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!! “व्यक्तित्व परिचय : श्री सुन्दरलाल जोशी “सूरज” जी” !!

!! “व्यक्तित्व परिचय : श्री सुन्दरलाल जोशी सूरज” !! 

 

 

!! “मेरा परिचय” !! 

 

नाम :- सुंदरलाल जोशी ‘सूरज’

 

माता/पिता का नाम :-

स्व.श्री कन्हैयालाल जोशी 

 

जन्म स्थान एवं जन्म तिथि :-गांव रुपेटा(नागदा जंक्शन)

 

पत्नी का नाम :-श्रीमती गायत्री देवी 

 

बच्चों के नाम :-

हेमंत कुमार जोशी (विवाहित)

अर्चना शर्मा (विवाहित) 

 

शिक्षा :-एम ए हिंदी,एम काम, कोविद, विद्या वाचस्पति 

 

व्यावसाय :-

सेवा निवृत्त शिक्षक

(शास .हायर सेकेण्डरी स्कूल नागदा से )

पंडिताई 

 

वर्तमान निवास :-

101महावीर मार्ग,गुलाब बाई कालोनी नागदा जंक्शन।456-335

जिला-उज्जैन (मध्य प्रदेश)

 

आपकी मेल आई डी :- 

sundarsooraj56@gmail.com

 

आपकी कृतियाँ :-

काव्य संग्रह

 

1सूरज का स्पर्श(2013)

2मनोभाव (2024)

खंड काव्य

श्रीकृष्णार्जुन(2024)

 

आपकी विशिष्ट कृतियाँ :-

उपरोक्त 

 

आपकी प्रकाशित कृतियाँ :-

उपरोक्त 

 

पुरूस्कार एवं विशिष्ट स्थान :-

1 द ब्रिटिश वर्ल्ड रिकॉर्ड में कविता का प्रकाशन 2020 में जैन संत पर लिखी रचना।

 

2 आफिसियल वर्ल्ड रिकॉर्ड (स्पेन) से सम्मानित 2022में

(अरुणाचल प्रदेश की जानकारी दोहों और चौपाइयों में लिखने पर)।

 

3 अंतरराष्ट्रीय काव्य प्रेमी मंच (*तंजानिया*) द्वारा आयुर्वेद को जानें वृहद काव्यात्मक ग्रंथ में (*मौलसिरी पेड़ की उपयोगिता पर 30 दोहे*) लिखने पर

सम्मान पत्र।

 ये दोहे 

*गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज*

4 अभिव्यक्ति विचार मंच द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में संभाग में —

श्रेष्ठ कविता के लिए 2008

और 2024 में माँ कविता के लिए (सर्वोत्तम से श्रेष्ठ) पुरूस्कार।

तथा गौरैया रचना 2024 के लिए द्वितीय पुरूस्कार।

 

52019में इंदौर में राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान।

 

6 डा थावरचंद जी गेहलोत (वर्तमान में कर्नाटक राज्य पाल)

द्वारा सम्मानित।

 

एवं 

 

7 अनेक पुरस्कारों से सम्मानित ।

 

8 अभी तक लगभग 1000अभिनंदन पत्र लिख चुका हूंँ।

(9 )जबलपुर में 9/11//24 को खंड काव्य श्री कृष्णार्जुन के लिए कादंबरी सम्मान।

 

विवरण अलग से भेज रहा हूँ।

(10) आकाशवाणी पर काव्य पाठ।

भोपाल दूरदर्शन पर (30/11/24) काव्य पाठ।

 

 

 

 

 

 

!! “मेरी पसंद” !!

 

उत्सव :-दीपावली 

 

भोजन :-दाल-बाटी

 

रंग :-पीला

 

परिधान :-सफारी सूट

 

स्थान एवं तीर्थ स्थान :-

केदारनाथ

चारों धाम की यात्रा कर चुका हूंँ।

 

लेखक/लेखिका :-

 

कवि/कवयित्री :-

तुलसी दास 

 

उपन्यास/कहानी/पुस्तक :-श्रीमद्भगवत गीता

 

कविता/गीत/काव्य खंड :-पंचवटी

 

खेल :-वालीवाल 

 

फिल्में/धारावाहिक (यदि देखते हैं तो) :-शोले ,संगम

 

आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :-

 

महाराणा प्रताप (कविता) 

 

 

 

!! “कल्पकथा के प्रश्न” !!

