- जी हमने इन्हें कटाई साहित्य से नहीं जोड़ा है बस ये उपलब्धियों के तौर पर बताया है। बाकी साहित्य के क्षेत्र में तो सिर्फ एक ही अवार्ड सर्टिफाइड है वो है प्रतिलिपि मंच के द्वारा दिया हुआ अवॉर्ड ।बाकी आप चाहें तो हम पेशे से शिक्षक हैं जिनका काम लेखन और अध्यापन ही है। तो एक तरह से देखा जाए तो सीधा सीधा संबंध इसका लेखन से हो गया।

☆ प्रश्न 10. बचपन की नादानी का हास्य बोध प्रसंग

अ) श्रीमती शशि प्रभा जी :- हम बचपन में बड़े शरारती हुआ करते थे । अतः बहुत सारे किस्से ऐसे हैं । जैसे एक बार की बात है हम और हमारे कजनस छत पर खेल रहे थे। वहीं शर्त लग गई मुंडेर से नीचे कूदने की। हमने स्पोर्ट्स शूज पहने थे। बस शर्त में ही हमने हां कर कह दिया इसमें कौन सी बात है तू कूद मैं भी कूद जाऊंगी। और कहकर नीचे छलांग लगा दी। वो तो नीचे फारस तब कच्चे होते थे। तो लगी नहीं हां पर पैर में एड़ी में मोच आ गई। जिसको डर के मारे घर दो महीने तक पता नहीं चलने दिया। पर पैर का दर्द था जो दिनों दिन बढ़ता जाता था एक दिन मां ने पूछ ही लिया। तब खूब डांट पड़ी। दो थप्पड़ भी लगे।

ब) श्रीमती विमलेश जी :- जी मैं बाल्यकाल में सबसे बड़ी थी तो अधिक शरारती न थी । हां पर अपने बाबा की लाडली अधिक थी । और इसीलिए वो चुपचाप मुझे अपने पास बुलाते थे और बाकी भाई बहनों से ज्यादा मुझे जेब खरची चुपके दे देते थे। जिसे सोचकर मैं आज भी भाव विभोर हो जाती हूं।

☆ प्रश्न 11. विमलेश जी, संगीत और पाठशाला पृष्ठभूमि में लेखन का संयोग कितना सहज और कितना संघर्षमय रहा?

श्रीमती विमलेश जी :- जी गीत और संगीत मेरा अपना विषय रहा और समय के बढ़ते मैं इसमें डूबती चली गई। आज भी जब मैं गाने बैठती हूं तो उसमें तल्लीन हो जाती हूं । हालांकि यहां तक पहुंचने के लिए मुझे काफी संघर्ष करना पड़ा। मेरी संगीत की संपूर्ण शिक्षा मेरी शादी के बाद ही हुई। और इसमें मेरे पति श्री शिव कुमार जी का विशेष योगदान रहा। सच कहा जाए तो आज मैं जो कुछ भी हूं ये उनका संघर्ष अधिक है बजाय मेरे।

☆ प्रश्न 12. शशि प्रभा जी, गीतों की पांच पुस्तकें — यह कोई संयोग नहीं, यह समर्पण है। कृपया बताइए — गीत लेखन में आपके लिए सर्वोत्तम प्रेरणा क्या है?

श्रीमती शशि प्रभा जी :- जी, काफी अच्छा प्रश्न आपने किया है। वास्तव में पांच से ज्यादा ही हैं। गीत लेखन का सारा श्रेय हम उस तारे को, फिर अपने माता पिता को तथा अपने खून को देना चाहेंगे क्योंकि ये हमें धरोहर स्वरूप मिला है तो जाहिर है कि हमारे खून में लेखन और कला बसती है।

☆ प्रश्न 13. विमलेश जी, भक्ति रस की भूमि पर आपने नारी-मन की कौन-कौन सी परतें सबसे पहले उकेरीं? कोई विशेष रचना स्मृति में हो तो साझा करें।

श्रीमती विमलेश जी :- भगवान के प्रति भावों का कोई अंत नहीं । जैसा कि मैने अभी बताया जब मैं गीत रचने या गाने बैठती हूं तो उसमें तल्लीन हो जाती हूं। और यही ये दर्शाती है कि नारी होने से भक्ति का कोई लेना देना नहीं। भगवान के भाव किसी में भी हो सकते हैं। और यही नारी मन की कोमलता है।

☆ प्रश्न 14. शशि प्रभा जी, साहसिक पर्यटन आपके शौक में है — क्या प्रकृति के साथ यह साहसिक साक्षात्कार आपके लेखन में भी झलकता है?

