Dark

Auto

Light

Dark

Auto

Light

1_20250224_202546_0000

⛩️  !! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती डॉ नीलू सक्सेना” !!  ⛩️ 

⛩️  !! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती डॉ नीलू सक्सेना” !!  ⛩️ 

 

 

!! “मेरा परिचय” !! 

 

 

नाम :- नीलू सक्सेना कस्तूरी 

 

माता/पिता का नाम :- स्व. श्री चंद्रेश कुमार सक्सेना 

माता का नाम : स्वर्गीय श्रीमती रेणुका देवी सक्सेना

 

जन्म स्थान एवं : मंदसौर 

जन्म तिथि :-27 मार्च 

 

 

पति का नाम :- श्री गिरजा शंकर सक्सेना

 

बच्चों के नाम :- श्रीमती आकांक्षा सक्सेना श्रीमती मिशाली वर्मा सक्सेना

 

शिक्षा :- MA समाजशास्त्र

 

व्यावसाय :- समाजसेविका

 

वर्तमान निवास :- देवास

 

मेल आईडी :- neelusaxena @ gmail.com

 

आपकी कृतियाँ :- 1 अलभोर 

2 मन के कागज पर 

 

 

आपकी विशिष्ट कृतियाँ :- 2 ही है 

 

आपकी प्रकाशित कृतियाँ :-1 अलभोर मन के कागज पर 

 

पुरूस्कार एवं विशिष्ट स्थान :- वार्ड आप कल्पना चावला अवार्ड, महादेवी वर्मा अवार्ड, भव्य फाउंडेशन द्वारा सम्मान से सम्मानित, मैं अवार्ड से सम्मानित इनर व्हील क्लब अध्यक्ष,

एक्सीलेंस अवॉर्ड एक्टिव मेंबर्स कवर्ड

 

 

 

 

 

 

!! “मेरी पसंद” !!

 

 

उत्सव :- होली

 

भोजन : सादा संतुलित भोजन 

 

रंग :हरा

 

परिधान :साड़ी , सलवार सूट 

 

स्थान एवं तीर्थ स्थान :कश्मीर,

उतराखंड

 

लेखक/लेखिका :मुंशी प्रेमचंद जी

 

कवि/कवयित्री :- कुछ खास नहीं पसंद

 

उपन्यास/कहानी/पुस्तक :- गोदान

उपन्यास और पुस्तक मुंशी प्रेमचंद जी की स्वामी विवेकानंद जी की पढ़ना पसंद करती हूं ।

 

कविता/गीत/काव्य खंड : गीत तोरा मन दर्पण कहलाए।

 

खेल :- 

उत्तर : बचपन में कई खेल खेले हैं परंतु अभी तो मैं सिर्फ घूमने और योगा करना ही पसंद करती हूं और नियमित रूप से करती हूं।

 

मूवीज/धारावाहिक (यदि देखती हैं तो) :-

उत्तर : मूवीस में सामाजिक मूवी देखना ज्यादा पसंद करती हूं और सीरियल में कौन बनेगा करोड़पति।

 

आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :-

देखी मेरी दो कृतियों छप चुकी है पहले *अलभोर* और दूसरी *मन के कागज* पर सांझा संकलनों में 30 पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं।

 

 

 

 

!! “कल्पकथा के प्रश्न” !!

 

 

 

प्रश्न 1. डॉ नीलू जी, सबसे पहले आपके व्यक्तिगत एवं साहित्यिक परिवेश के बारे में हमें बताइये। 

 

नीलू जी :- मैं एक साधारण सी लेखिका कवयित्री साहित्यकार स्वतंत्र लेखिका हूं। साथ ही समाजसेवी भी हूं।

ज्यादा कुछ नहीं जानती पर महिलाओं के बारे में करुण रस के बारे में ज्यादा लिखने और अभी-अभी आध्यात्मिकता के ऊपर भी लिखना शुरू किया है ।

 

 

 

 

प्रश्न 2. नीलू जी, आप कल्पकथा के साथ इस भेंटवार्ता को कैसे देखती हैं? क्या आप उत्साहित हैं?

 

नीलू जी :- हां मैं उत्साहित हूं परंतु अभी समय की कुछ कमी होने के कारण व्यस्तता होने के कारण में ज्यादा समय नहीं दे पा रही हुं ।

 

 

 

 

 

प्रश्न 3. नीलू जी, आप मूल रूप से माँ तुलजा भवानी की धरती देवास से हैं। उस नगर के बारे में अपने शब्दों में कुछ बताइये। 

 

नीलू जी :- देवास एक धार्मिक नगरी औद्योगिक नगरी के रूप में जानी जाती है साथ ही यहां पर बड़ा प्रसिद्ध स्वयंभू माता मां चामुंडा माता तुलजा का मंदिर पहाड़ी पर है जिसे देवास के लोग टेकरी कहते हैं। देवास में बैंक नोट प्रेस भी है जहां पर 500 रुपए के नोट छपते हैं।

 

 

 

 

प्रश्न 4. नीलू जी, आप पत्नी, गृहणी, माँ, कामकाजी स्त्री और अतुलनीय कवयित्री हैं। आप इतनी भूमिकाओं को निभाते हुए समय प्रबंधन कैसे करती हैं?

