!! “व्यक्तित्व परिचय : श्री राज किशोर वाजपेयी “अभय” जी” !!
- कल्प भेंटवार्ता
- 2025-01-17
- लेख
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!! “व्यक्तित्व परिचय : श्री राज किशोर वाजपेयी “अभय” जी” !!
!! “मेरा परिचय” !!
नाम :- राज किशोर वाजपेयी “अभय”
माता/पिता का नाम :-
स्वर्गीया श्रीमती सुशीला वाजपेयी
स्व.श्री सुंदर किशोर वाजपेयी
जन्म स्थान एवं जन्म तिथि :- ग्वालियर,11जून 1958
पत्नी का नाम :-श्रीमती अर्चना वाजपेयी
बच्चों के नाम :- पुत्री आस्था
पुत्र: अभिषेक
शिक्षा :- एम.एस सी.,एम.ए.(इतिहास, समाजशास्त्र)
व्यावसाय :-
शासकीय सेवा से सेवानिवृत संयुक्त आयुक्त सहकारिता विभाग मध्यप्रदेश शासन।
वर्तमान निवास :- विनय-नगर , ग्वालियर
आपकी मेल आई डी :-rajkishorebajpai11@gmail.com
आपकी कृतियाँ :-शब्द-शिखर(गीत-संग्रह), मुक्तक -लोक,वंदना-लोक
सभी काब्य-संग्रह
3000रचनायें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।
21 साझाँ संकलन
आपकी विशिष्ट कृतियाँ :-उपरोक
आपकी प्रकाशित कृतियाँ :-उपरोक
पुरूस्कार एवं विशिष्ट स्थान :-
संत कन्हर साहित्य सम्मान,डबरा2016-17
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला सम्मान,1999मध्य भारतीय हिन्दी साहित्य सभा
!! “मेरी पसंद” !!
भारतीय-संस्कृति
उत्सव :-सभी सनातनी
भोजन :-शाकाहारी
रंग :-पीला,सफेद
परिधान :-
पजामा,कुर्ता,पेंट,शर्ट
स्थान एवं तीर्थ स्थान :-
सभी तीर्थ -स्थल
लेखक/लेखिका :-
तुलसीदास, रामधारी सिंह दिनकर, अटलजी, गोपालदास नीरज, प्रेमचंद,मालती जोशी, हरिवंशराय बच्चन जी।
कवि/कवयित्री :-उपरोक अनुसार
उपन्यास/कहानी
पुस्तक :-
शेखर एक जीवनी,
उसने कहा था/
कविता/गीत/काव्य खंड :-हिंदू तन मन हिंदू जीवन-अटल जी,
बीती विभाबरी जाग री,
पंचवटी
खेल :-शतरंज, क्रिकेट,हाँकी,लांन-टेनिस
फिल्में/धारावाहिक (यदि देखते हैं तो) :- बहुत कम
आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :-शब्द-शिखर,
मिलिट्री हिस्ट्री आँफ इंडिया (शोध-प्रबंध)
!! “कल्पकथा के प्रश्न” !!
प्रश्न 1. वाजपेयी जी, सबसे पहले हम आपके पारिवारिक एवं साहित्यिक परिवेश के बारे में जानना चाहते हैं।
वाजपेयी जी :- मेरा जन्म 11जून 1958 को ग्वालियर में हुआ।
मेरी शिक्षा आगरा जहाँ से मैंने 1971में हाई स्कूल की परीक्षा पास की और जहां मेरे मामाजी श्री हर प्रसाद पांडे सुप्रसिद्ध आशु कवि थे और दूसरे मामाजी श्री मथुरा प्रसाद दुवे””कुलदीप” हिन्दी प्राध्यापक सेंटजांस कालेज,आगरा उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध कवि थे।
दूसरी और परिवार में आदरणीय ताऊजी भारत-रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी और एक और ताऊजी वरिष्ठ संपादक और पत्रकार, साहित्यकार श्री माणिकचंद वाजपेयी जी के सानिध्य से मुझे साहित्यिक परिवेश और प्रोत्साहन मिला। फलस्वरूप विद्यालयीन जीवन से ही पढ़ने और लिखने की रूचि बनीं।
फलस्वरूप 1974से रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में छपनें की स्थिति भी बनने लगी।
प्रश्न 2. वाजपेयी जी, आप समृद्धि और साहित्य की विख्यात नगरी ग्वालियर के रहने वाले हैं। इस नगर की विशेषता के बारे में आप अपने शब्दों में हमारे दर्शकों और पाठकों को बताइये।
वाजपेयी जी :- ग्वालियर साहित्य और संगीत की नगरी है।
संगीत-सम्राट तानसेन यहीं के हैं, जिनकी स्मृति में विश्व प्रसिद्ध तानसेन संगीत समारोह का आयोजन प्रतिवर्ष दिसंबर माह में ग्वालियर में होता है। जिसमें संगीत का सबसे बड़ा सम्मान तानसेन सम्मान संगीत विभूति को दिया जाता है।
साहित्य के क्षेत्र में प्रसिद्ध साहित्यकार जगन्नाथ प्रसाद मिलिन्द, अटल बिहारी वाजपेयी,आनंद मिश्र, प्रसिद्ध नव-गीतकार वीरेन्द्र मिश्र, प्रसिद्ध इतिहासकार श्री हरिहर निवास द्विवेदी,,श्री जगदीश तोमर आदि सुख्यात है।
प्रश्न 3. वाजपेयी जी, आपने बताया कि आप मध्य भारतीय हिन्दी साहित्य सभा, जो कि भारत की सबसे पुरानी संस्थाओं में गिनी जाती है, की अध्यक्षता कर चुके हैं। आपका वहाँ जुडना कैसे हुआ और वहाँ के आपके अनुभव क्या रहे?