 

प्रश्न 1. जोशी जी, सबसे पहले हम आपके पारिवारिक एवं साहित्यिक परिवेश के बारे में जानना चाहते हैं।

 

जोशी जी :- हम छः भाई-बहन हैं।

बेटा – बहू शिक्षक है।

 

मेरे दादाजी और पिताजी भी शिक्षक थे और मेरे घर पर शिक्षकों का आना-जाना लगा रहता था।इस कारण मेरा मन भी शिक्षक बनने का हुआ।इसी वातावरण ने बेटे बहू को शिक्षक बनने की ओर प्रेरित किया।

मेरा एक भाई भी शासकीय शिक्षक ही है।

 

 

 

प्रश्न 2. साहित्य जगत से आपका परिचय कब और कैसे हुआ?

 

जोशी जी :- 1973 में दसवीं पढता था तब पहली बार पंक्तियांँ लिखीं थीं। 1976में रतलाम से निकलने वाले समाचार पत्र आलोकन में *वह कौन थी* पहली कविता प्रकाशित हुई। 1982 सुसाहित्य विकास संस्था की त्रैमासिक पत्रिका का सह सम्पादक बना। बाद में अनेक पत्रिकाओं का सम्पादन किया। 2-3 पुस्तकों की भूमिका लिखीं।

 

 

 

 

प्रश्न 3. जोशी जी, कल्पकथा के इस भेंटवार्ता कार्यक्रम में हम हिन्दी साहित्य के साहित्यकार की रुचि अभिरुचि को वार्ता के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं, आप इस कार्यक्रम को कैसे देखतें हैं? क्या आप उत्साहित हैं? 

 

जोशी जी :- हाँ, पहली बार ऐसे कार्यक्रम में भाग ले रहा हूंँ। वैसे आनलाइन कई कार्यक्रम कर चुका हूंँ।ऐसे कार्यक्रमों से साहित्य में रूचि रखने वालों निश्चित ही कुछ नया मिलेगा। देश एक नए साहित्यकार से परिचित होगा‌। ऐसे कार्यक्रम के लिए आपको धन्यवाद देता हूंँ और आपका आभार व्यक्त करते हुए कहना चाहूँगा–

 

हर समय प्रेम दीप जलता रहे।

सूर्य किरणों से सुमन खिलता रहे ।

और याद करते रहेंगे आपको हम,

बस आपका प्रेम यूंँ ही बरसता रहे।

 

 

 

प्रश्न 4. जोशी जी, आप मूल रूप से मध्यप्रदेश के नागदा नगर से हैं। इस नगर की विशेषता के बारे में आप अपने शब्दों में हमारे दर्शकों और पाठकों को बताइये। 

 

जोशी जी :- यह राजा जन्मेजय की ऐतिहासिक नगरी है आज से लगभग 5000वर्ष पूर्व राजा जन्मेजय ने अपने पिता परिक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए यहाँ पर नाग यज्ञ किया था, उनके पिता को तक्षक नाम के एक सर्प ने डस लिया था ।इस कारण अपने कुल पुरोहितों को बुलाकर सारे नागों को मारने का प्रण लिया और उसके लिए एक महायज्ञ का आयोजन किया जो लगभग 20 किलो मीटर की परिधि में फैला हुआ था।चंबल नदी के किनारे आज भी वह स्थान सुरक्षित है एक ऊंँचे टीले के रूप में ।नागों का दाह हुआ इसी कारण इस स्थान का नाम नागदाह से नागदा पड़ा।इस यज्ञ को सम्पन्न कराने वाले ब्राह्मण नागदाह अग्निहोत्री ब्राह्मण कहलायें।

 

 

 

प्रश्न 6. जोशी जी आप व्यावसायिक क्षेत्र के विशिष्ट कार्य के बारे में कुछ बताइये। साथ ही हम आपकी एक कविता भी सुनना चाहेंगे। 

 

जोशी जी :- काव्य लेखन के अलावा पंडिताई, जन्म पत्रिका बनाना और सामाजिक गतिविधियों में समय देता हूँ।

 

शृंगार की कुछ पंक्तियांँ , दोहे सुनाऊंँगा।

 

 

 

प्रश्न 7. आप के गृह नगर के अतिरिक्त कौन सा ऐसा स्थान है जो आपको सबसे अधिक रूचिकर लगता है और क्यों?