 

नीलू जी :- यह सब मैनेज करना पड़ता है समय प्रबंधन। घर गृहस्थी में रहते हुए अपने लिए समय निकालना अपने लिए जीना बहुत मुश्किल होता है। परंतु समय निकाला जा सकता है समय प्रबंधन के माध्यम से।

 

 

 

 

प्रश्न 5. जीवन में कभी सफ़लता तो कभी असफलता भी आती रहती है। आप इन सफलताओं और असफलताओं को कैसे देखती हैं?

 

नीलू जी :- जीवन में सफलता असफलता तो आती ही रहती है। हर समय हम सफल ही सफल नहीं हो सकते असफलता का स्वाद चखना जरूरी होता है।

यह कोई नया विषय नहीं है।

हार के साथ जीत भी होती हैं, अंधेरी रात के बाद सूरज की किरणें आपकी तरफ भी आती है। 

 

 

 

 

प्रश्न 6. आप एक आशुकवि कहलाती हैं। आपकी अब तक की साहित्यिक यात्रा कैसी रही? साथ ही हम आपकी कोई एक कविता सुनना चाहेंगे।

 

नीलू जी :- जी हां 

तुम मेरे मौन हो।

 

 

 

 

प्रश्न 7. नीलू जी, कहते हैं बचपन सदैव मनोहारी होता है। हम जानना चाहेंगे आपके बचपन का वो किस्सा, जो आपको आज भी चहचहा देता है।

 

नीलू जी :- जब मैं पहली कविता लिखी थी तो मेरी मम्मी ने मुझे बहुत डांट लगाई थी कि अब तुम भगवान राम की भी हंसी उड़ाने लगी हो। परंतु जब उन्होंने पूरी कविता का मर्म समझा और जाना तो मुझे बहुत शाबासी दी।

 

 

 

 

प्रश्न 8. समय परिवर्तनशील है। स्वाभाविक है कि साहित्य जगत में भी परिवर्तन होते रहते हैं। आप इन परिवर्तनों को किस रूप में देखती हैं? 

 

नीलू जी :- मैं परिवर्तन को सही रूप में देखती हूं। जब सब जगह परिवर्तन हो रहा है तो साहित्य में क्यों ना हो? 

 

 

 

 

प्रश्न 9. आप आज के समय के किस लेखक या कवि से सबसे अधिक प्रभावित हैं? 

 

नीलू जी :- आज के समय में लेखक की सबकी अपने-अपने पसंद अपना प्रभावित होना है। किसी एक के ऊपर प्रभावित नहीं हो सकता मेरा ऐसा मानना है। फिर भी मैं श्री स्वर्गीय हरिवंश राय बच्चन जी को बहुत पसंद करती हूं।

 

 

 

 

प्रश्न 10. नीलू जी, आप अपने लेखन में कितनी अनुशासित हैं? 

 

नीलू जी :- मैं नियमित रूप से तो नहीं लिख पाती हूं। परंतु कोशिश पूरी रहती है, मेरी घर की जिम्मेदारियां बाहर की जिम्मेदारियां निभाते हुए जितना भी समय मिलता है, ईश भजन और साहित्य को देती हूं। हां, मैं पूरी कोशिश करती हूं *जय श्री कृष्ण*

 *सुप्रभात लिखने की* 

जिसमें एक मोटिवेशनल संदेश होता है।

 

 

 

 

 

प्रश्न 11. आज चारों ओर सोशल मीडिया का दबदबा आप देखती होंगी? ये साहित्य जगत के लिए किस प्रकार सहायक सिद्ध हों सकता है?

 

नीलू जी :- सोशल मीडिया के कारण साहित्य को काफी अच्छे से बढ़ावा मिला है लेखक अपनी रचनाएं बीना किसी फॉर्मेलिटी के सोशल मीडिया पर डालकर प्रसिद्ध भी हो सकते हैं पर इसके कुछ विपरीत परिणाम भी देखने को मिलते हैं जो अश्लील साहित्य में पेश करते हैं।

 

 

 

 

प्रश्न 12. नीलू जी, हम देखते हैं कि आजकल रचनाओं में भाषा सम्मिश्रण बहुत अधिक हो गया है। आप इस विषय पर क्या सोचती हैं? साथ ही हम आपकी वो कविता भी सुनना चाहेंगे, जो आपको विशेष प्रिय हो।  

 

नीलू जी :- चाय सोते को जगाती है सदा नींद सस्ती को भागती है सदा। 

 

 

 

 

प्रश्न 13. समसामयिक लेखन पर आपके क्या विचार हैं? 

