
!! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती नीलम झा “नील” जी” !!
- कल्प भेंटवार्ता
- 29/11/2024
- लेख
- साक्षात्कार
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!! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती नीलम झा “नील” जी” !!
!! “मेरा परिचय” !!
नाम :- नीलम झा (नील)
माता/पिता का नाम : मां,श्रीमती मंजुल मिश्रा, पिता श्री जयनाथ मिश्रा
जन्म स्थान एवं जन्म तिथि : मधुबनी
पति:- श्री एम के झा
शिक्षा : स्नातक,कला वर्ग
व्यावसाय :- गृहणी, लेखिका
वर्तमान निवास :- राजनगर एक्सटेंशन, गाजियाबाद
आपकी कृतियाँ :- उपन्यास – राजनंदिनी, अंतरा, प्रेम या समझौता, ध्रुवतारा,
लघु कथा संग्रह :- जिंदगी के रंग, अन्य काव्य संग्रह, साझा संकलन।
आपकी विशेष कृतियां:- “राजनंदिनी”
आपकी प्रकाशित कृतियाँ : जिन्दगी के रंग और साझा संग्रह मंथन, शिव गाथा, लड़कियों के सपने
पुरूस्कार एवं विशिष्ट स्थान :- मेरी उपलब्धियां -::-
पत्रिकाओं में मेरी कविता कहानी प्रकाशित हो चुकी है ।
एकल संकलन – जिंदगी के रंग (लघु कथा संग्रह) 2023
साझा संकलन – सात
अनुभव – बीस साल हॉबी क्लासेज (मेंहदी , पेंटिंग , स्टिचिंग और एंब्रॉयडरी )
वर्तमान में कहानी लेखन एप्प पर सक्रिय हूं । अन्य विभिन्न मंच पर भी सक्रिय हूं।
!! “मेरी पसंद” !!
उत्सव :- दिवाली
भोजन :सात्विक, शाकाहारी
रंग :रेड ,पिंक,
परिधान :- भारतीय पोशाक
स्थान एवं तीर्थ स्थान :-
जहां मैं गई हुई हूँ – उज्जैन श्री महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, मैहर, चित्रकूट, नीम करौली, विंध्याचल, त्र्यंबकेश्वर, शिरडी, पंचवटी, वृंदावन, मथुरा, प्रयाग, हरिद्वार, ऋषिकेश, नीलकंठ, पूरा महादेव, शाकंभरी देवी, देवी कूप (कुरुक्षेत्र)
खेल :- बचपन की पसंदीदा – कबड्डी
मूवीज/धारावाहिक (यदि देखती हैं तो) : दिल्लगी, चुपके-चुपके (पुरानी वाली)
आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति : “अंतरा”
!! “कल्पकथा के प्रश्न” !!
प्रश्न 1. नीलम जी, सबसे पहले आपके व्यक्तिगत एवं साहित्यिक परिवेश के बारे में हमें बताइये।
नीलम जी :- मैं नीलम झा “नील” मूलतः बिहार से हूं। मेरा जन्म बिहार में हुआ है।
मेरी शिक्षा उत्तर प्रदेश गाजियाबाद में हुई है । मैंने यहीं से
कला वर्ग में स्नातक किया है ।
वर्तमान में मैं गाजियाबाद( यू पी )राजनगर एक्सटेंशन में रहती हूं ।
लेखन के प्रति रुचि सदैव से थी । किताबों से लगाव भी सदा से रहा ।इस लेखन को तो थोड़ा विराम लग गया पारिवारिक जिम्मेदारी को निभाने में कुछ साल तक ।किंतु अपने साथी मित्रों के द्वारा उत्साहित करने पर मैंने पुनः अपनी लेखनी को आकार देना शुरू किया ।
विभिन्न मंचो से जुड़ कर अपने अंदर एक नई ऊर्जा का संचार पाया । अपनी काव्य पाठ प्रस्तुत किया ।सराहना भी भी और साथ भी ।
प्रश्न 2. नीलम जी, आप कल्पकथा के साथ इस भेंटवार्ता कार्यक्रम में हम हिन्दी साहित्य के साहित्यकार की रुचि अभिरुचि को वार्ता के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं,आप इस कार्यक्रम को कैसे देखती हैं? क्या आप उत्साहित हैं?