श्रीमती शशि प्रभा जी :- जी बिल्कुल अगर आप हमारी रचनाओं पर गौर करेंगी तो शायद हर किसी में आपकी इसकी झलक दिखेगी।

☆ प्रश्न 15. विमलेश जी, आपने श्रृंगार रस को आत्मसात किया — क्या आपको लगता है कि आज की कविता में सौंदर्य की संवेदना पीछे छूट रही है?

श्रीमती विमलेश जी :- जी बिल्कुल सही कहा आपने मेरे गीतों में भगवान के भावों और प्रेम की प्रधानता है। और ऐसा नहीं है कि आज के युग में लोगों का रुझान इस ओर नहीं है। बल्कि जबसे सोशल मीडिया एक्टिव हुआ है तबसे तो हर तीसरा व्यक्ति अपना भक्ति चेनल चला रहा है। और तमाम गीतों से यू टूब चेनल भरा हुआ है।

☆ प्रश्न 16. शशि प्रभा जी, ‘ऑफिस में अतिरिक्त विवाहित संबंध’ जैसी कथा — समाज के सत्य को बिना आरोपण के प्रस्तुत करना कठिन होता है। इसे कैसे साधती हैं आप?

श्रीमती शशि प्रभा जी :- जी बस जो देखते हैं उसे एक कहानी के रूप में अंदर के भावों के द्वारा उसी अंदाज में बयान करना पसंद करते हैं जिसमें वो है। और अगर कहानी सत्यता पर आधारित हो तो उसे अपने शब्द देना मुश्किल नहीं होता। क्योंकि उसमें आपको कुछ अलग से सोचना या जोड़ना नहीं पड़ता।

☆ प्रश्न 17. विमलेश जी, श्रृंगार रस और स्त्री विमर्श — क्या आपके काव्य में दोनों प्रवृत्तियाँ सहजीवन करती हैं?

श्रीमती विमलेश जी :- जी बिल्कुल करती हैं।

☆ प्रश्न 18. शशि प्रभा जी, हरियाणा के ग्रामीण परिवेश में शिक्षिका रहते हुए स्त्री-सशक्तिकरण का जो स्वर आपने देखा, क्या वह आपके उपन्यासों में प्रतिध्वनित होता है?

श्रीमती शशि प्रभा जी :- जी बिल्कुल है। अगर आप हमारा उपन्यास द मैजिक सिटी और नया जमाना सास पुरानी । व कहानी पढ़ी लिखी अनपढ़ प्रतिलिपि मंच पर पढ़ेंगी तो आप ये स्वत ही जान पाएंगी।

☆ प्रश्न 19. विमलेश जी, आप इतनी डिग्री धारक हैं, संगीत क्षेत्र में काम करती हैं — ऐसे में साहित्यिक मंचों पर स्त्री उपस्थिति को आप किस दृष्टि से देखती हैं?

श्रीमती विमलेश जी :- काफी अच्छा प्रश्न आपने किया है जी । मेरे विचारों में स्त्री से अच्छा कोई और इस मंच की शोभा नहीं बढ़ा सकता। क्योंकि स्त्री स्वभाव से ही कोमल होती है और इसीलिए साहित्य और नारी की कोमलता एक अनूठा संगम है रचना का।

☆ प्रश्न 20. शशि प्रभा जी, हिन्दी साहित्य के वर्तमान परिदृश्य को आप कैसे देखती हैं? क्या नारी-लेखन को पर्याप्त स्थान मिल पा रहा है?