 

नीलू जी :- समसामयिक विषय पर लिखना बहुत जरूरी है ज्वलंत मुद्दों पर लिखा जा सकता है और वह आज के साहित्य में काफी सहायक होता है।

 

 

 

 

प्रश्न 14. काव्य विधा का आठ रसों में सृजन होता है। आप काव्य के कौन से रस में लिखना अधिक पसंद करती हैं? 

 

नीलू जी :- में भक्तिरस करुण रस और हास्य रस पर लिखना पसंद करती हूं।

 

 

 

 

प्रश्न 15. कहते हैं लेखन तभी सार्थक होता है, जब वो देशहित में कार्य करे। आप अपने लेखन को इस तर्क पर कैसे सिद्ध करती हैं? 

 

नीलू जी :- देश के प्रति प्रेम होना ही लेखन को सार्थक नहीं करता। हमें भी स्वअनुशासित होना चाहिए। जैसे कि हम अपने घर के आस-पास का कचरा स्वयं साफ कर दिया करें। कचरा कचरा गाड़ी में डालें, गंदगी न फैलाएं। यातायात नियमों का पालन करें। किसी असहाय की सहायता करें। जरूरी नहीं कि हम देश की सीमा पर जाकर ही देश सेवा करें। देश की सेवा अपने कामों को सही अंजाम देते हुए भी हम कर सकते हैं।

 

 

 

 

 

प्रश्न 16. नीलू जी, आप रचनाएँ किसी माँग (विषय/परिस्थिति) पर सृजित करना पसंद करती हैं, या फिर स्वत: स्फूर्त सृजन को प्राथमिकता देती हैं?

 

नीलू जी :- दोनों ही प्रकार की रचनाएं लिखना पसंद करती हूं कई बार विषय होने के कारण हम तुरंत रचना लिख पाते हैं। और कई बार मन में आए विचारों को एक कविता का रूप देने की कोशिश करती हूं।

 

 

 

 

प्रश्न 17. नीलू जी, आपके दृष्टिकोण में क्या रचनाओं में भावपक्ष एवं कलापक्ष का संतुलन होना आवश्यक है? यदि हां तो क्यों? अथवा प्रवाह के साथ रचना सृजन में इस संतुलन को पीछे छोड़ा जा सकता है, यदि हां तो क्यों?

 

नीलू जी :- रचना में भाव प्रधान होना चाहिए। कई बार कला प्रधान रचनाएं भी पसंद की जाती है। मैं दोनों ही तरह की रचना लिखना चाहती हूं।

 

 

 

 

प्रश्न 18. नीलू जी, आधुनिक युग में काव्य रचनाओं के विष्लेषण के नाम पर तुलना किया जाना कुछ अधिक ही प्रचलित हो गया है, जिससे तुलना के स्थान पर छद्म आलोचना का माहौल बन जाता है। इस छद्म आलोचना का सामना कैसे किया जाना चाहिए?

 

नीलू जी :- हम क्यों किसी से साहित्य में तुलना करें या आलोचना करें वह हमें नहीं करना चाहिए सब अपना अपना स्वतंत्र लिखने के लिए चाहे वह गद्य हो चाहे पद्य हो चाहे गीत हो गजल हो रचनाएं हो आलोचना तो बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए मेरा ऐसा मानना है। बल्कि उन लोगों को कुछ सुझाव हम दे सकते है।

हमारे मन के भावों को लिखना बेहतर होता है ना कि किसी की नकल करना।

 

 

 

 

 

प्रश्न 19. क्या आप किसी एक ऐसे एतिहासिक पात्र को अपने दृष्टिकोण से उकेरने का प्रयास करेंगी, जिसको आपके दृष्टिकोण से इतिहास के पन्नों में स्थान नहीं मिला है या एतिहासिक परिप्रेक्ष्य में उनके साथ न्याय नहीं हुआ है, यदि हां तो वह कौन हैं और आपको क्यों लगता है कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ है?

 

नीलू जी :- इतिहास में मुझे ज्यादा रुचि नहीं है, फिर भी मैं स्वामी विवेकानंद जी को पढ़ना चाहती हूं।

स्वामी विवेकानंद को मैंने बहुत गहराई से पढ़ा है और मुझे अच्छा लगता है उनके बारे में तो काफी लिखा गया है। फिर भी मैं उन्हें ही पसंद करती हूं।

 

 

 

 

प्रश्न 20. लेखन के अतिरिक्त ऐसा कौन सा कार्य है, जो आप को विशेष प्रिय है? 