वाजपेयी जी :- साहित्य में रुचि को देखते हुये मेरे सबसे छोटे चाचाजी श्री ओम किशोर जी की प्रेरणा से और उनके द्वारा ही साहित्य सभा के पदाधिकारियों से परिचय करानें से सभा से जुड़ा।
जहाँ साहित्य की विभिन्न विधाओं और विभूतियों को जानने का सुअवसर मिला।जिससे साहित्य में और रूचि बढ़ी और यह आंनददायक रहा।
प्रश्न 4. वाजपेयी जी आप व्यावसायिक रूप से जॉइंट कमिश्नर रहे हैं। ऐसे में साहित्य जगत की ओर झुकाव कैसे सम्भव हुआ अर्थात साहित्य जगत से आपका परिचय कब और कैसे हुआ?
वाजपेयी जी :- मैं मध्यप्रदेश शासन में सहकारिता विभाग में ज्वाइंट कमिश्नर रहा हूं और इससे पहले शासकीय विज्ञान महाविद्यालय रायपुर अब छत्तीसगढ़ में सहायक प्राध्यापक और भारतीय स्टेट बैंक में भी कार्यरत रहने के अलावा गजराजा मेडीकल कालेज का छात्र भी रहा हूं। साहित्य में रूचि आदरणीय पिताजी , माताजी और पारिवारिक परिवेश में जीवन के प्रारम्भिक काल सें ही रही जिससे साहित्य पढ़नै में रूचि रही फलस्वरूप धार्मिक साहित्य के अतिरिक्त प्रेमचंद जी, रामधारी सिंह दिनकर, मैथलीशरण शरण गुप्त,श्री हरिवंशराय बच्चन,कबीरदास जी, तुलसीदास जी के समग्र साहित्य को पढ़ने का सौभाग्य मिला।
प्रश्न 5. वाजपेयी जी, हमारे पाठक और श्रोता जानना चाहते हैं आपके बचपन का बालविनोद भरा वो किस्सा, जो आपको आज भी याद है और जिसके याद आते ही आपकी बरबस हँसी छूट जाती है।
वाजपेयी जी :- हाँ, जब मैं 7-8बर्ष का रहा होऊंगा तब बंदर के बच्चे को पकड़ने की कोशिश जिसके फलस्वरूप मुझै बंदरिया ने आँख के पास काट लिया था और मेरी माताजी ने बंदरिया को डंडे से पीट कर मुझे छुड़ाया था हाँलाकि खून बह रहा था,फिर मल्हम-पट्टी हुई और डाँट भी पड़ी।
प्रश्न 6. आप के गृह नगर के अतिरिक्त कौन सा ऐसा स्थान है जो आपको सबसे अधिक रूचिकर लगता है और क्यों?