नीलम जी :- आपका कार्यक्रम निश्चित रूप से अति सराहनीय कार्य है।इससे जहां एक ओर साहित्यकार के बारे में अधिक जानने को मिलता है वहीं दूसरी ओर साहित्यकार का मनोबल भी बढ़ता है ।
प्रश्न 3. नीलम जी,आप आधुनिकता से अत्यंत महत्वपूर्ण गाजियाबाद शहर की रहनी वाली हैं। इस नगर के बारे में अपने शब्दों में कुछ बताइये।
नीलम जी :- गाजियाबाद की अपनी विशेषता है। यहां हरनंदी का सुन्दर इतिहास है । 1857 के युद्ध का इतिहास है, लवणासुर का
इतिहास है।भोलेनाथ दूधेश्वरनाथ का आशीर्वाद है। शहीदों का गुणगान है, निसंदेह गाजियाबाद बहुत ही खास है।
प्रश्न 4. नीलम जी, आपने कई उपन्यास लिखे है। आप उपन्यास लिखते समय कहानी का ताना-बाना कैसे बुनती हैं?
नीलम जी :- सच पूछिए तो कहानी का किरदार जैसे स्वयं बोलने लगता है, मेरी कोशिश हमेशा ये होती है कि किसी सामाजिक व्यवस्था को सामने लाऊं, उसके दोनों पक्ष को सकारात्मक और नकारात्मक,लेखन के माध्यम से प्रस्तुत करूं ।
प्रश्न 5. नीलम जी, आपकी साहित्यिक यात्रा के अंतर्गत हम उस पहले मंच के बारे में जानना चाहेंगे जिसको आप अपनी साहित्यिक यात्रा की प्रथम सीढ़ी मानती हैं?
नीलम जी :- मुझे पहला मंच बहुत ही चर्चित साहित्यकार के माध्यम से मिला। लेखन का विस्तार वहीं से हुआ। उन्हीं के मंच पर मैंने पहला काव्य पाठ किया। मैं उस संस्थान को इसके लिए हृदय से आभार व्यक्त करती हूं।
प्रश्न 6. नीलम जी आपने विविध साहित्यिक मंच पर अपनी काव्य प्रस्तुति दी है,अपनी विशिष्ट प्रस्तुति के अनुभव को हमारे साथ साझा करेंगीं तो हमें अच्छा लगेगा।
नीलम जी :- जी, बिल्कुल। पहली बात किसी मंच पर काव्य पाठ करना थोड़ा असहजता प्रदान तो करती ही है। लेकिन हमारी साहित्य मंच की ये विशेषता अति सराहनीय है कि नवोदित रचनाकार को वो उत्साहित करते हैं। मुझे भी ये अनुभव हर मंच पर मिला। ये मेरा सौभाग्य रहा।
प्रश्न 7. कहते हैं बचपन सदैव मनोहारी होता है। हम जानना चाहेंगे आपके बचपन का बाल विनोद भरा वो किस्सा, जो आपको आज भी मुस्कुराने पर विवश कर देता है।
नीलम जी :- मेरे दादा जी जो कि उच्च पद पर कार्यरत थे,बेटियों को बहुत ही मान देते थे । मैं बहुत छोटी थी, लेकिन ये बात इतनी अच्छी है कि मैं कभी भूल ही नहीं सकती । मेरे दादा जी जब भी किसी जगह जाते जहां कि जागरण , होता …वहां मुझे रुपए देते और कहते जाओ स्टेज पर जाकर कहां मैं पंचदेव मिश्रा जी की पौत्री हूं ।पाँच रुपया दान देती हूं , तब वो तुम्हारा नाम माइक में बोलेंगे… और होता भी यही था । वो सुनकर मैं खुश हो जाती थी ।दरअसल उससे दो बात मेरे समझ में आती है, एक तो दान की भावना को प्रेरित करना, दूसरा, आत्म विश्वाश बढ़ाना।
प्रश्न 8. समय परिवर्तनशील है। स्वाभाविक है कि साहित्य जगत में भी परिवर्तन होते रहते हैं। आप इन परिवर्तनों को किस रूप में देखती हैं?