श्रीमती शशि प्रभा जी :- देखिए आज के संदर्भ में तो किसी को भी चाहे नर हो या नारी यह कहना अनुचित है कि उसे पर्याप्त स्थान नहीं मिल रहा है। बशर्ते कि आप ने कुछ करने का जज्बा हो। आज तो सोशल मीडिया का जमाना है आपको किसी खास प्लेटफॉर्म या और सहारे की जरूरत ही नहीं।

☆ प्रश्न 21. विमलेश जी, श्रृंगार रस के परिप्रेक्ष्य में आज का सोशल मीडिया कितना सहायक और कितना बाधक है?

श्रीमती विमलेश जी :- जी ये प्रश्न भी उतना ही प्रासंगिक है जितना इसका भाव । आज जहां सोशल मीडिया ने हरेक को अपनी अभिव्यक्ति की आजादी दी है वहीं इसका दुरुपयोग भी हुआ है। अब कोई भी जिसे कुछ नहीं आता या जो दिखाने सुनने योग्य भी नहीं है वो भी इसके जरिए खुद को प्रसिद्ध करना चाहता है। मैं यहां किसी नाम नहीं लूंगी फिर भी बात चली है तो शायद कहने से खुद को रोक भी नहीं सकती। जैसे कुछ समय पहले एक पाकिस्तानी गायक ने एक बेहूदा गीत गाकर प्रसिद्धि बटोरी थी।

☆ प्रश्न 22. शशि प्रभा जी, ड्रेस डिज़ाइनिंग और पेंटिंग जैसे शौक क्या कभी आपके लेखन की दृश्यात्मक शैली को प्रभावित करते हैं?

श्रीमती शशि प्रभा जी :- जी बिल्कुल करते है मेरी कहानियों की नायिका इन सभी कार्यों में आपको दक्ष मिलेगी। यहां तक कि। नायक भी इनमें आपको महारत लिए दिखेगा

☆ प्रश्न 23. विमलेश जी, भविष्य में आप कौन-से काव्य-प्रवृत्तियों को आत्मसात करना चाहेंगी? क्या कभी वीर रस या करुण रस में भी आप रचनाएँ प्रस्तुत करेंगी?

श्रीमती विमलेश जी :- जी मौका मिला और समय या भाव जागृत हुए तो अवश्य इस ओर रुख किया जाएगा।

☆ प्रश्न 24. कल्प भेंटवार्ता कार्यक्रम को लेकर आपका अनुभव
अ) श्रीमती शशि प्रभा जी :- जी बहुत अच्छा रहा। हमने पहले भी आपके कई कार्यक्रम देखें हैं। ये साहित्य और नारी सशक्तिकरण का एक अनूठा उदाहरण है। आपके जज्बे और इस ओर आपके इस अनूठे कदम की प्रशंसा और धन्यवाद किए बगैर शायद अपने आपको हम रोक नहीं सकते।

ब) श्रीमती विमलेश जी :- जी बेहद शानदार अनुभव रहा। इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।

☆ प्रश्न 25. दर्शकों/श्रोताओं/पाठकों के लिए संदेश.
अ) श्रीमती शशि प्रभा जी :- जी काफी कुछ है कहने को तो किंतु समयावधि कम होने के कारण सिर्फ इतना ही कहेंगे कि खुद को कर बुलंद इतना कि पूछने से पहले खुदा खुद ही से पूछे बता बंदे तेरी रजा क्या है।
जी साभार धन्यवाद आपका।

ब) श्रीमती विमलेश जी :- जी मैं अपने दर्शकों से ये गुजारिश करना चाहूंगी कि ऐसे ऐप्स और कार्यक्रमों को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाए ताकि नई प्रतिभा को और निखरने और आगे आने का मौका मिले।
जी धन्यवाद, मुझे ये मौका देने के लिए।

                                        “!! कार्यक्रम को देखने के लिए लिंक पर जाएँ !!”

https://www.youtube.com/live/WXmXNAyatq0

✍🏻 वार्ता : श्रीमती शशि प्रभा व श्रीमती विमलेश कुमारी

कल्प भेंटवार्ता

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One Reply to “!! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती शशि प्रभा एवं श्रीमती विमलेश कुमारी” !!”

  • पवनेश

    राधे राधे
    आदरणीया श्रीमती शशिप्रभा देशवाल जी, एवं श्रीमती विमलेश कुमारी जी के साथ भेंटवार्ता कार्यक्रम अत्यंत आनंददायक रहा।
    सादर 🙏

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