 

जोशी जी :- केदारनाथ 

क्योंकि केदारनाथ में बर्फीली चोटियाँ मुझे बहुत आकर्षित करती है।यह एक अद्भुत स्थान है और शिव तो देवों को देव महादेव है मुझे बचपन से ही भगवान शिव से विशेष लगाव रहा है।

 

भगवान शिव की महिमा में लिखा गया श्री शिवमहिम्न स्तोत्र का यह श्लोक मुझे अत्यधिक प्रिय है —

 

असितगिरिसमं स्यात् कज्जलं सिंधुपात्रे।

सुरतरुवर शाखा लेखनी पत्र मुर्वी।

लिखती यदि शारदा सर्वकालं।

तदपि तव गुणानामीश पारं न याति।।

(32)

 

प्रश्न 8. जोशी जी, आपने अपनी पुस्तक “मनोभाव” की चर्चा की है। अपनी इस पुस्तक के बारे में कुछ बताइये। 

 

 जोशी जी :- मनोभाव काव्य संग्रह में लगभग 100 पृष्ठों में 61 रचनाएंँ हैं। उन्हें चार भागों में -प्रार्थना खंड,देश भक्ति खंड, शृंगार खंड और विविध खंडों में विभाजित किया है। इससे पाठकों को अपनी रूचि अनुसार पढ़ने में सुविधा का ध्यान रखा। काव्य संग्रह के अंत में आभार स्वरूप अपने कुछ परिचित कवियों, साहित्य रसिकों के लिए भी 4 -4 पंक्तियांँ लिखीं।क्योंकि उनके मार्गदर्शन ने ही कविता लिखने की प्रेरणा दी।

 

 

प्रश्न 9. आप अपने व्यक्तिगत व्यवसाय और लेखन में कैसे सामंज्य बिठाते हैं?

 

जोशी जी :- विगत सात वर्षों से सेवा निवृत्त हूँ और कुछ नया करने की ललक के कारण सांमन्जस्य बिठाता हूँ।देर रात तक भी लिखता हूंँ। काव्य के प्रति मेरी रूचि यह सब करवाती है। मैंने 2013 के बाद 95% रचनाएंँ मात्रात्मक ही लिखीं हैं। और यही मुझे पसंद भी है।

 

 

 

 

प्रश्न 10. आप की दृष्टि में साहित्य क्या है और ये किस प्रकार समाज के लिए उपयोगी हो सकता है?

 

जोशी जी :- साहित्य समाज का दर्पण है। मैं इस बात से सहमत हूंँ। समाज में जो घटता है। कवि उस पर कलम अवश्य चलाता है। ऐसी रचनाएंँ धरोहर बन जाती हैं। साहित्य के द्वारा सोते समाज को जगाया जा सकता है। उसमें नया संचार किया जा सकता है। शासन प्रमुखों को वास्तविकता से परिचित कराया जा सकता है।

 

 

प्रश्न 11. जोशी जी, आपने “श्री कृष्णार्जुन” पुस्तक का सृजन किया है। ये क्या है और इसमें किस प्रकार की रचनायें हैं?