नीलम जी :- समसामयिक विषय पर कलम चलती ही है । आज जो समाज में घट रहा, उसकी चर्चा होगी , उसकी बीते कल से तुलना भी होगी, मैं समझती हूं कि परिवर्तन सार्थकता से प्रेरित होनी चाहिए ।
प्रश्न 9. आप आज के समय के किस लेखक या कवि से सबसे अधिक प्रभावित हैं?
नीलम जी :- हर रचनाकार की कुछ ना कुछ विशेषता जरूर होती है। हर लेखक की अपनी अलग शैली भी होती है । हर किसी से कुछ ना कुछ हम सीखते हैं। किसी एक का नाम लेना उचित नहीं लगता मुझको।
प्रश्न 10. नीलम जी, हम आपका वो अनुभव जानना चाहेंगे, जब आपकी कविता को श्रोताओं का भरपूर सम्मान मिला?
नीलम जी :- मेरी कविता “द्रौपदी” जिसे मैंने पहली मातृभाषा उन्नयन संस्थान के मंच पर पढ़ा और वहां उसको पूर्ण सम्मान मिला। लोगों को बहुत ही पसंद आई ।
प्रश्न 11. आज चारों ओर सोशल मीडिया का प्रभाव आप देखते होंगे, ये साहित्य जगत में सोशल मीडिया का प्रभाव आप किस रुप में देखती हैं?
नीलम जी :- लोग आपको पहचानते हैं । आपकी सक्रियता कितनी है कितनी नहीं, साहित्य के क्षेत्र में वो भी दृश्य होता है । दूसरी बात प्रचार का विस्तृत माध्यम तो है ही सोशल मीडिया।सकारात्मक दृष्टिकोण रखती हूं मैं सोशल मीडिया के प्रति ।
प्रश्न 12. नीलम जी आजकल रचनाओं में भाषागत सम्मिश्रण बहुत अधिक हो गया है। इस भाषागत मिश्रण को लेकर आपके क्या विचार हैं? साथ ही हम आपकी वो कविता भी सुनना चाहेंगे, जो आपको विशेष प्रिय हो।
नीलम जी :- भाषागत सम्मिश्रण होने का कारण भी होता है ,या हो सकता है । कभी – कभी इसकी वजह कहानी की पृष्ठभूमि हो सकती है, या जो चरित्र हमने लिया है उसको गढ़ने के लिए भाषा शैली रुचिकर बनाने का प्रयास, कारण हो सकता है । मेरी पसंदीदा कविता मां गंगा के ऊपर लिखी गई घनाक्षरी है।
प्रश्न 13. आप साहित्य के विभिन्न काल में साहित्य के प्रवाह को किस तरह देखती हैं?
नीलम जी :- साहित्य के चारों काल में सबसे बेहतर भक्तिकाल को मानती हूं, जिसमें सूरदास, तुलसीदास, कबीर, जैसे महान कवि हुए ।उसके बाद आधुनिक काल में भी बड़े बड़े साहित्यकार आए, जिन्होंने राज दरबार में राजाओं के गुणगान गाने की प्रथा को छोड़कर सामाजिक सुधार की ओर साहित्य का पन्ना पलटा,अपनी कलम चलाई। देश में
जागरूकता लाने की कोशिश की अपनी गद्य ओर पद्य के माध्यम से । उसके बाद जो सबसे बड़ा एक बदलाव देखने को मिला वो रहा, काव्य को विद्या मुक्त करके स्वतंत्र विधा में मान्यता देना ।
प्रश्न 14. काव्य विधा का आठ रसों में सृजन होता है। आप काव्य के कौन से रस में लिखना अधिक पसंद करती हैं?