 

नीलू जी :- लेखन के अलावा समाज सेवा, पर्यावरण सुधारने की प्रकृति को करीब से देखने की बहुत चाह होती है। अभी तक मेरे द्वारा 1001 पौधे लगाए गए जिसमें से 665 पौधे वृक्ष बन चुके हैं। उनकी देखभाल करना, गरीब और सहायक कन्याओं का विवाह करवाना इत्यादि। मेरे द्वारा अभी तक सात कन्यादान ईश्वर के आशीर्वाद से हो चुके हैं। दूसरों की मदद करना अपने सामर्थ्य के अनुसार बहुत पसंद करती हूं। जरूरी नहीं कि हर बार हमने रुपयो पैसों से ही मदद करें। कई बार अच्छा मार्गदर्शन देखकर गरीब बस्ती में बच्चों को पढाकर, उनका सरकारी स्कूल में एडमिशन या प्राइवेट स्कूल में गवर्नमेंट के द्वारा दूध छूट मिलती है, उसमें करवा कर मुझे बहुत खुशी मिलती है। मैं ऑनलाइन शॉप शॉपिंग करना पसंद नहीं करती। मैं छोटी-छोटी दुकानों दुकानदारों से बात करती हूं। उनकी परेशानी समझती हूं, और उनसे ही सामान खरीदती हूं और अपने आसपास वालों को भी समझाती हूं। अगर हमारा पड़ोसी भूखा है तो हम चैन से कैसे सो सकते हैं? ऐसी मेरी सोच है।

 

 

 

 

 

प्रश्न 21. नीलू जी, आप विशिष्ट कौशल सम्पन्न हैं। क्या आपको लगता है कि आपके इस कौशल को लोगों तक विस्तारित करना चाहिए? 

 

नीलू जी :- जी बिल्कुल, मेरी कला को लोगों के बीच समाज के बीच पहुंचना, (विस्तारित करना) ही चाहिए जिससे लोगों को प्रेरणा मिले।

 

 

 

प्रश्न 22. श्री राधा गोपीनाथ बाबा की प्रमुखता में चल रहे कल्पकथा के कार्यों को तो आप देख ही रहीं हैं। क्या आपको लगता है कि ये कार्य समाज और साहित्य के हित में हैं? साथ ही हम जानना चाहेंगे आप इससे कितनी प्रभावित हैं? 

 

नीलू जी :- यह बिल्कुल समाज के हित में है और ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिए। जिसमें नव अंकुरण को भी साहित्य में एक अच्छा स्थान मिलता है।

 

 

 

प्रश्न 23. आप अपने पाठकों, हमारे दर्शकों, सभी लेखकों और समाज को क्या संदेश देना चाहती हैं?

 

नीलू जी :- साहित्य समाज का दर्पण है एक साहित्यकार गागर में सागर को भरने की क्षमता रखता है। साहित्यकार होना बड़े सौभाग्य की बात है पुस्तकों से अच्छा हमारा कोई साथी नहीं है दोस्त नहीं है 

 

✍🏻 वार्ता : श्रीमती डॉ नीलू सक्सेना “कस्तूरी” 

 

 

कल्प व्यक्तित्व परिचय में आज देवास (मप्र) की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ श्रीमती नीलू सक्सेना “कस्तूरी” जी से परिचय हुआ। ये समाज सेवा करती हैं एवं सुन्दर व्यक्तित्व की धनी हैं। इनका लेखन विभिन्न रसों से सराबोर है। आप को इनका लेखन, इनसे मिलना कैसा लगा, हमें अवश्य सूचित करें। इनके साथ हुई भेंटवार्ता को आप नीचे दिये कल्पकथा के यू ट्यूब चैनल लिंक के माध्यम से देख सुन सकते हैं। 👇

 

 

https://www.youtube.com/live/07jT7upidqw?si=EwII6THHoBd_njSQ

 

 

इनसे मिलना और इन्हें पढना आपको कैसा लगा? हमें कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट लिख कर अवश्य बताएं। हम आपके मनोभावों को जानने के लिए व्यग्रता से उत्सुक हैं। 

मिलते हैं अगले सप्ताह एक और विशिष्ट साहित्यकार से। तब तक के लिए हमें आज्ञा दीजिये। 

राधे राधे 🙏 🌷 🙏 

 

 

✍🏻 लिखते रहिये, 📖 पढते रहिये और 🚶बढते रहिये। 🌟 

 

 

 

✍🏻 प्रश्नकर्ता : कल्पकथा परिवार

 

कल्प भेंटवार्ता

Leave A Comment