वाजपेयी जी :- आगरा जहाँ मेरा बचपन बीता।आगरा का पावन यमुना किनारा जहाँ अपनी नानीजी और माँ के साथ यमुना-स्नान मंदिर दर्शन और एतिहासिक इमारतों को देखने का क्रम रहा।
प्रश्न 7. वाजपेयी जी, यूँ तो एक लेखक और कवि के लिए अपनी सभी रचनाएं बहुत प्रिय होती हैं। फिर भी हम आपकी सबसे प्रिय कविता के बारे में जानना चाहेंगे साथ ही आपसे उसे सुनाने का आग्रह भी रहेगा।
वाजपेयी जी :- यूँ तो मुझे अपनी सभी रचनाएं अच्छी लगती हैं
कितुं एक रचना हम अपने “स्व” को पहचानें इसलिए मन को ज्यादा पसंद है क्योंकि उसमें अपने स्व जो हजार सालों की गुलामी और उसके प्रतिकार करतें-करते उसे भूल से गये हैं इसमें उसी की बात है।
प्रश्न 8. आप अपने कार्यक्षेत्र और अधिक समय लेने वाले अति विशिष्ट लेखन जैसे कार्य में कैसे सामंज्य बिठाते हैं?
वाजपेयी जी :- माँ शारदे की कृपा से सब सहज हो ही जाता है।
प्रश्न 9. आप की दृष्टि में साहित्य क्या है और ये किस प्रकार समाज के लिए उपयोगी हो सकता है?
वाजपेयी जी :- साहित्य का तात्पर्य उस लेखन से है लो लोक-चेतना के परिष्कार और मंगल हेतु हो।
विसंगतियों सें लड़ने की प्रेरणा दें,मानवीय-मूल्यों का संवर्धन कर दिशा-वोधकारक भी हो।
ऐसा साहित्य हमेशा समाजोपयोगी ही होता है।
प्रश्न 10. वाजपेयी जी, आपने बहुत से समाचार पत्रों में एक विशेष काॅलम लिखा है। जब आपका पहला छपा तब आपको कैसी अनुभूति हुई?
वाजपेयी जी :- यह हर्षानुभूति तो हर उस लेखक को होती है जिसकी पहली रचना जब छपी कर आती है।
समझने की सुविधा हेतु इसे गूंगें का गुड़ कह लें।
प्रश्न 11. वाजपेयी जी, आपने अब तक के लंबे जीवनकाल में बहुत से पुरुस्कार प्राप्त किये हैं। आप अपनी इन उपलब्धियों को कैसे देखते हैं? क्या आप प्रफुल्लित हैं?
वाजपेयी जी :- लेखन पुरस्कार की दृष्टि से किया जाना उचित नहीं हैं।
लेखन अपने दायित्व सापेक्ष हो और उसकी पूर्ति होती हुई लोक-चेतना में दिखती है तो प्रफुल्लता स्वमेव आती ही है।
प्रश्न 12. आपने भक्ति रस में बहुत ही उत्तम श्रेणी का सृजन किया हैं। आपकी एक पुस्तक भी उस पर आ रही है – वंदना लोक। उसमें भक्ति और अध्यात्म का किस तरह से विवेचन किया गया है? उनमें हम आपकी सबसे प्रिय कविता भी सुनना चाहेंगे।
वाजपेयी जी :- अध्यात्म के लिये भक्ति एक उपादान है।
अध्यात्म का मोटा अर्ध अपने को ईश्वरीय -चेतना का अंश मान उसी स्वंय से साक्षात्कार करना ही है।
“चलो आज ईश्वर को पायें”
ऐसी ही एक रचना हैं।
प्रश्न 13. क्या आप किसी एक ऐसे एतिहासिक पात्र को अपने दृष्टिकोण से उकेरने का प्रयास करेंगी, जिसको आपके दृष्टिकोण से इतिहास के पन्नों में स्थान नहीं मिला है अथवा एतिहासिक परिप्रेक्ष्य में उनके साथ न्याय नहीं हुआ है, यदि हां तो वह कौन हैं और आपको क्यों लगता है कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ है?
वाजपेयी जी :- शुंग-वंश का संस्थापक पुष्यमित्र शुंग जो अंतिम मौर्य शासक था। वृहद्रथ का वध कर शासक बना और भारत की विदेशी हमलावरों और घुसपेठियों से रक्षा की। वर्तमान इतिहासकारों ने उसके महत्व को उचित स्वीकृति नहीं दी है, भविष्य अवश्य उनके साथ न्याय करेगा।
प्रश्न 14. आप अपने समकालीन लेखकों या कवियों में किन से अधिक प्रभावित हैं?
वाजपेयी जी :- श्री रामधारी सिंह दिनकर जी और श्रद्धेय अटल जी।
प्रश्न 15. वाजपेयी जी, आप इतने प्रसिद्ध कवि हैं। यहाँ हम बात करना चाहते हैं आपकी लिखी पुस्तक शब्द शिखर के बारे में। उसमें किस तरह के गीत आपने लिखे हैं?