नीलम जी :- वैसे तो सभी रस पर लिखने का प्रयास करती हूं किंतु भक्ति रस लिखने में असीम आनंद मिलता है।
प्रश्न 15. कहते हैं लेखन तभी सार्थक होता है, जब वो देशहित में कार्य करे। आप अपने लेखन को इस विचार के अनुसार कितना सफल मानती हैं?
नीलम जी :- देशहित में कार्य करने के लिए लेखकों का सदा ही प्रयास होता है । हमने धार्मिक प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया तो भक्ति रंग में रंगे और कलम उधर चल पड़ी, किसी विरहन की व्यथा को महसूस किया तो करुण रस, और जब हमारे सैनिक को हम सम्मान देते हैं तो वीर रस, समाज में घटती अनैतिक कार्य को उजागर करते कलम चली तो रौद्र रस…शब्दों के माध्यम से हम अपनी सभी भाव को व्यक्त कर देते हैं ।वो कहते हैं ना “कलम ही तलवार है”
प्रश्न 16. नीलम जी, आपकी कहानियों में मध्यमवर्गीय परिवार के संस्कारों की मिठास होती है। साथ ही हमने सुना है कि आपको काव्य सृजन बहुत पसन्द है। फिर आप कहानियों की ओर क्यों मुड़ी? क्या आपको लगता है कि आप कहानियों के प्रति उचित न्याय कर पाती हैं?
नीलम जी :- काव्य की अपनी अलग गरिमा है और कहानी या उपन्यास का अपना अलग अंदाज है । गद्य ओर पद्य, दोनों के पाठक अलग देखे गए हैं । जरूरी नहीं कि हर किसी को काव्य से भी उतना ही प्रेम हो जितना कहानी या उपन्यास से । लेखक को अपनी बात कहनी है तो वो कोशिश तो करेगा ही कि किसी भी प्रकार इसकी बात जन जन तक जाए। विधा गद्य हो या पद्य। मुझे अपनी कहानी लिखने में कभी भी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि मैं इसके साथ न्याय नहीं कर पा रही हूं । व्यस्तता अधिक रहती है कभी तो कुछ समय के लिए विश्राम कर लेती हूं,फिर नव ऊर्जा को ग्रहण करते हुए आगे बढ़ जाती हूं ।
प्रश्न 17. नीलम जी, राजनंदिनी उपन्यास लिखते समय आप क्या सोच रहीं थीं? इस उपन्यास के बारे में हमारे दर्शकों को कुछ बताइये।
नीलम जी :- राजनंदिनी उपन्यास मध्यम वर्ग के इर्दगिर्द घूमती है ।कुछ घटनाएं वास्तविक सी प्रतीत होती हैं । कभी कभी एक व्यक्ति पारिवारिक जिम्मेदारी निभाते – निभाते ,या ये कहिए कम उम्र में आकस्मिक जिम्मेदारी आने पर,किस तरह विवश हो जाता है, यही कहानी राजनंदिनी की है। कहानी का मुख्य किरदार किस तरह भटक जाता है … और फिर उसकी दोस्त उसको कैसे सही राह दिखाती है ये कहानी है राज और नंदिनी की।
प्रश्न 18. नीलम जी, अंतरा की कहानी किस विषय पर आधारित है?
नीलम जी :- अंतरा एक ऐसी लड़की की कहानी है जो गलत बात को बर्दाश्त नहीं करती । अगर पिता भी कुछ गलत कर रहे हैं तो वो उसका विरोध करते दिखाई देती है। दूसरी तरफ वो आदर और सम्मान का भाव भी रखती है । आत्म सम्मान का भी महत्व भी आपको इस कहानी में दिखाई देगा ।
प्रश्न 19. नीलम जी, आपने बहुत सी कहानियाँ एवं उपन्यास लिखे है। क्या आप किसी एक ऐसे एतिहासिक पात्र को अपने दृष्टिकोण से उकेरने का प्रयास करेंगी, जिसको आपके दृष्टिकोण से इतिहास के पन्नों में स्थान नहीं मिला है अथवा एतिहासिक परिप्रेक्ष्य में उनके साथ न्याय नहीं हुआ है? यदि हां तो वह कौन हैं और आपको क्यों लगता है कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ है?