 

जोशी जी :- मुझे गीता से बहुत लगाव है। महाभारत मुझे प्रिय है। इसी कारण श्रीकृष्ण अर्जुन के संवाद को मैं अपने ढंग से 16-14 मात्रा के छंद के रूप में लिखा।यह गीता का अनुवाद कतई नहीं है। इसमें नब्बे छंद है। पचास पृष्ठ है।

 

 

 

प्रश्न 12. जोशी जी, आपने अब तक के लंबे जीवनकाल में बहुत से पुरुस्कार प्राप्त किये हैं। आप अपनी इन उपलब्धियों को कैसे देखते हैं? क्या आप प्रफुल्लित हैं

 

जोशी जी :- काव्य जीवन के मैं 50 वर्ष पूरे किए हैं। ईश्वर कृपा से लोग मुझे कवि के रूप में ही अधिक जानते हैं ‌विगत 8 वर्षों से मैं प्रति दिन चार नई पंक्तियांँ लिखकर वाट्सएप पर लगभग 20 समूहों में भेजता हूँ।

पाठकों का आशीष और मार्गदर्शन मिलता है।

साहित्य के लिए जो समय दिया,उसका पुरूस्कार अभिनंदन पत्रों के रूप में एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन एवं प्राप्त प्रमाण-पत्रों और पाठकों के स्नेह से मैं संतुष्ट हूँ।

 

 

 

 

 

प्रश्न 13. आपने श्रृंगार रस वीर रस में बहुत ही उत्तम श्रेणी का सृजन किया हैं। उनमें हम आपकी सबसे प्रिय कविता सुनना चाहेंगे। 

 

जोशी जी :- मेरा देश

इस रचना में वर्णित स्थानों में से लगभग 95% स्थानों पर मैं गया हूंँ और उसके बाद मैंने यह रचना लिखी है।

 

 

 

प्रश्न 14. आप अपने समकालीन लेखकों या कवियों में किन से अधिक प्रभावित हैं?

 

जोशी जी :- हरिओम पंवार।

 

क्योंकि हरिओम पंँवार जी ओज के जाने-माने कवि है।

उनकी विशेषता यह है कि उन्हें सारी रचनाएँ कंठस्थ है।

मेरी कमजोरी रही है कि मुझे अपनी ही कोई कविता पूरी याद नहीं है।वे कड़वा सच कहते हैं। और एक सच्चे देशभक्त है।

 

 

 

प्रश्न 15. जोशी जी, आप इतने प्रसिद्ध कवि हैं। यहाँ हम बात करना चाहते हैं आपकी लिखी पुस्तक “सूरज का स्पर्श” के बारे में। ये नाम चुनने की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली? 

 

जोशी जी :- 2013 में जब मेरा यह काव्य संग्रह पूरा हुआ तो उस समय मेरे यहांँ पोता हुआ उसका नाम स्पर्श रखा था। सूरज नाम से कविता लिखता हूंँ। यही दिमाग में चल रहा था और काव्य संग्रह का नाम सूरज का स्पर्श रख दिया।

वैसे भी मैं सूर्य को अपना इष्ट देव मानता हूँ‌।

 

 

 

प्रश्न 16. जोशी जी, साहित्यिक परिशिष्ट में आप आज के लेखकों और कवियों का क्या भविष्य देखते हैं?

 

जोशी जी :- एक सिद्धांत है -जो दिखेगा वह बिकेगा।

 

आपकी रचना कितनी भी अच्छी हो।जब तक पाठकों तक नहीं पहुंँचती वह केवल स्वांत: सुखाय रह जाती है।

अच्छे पाठकों का अभाव है। क्योंकि सबका एकमात्र उद्देश्य धन कमाना रह गया है।इस कारण लोगों के पास समय नहीं है।

मंचों पर कविता कम और फुहड़ हास्य का चलन भी अच्छी कविता के रुझान को कम कर रहा है।

कवि सम्मेलनों,टी वी पर जिनको अवसर मिलता है और पत्र-पत्रिकाओं में जो छपते रहते हैं उनका भविष्य उज्ज्वल दिखता है ‌।

 

 

 

प्रश्न 17. लेखन के अतिरिक्त ऐसा कौन सा कार्य है, जो आप को विशेष प्रिय है? 