वाजपेयी जी :- शब्द-शिखर में भारतीय लोक-चेतना के स्वर हैं।
प्रश्न 16. वाजपेयी जी, साहित्यिक परिशिष्ट में आप आज के लेखकों और कवियों का क्या भविष्य देखते हैं?
वाजपेयी जी :- लेखकीय दायित्व-वोध के साथ किया लेखन सर्वयुगीन होता ही है और वह अतीत मकभी नहीं होता वह हमेशा भविष्य का प्रतिसाद दाता ही रहा है और रहेगा।
प्रश्न 17. लेखन के अतिरिक्त ऐसा कौन सा कार्य है, जो आप को विशेष प्रिय है?
वाजपेयी जी :- राष्ट्रीय और सामाजिक विषयों पर चर्चा और सामाजिक कार्य।
प्रश्न 18. वाजपेयी जी, आपके दृष्टिकोण में क्या कविताओं में भावपक्ष एवं कलापक्ष का संतुलन होना आवश्यक है? यदि हां तो क्यों? अथवा प्रवाह के साथ रचना सृजन में इस संतुलन को पीछे छोड़ा जा सकता है, यदि हां तो क्यों?
वाजपेयी जी :- भाव-पक्ष और कला-पक्ष का संयोग होने में सुहागा है। कविता हृदय-गत भावों की निष्पत्ति होती है।
जहाँ इसका संतुलन टूटता है वहाँ पाठक का स्वयं समझ आ ही जाता है।
प्रश्न 19. वाजपेयी जी, काव्य लेखन की एक विधा है मुक्तक। आप काव्य लेखन की विविध विधाओं के ज्ञाता हैं। आपकी पुस्तक मुक्तक लोक में आपने किस तरह के मुक्तक लिखे हैं?
वाजपेयी जी :- जीवन के विभिन्न आयामों, भावों, ऋतुओं और विविध दृश्यों पर लिखे गये हैं।
प्रश्न 20. आपने लेखन की दोनों विद्याओं गद्य और पद्य में लेखन किया है। आपको किस विद्या में लिखना अधिक सहज लगता है?
वाजपेयी जी :- मेरे लिए दोनों ही विधाओं में लिखना सहज है।
प्रश्न 21. वाजपेयी जी, श्री राधा गोपीनाथ बाबा की प्रमुखता में चल रहे कल्पकथा परिवार आज तीन वर्ष पूरे करते हुए अपना स्थापना मास मना रहा है। आप इस परिवार के वरिष्ठ सदस्य हैं। आपके कल्पकथा परिवार के साथ अनुभव क्या और कैसे हैं?
वाजपेयी जी :- लोक-चेतना संवर्धन और साहित्य-सेवा का प्रकल्प है कल्प-कथा।
सफल तीन वर्षो की साधना हेतु मैं इसके संचालकों को हार्दिक बधाईयां देता हूं और हार्दिक अभिनन्दन भी करता हूं।
प्रश्न 22. आप अपने पाठकों, दर्शकों और समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं?
वाजपेयी जी :- अपने स्व,अपने गौरव अपनी विरासत को पहचानें और कलमकार उसे जन-भावनाओं में प्रसारित, प्रवाहित करने के अपने दायित्व को निभाएं, यही राष्ट्र और समय की युगीन अपेक्षा है।
✍🏻 वार्ता : श्री राज किशोर वाजपेयी “अभय”
कल्प व्यक्तित्व परिचय में आज देश के प्रसिद्ध एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री राज किशोर वाजपेयी “अभय” जी से परिचय हुआ। ये ग्वालियर (मप्र) से हैं एवं सुन्दर व्यक्तित्व की धनी हैं। इनका लेखन विभिन्न रसों से सराबोर है। साथ ही ये इतिहास के जानकार भी हैं। आप को इनका लेखन, इनसे मिलना कैसा लगा, हमें अवश्य सूचित करें। इनके साथ हुई भेंटवार्ता को आप नीचे दिये कल्पकथा के यू ट्यूब चैनल लिंक के माध्यम से देख सुन सकते हैं। 👇
https://www.youtube.com/live/OY9VJdTpjkI?si=8sPmnTKXlE9f0-kp
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मिलते हैं अगले सप्ताह एक और विशिष्ट साहित्यकार से। तब तक के लिए हमें आज्ञा दीजिये।
राधे राधे 🙏 🌷 🙏
✍🏻 लिखते रहिये, 📖 पढते रहिये और 🚶बढते रहिये। 🌟
✍🏻 प्रश्नकर्ता : कल्पकथा प्रबंधन
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