नीलम जी :- बहुत से ऐसे किरदार हैं जिनका स्वतंत्रता संग्राम में विशेष योगदान रहा। लेकिन उनको लोग जानते तो हैं,लेकिन इस तरह नहीं जानते जैसे जानना चाहिए।
प्रश्न 20. लेखन के अतिरिक्त ऐसा कौन सा कार्य है, जो आप को विशेष प्रिय है?
नीलम जी :- खाना बनाना। नए व्यंजन को सीखना और फिर बना कर बच्चों को खिलाना ।
प्रश्न 21. नीलम जी, हम आपकी कहानी ध्रुवतारा के बारे में जानना चाहेंगे।
नीलम जी :- ध्रुवतारा, ध्रुव घर से भागे हुए एक बच्चे और तारा की कहानी है । तारा भी कभी इसी तरह घर से भागी थी, गलत इंसान के हाथ पड़ जाने के कारण उसका जीवन खराब हुआ। तारा उस दुःख की भुक्तभोगी है,इसलिए वो ध्रुव को हर संभव प्रयास से नकारात्मकता से बचाने का प्रयास करती है ।इसी ताना बाना के इर्द गिर्द ध्रुवतारा की कहानी चलती है ।
प्रश्न 22. श्री राधा गोपीनाथ बाबा की प्रमुखता में चल रहे कल्पकथा विविध साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, आप कल्पकथा के लिए क्या संदेश देना चाहेंगें।
नीलम जी :- कल्पकथा का प्रयास बहुत ही प्रशंसनीय है। साहित्यकार का मनोबल बढ़ाने के लिए इस संस्था को नमन है ।
प्रश्न 23. आप अपने पाठकों, हमारे दर्शकों, सभी लेखकों और समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं?
नीलम जी :- मैं इस मंच के माध्यम से अपने पाठकों को, दर्शकों को और सभी लेखकों को यही कहना चाहूंगी कि समाज या देश की उन्नति हमारी भी जिम्मेदारी बनती है। हम जिस भी क्षेत्र से जुड़े हैं और जितना भी हम सक्षम हैं, उसके आधार पर हमें प्रयत्नशील रहना चाहिए अपने राष्ट्र, अपने समाज के उत्थान के लिए।
✍🏻 भेंटवार्ता : श्रीमती नीलम झा “नील”
कल्प व्यक्तित्व परिचय में आज नवोदित लेखिका श्रीमती नीलम झा “नील” जी से परिचय हुआ। ये गाजियाबाद (उप्र) की हैं एवं सुन्दर व्यक्तित्व की धनी हैं। इनका लेखन अपने आसपास के परिदृश्यों को संकलित किये हुए है। आप को इनका लेखन, इनसे मिलना कैसा लगा, हमें अवश्य सूचित करें। इनके साथ हुई भेंटवार्ता को आप नीचे दिये कल्पकथा के यू ट्यूब चैनल लिंक के माध्यम से देख सुन सकते हैं। 👇
https://www.youtube.com/live/jh4HBcZIryg?si=Mz9UY8vjBHKCqTsx
इनसे मिलना और इन्हें पढना आपको कैसा लगा? हमें कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट लिख कर अवश्य बताएं। हम आपके मनोभावों को जानने के लिए व्यग्रता से उत्सुक हैं।
मिलते हैं अगले सप्ताह एक और विशिष्ट साहित्यकार से। तब तक के लिए हमें आज्ञा दीजिये।
राधे राधे 🙏 🌷 🙏
✍🏻 लिखते रहिये, 📖 पढते रहिये और 🚶बढते रहिये। 🌟
✍🏻 प्रश्नकर्ता : कल्पकथा प्रबंधन
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