 

जोशी जी :- पौराणिक कथा कहना।

ईश्वर भक्ति ।

 

मेरे दादाजी और पिताजी दोनों ही अच्छे कथा वाचक थे। मुझे बचपन से ही अपने साथ रखते थे। इस कारण मेरी रूचि इस कार्य में लग गई। क्योंकि इसमें स्वार्थ और परमार्थ दोनों हैं।श्री सत्यनारायण कथा और गरुड़ पुराण से मेरा विशेष लगाव रहा।

आज भी लगभग एक घंटा रोज पूजा पाठ करता हूँ।

 

 

प्रश्न 18. जोशी जी, हमने आपकी एक कविता पढी “राणा प्रताप”। इस कविता को लिखने का भाव कब और कैसे उद्भव हुआ?

 

जोशी जी :- जब मैं चित्तौड़गढ़ घूमने गया तो हल्दीघाटी गया। संग्रहालय देखा और मन हुआ कि कुछ पंक्तियां महाराणा प्रताप पर लिखूँ। वैसे भी वीर रस मुझे प्रिय है। मैंने सैनिकों पर भी दस छंदों की रचना लिखी।

 

 

 

प्रश्न 19. जोशी जी, आपके दृष्टिकोण में क्या कविताओं में भावपक्ष एवं कलापक्ष का संतुलन होना आवश्यक है? यदि हां तो क्यों? अथवा प्रवाह के साथ रचना सृजन में इस संतुलन को पीछे छोड़ा जा सकता है, यदि हां तो क्यों?

 

जोशी जी :- बिना भाव पक्ष और कला पक्ष के सक्षम हुए बिना तो कविता का आनंद ही नहीं आएगा। वह पाठकों पर अपना प्रभाव नहीं डाल पाएगी।

 

प्रवाह के साथ कला पक्ष और भाव पक्ष में सदा पीछे नहीं छोड़ा जा सकता। अन्यथा कवि पाठकों के मन पर प्रभाव नहीं डाल पाएगा।

 

 

 

प्रश्न 20. आप अपने पाठकों, दर्शकों और समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं?

 

जोशी जी :- गद्य या पद्य का उद्देश्य समाज को एक जुट करना। उसे अपने सही इतिहास से परिचित कराना।

 

रचना के माध्यम से समाज की वास्तविकता से पाठकों को परिचित कराकर देश के नव निर्माण में योगदान देने के लिए विशेषकर युवाओं को प्रेरित करना ।

 

वार्ता : ✍🏻 श्री सुन्दरलाल जोशी “सूरज” 

 

कल्प व्यक्तित्व परिचय में आज वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुन्दरलाल जोशी “सूरज” जी से परिचय हुआ। ये नागदा, उज्जैन (मप्र) से हैं एवं सुन्दर व्यक्तित्व की धनी हैं। इनका लेखन वीर और श्रृंगार रस से सराबोर है। साथ ही ये पांडित्य गुण भी रखते हैं। आप को इनका लेखन, इनसे मिलना कैसा लगा, हमें अवश्य सूचित करें। इनके साथ हुई भेंटवार्ता को आप नीचे दिये कल्पकथा के यू ट्यूब चैनल लिंक के माध्यम से देख सुन सकते हैं। 👇

 

https://www.youtube.com/live/VEkAKlSrfdc?si=iAlroiYOof5REEo9

 

 

इनसे मिलना और इन्हें पढना आपको कैसा लगा? हमें कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट लिख कर अवश्य बताएं। हम आपके मनोभावों को जानने के लिए व्यग्रता से उत्सुक हैं। 

मिलते हैं अगले सप्ताह एक और विशिष्ट साहित्यकार से। तब तक के लिए हमें आज्ञा दीजिये। 

राधे राधे 🙏 🌷 🙏 

 

✍🏻 लिखते रहिये, 📖 पढते रहिये और 🚶बढते रहिये। 🌟 

 

 

 

✍🏻 कल्पकथा प्रबंधन

 

कल्प भेंटवार्ता

One Reply to “!! “व्यक्तित्व परिचय : श्री सुन्दरलाल जोशी “सूरज” जी” !!”

  • पवनेश

    राधे राधे,
    आदरणीय श्री सुंदर लाल जोशी सूरज जी के साथ भेंटवार्ता कार्यक्रम अत्यंत आनंददायक रहा। 🙏🌹🙏

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