
⛩️ !! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती रेणु मिश्रा” !! ⛩️
- कल्प भेंटवार्ता
- 21/02/2025
- लेख
- साक्षात्कार
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⛩️ !! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती रेणु मिश्रा” !! ⛩️
!! “मेरा परिचय” !!
नाम :- रेनू मिश्रा
माता/पिता का नाम :-
स्वर्गीय श्रीमती मालती पाण्डेय
स्वर्गीय श्री विजय प्रताप पाण्डेय
जन्म स्थान एवं जन्म तिथि :- वाराणसी, 31 जुलाई
पति का नाम :- श्री अभिराम मिश्रा
बच्चों के नाम :- उदितांशु मिश्रा
शिक्षा :- स्नातकोत्तर (हिन्दी साहित्य)
व्यावसाय :- शिक्षिका
वर्तमान निवास :- लखनऊ
मेल आईडी :- renuumisra31@gmail.com
आपकी कृतियाँ :- कविताएँ एवं आलेख, (एकल संग्रह नहीं)
आपकी विशिष्ट कृतियाँ :- आराधना, चाहत, अँधेरे, नारी, होली…
आपकी प्रकाशित कृतियाँ :- अनेक साँझा संकलन
पुरूस्कार एवं विशिष्ट स्थान :- मिशन सशक्तिकरण संस्था, लोक सेवा आयोग, विभिन्न कवि मंचों द्वारा लेखन एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता हेतु पुरस्कृत किया गया।
!! “मेरी पसंद” !!
उत्सव :- दीपावली
भोजन :- शुद्ध शाकाहारी
रंग :- नीला (मोरपंखी नीला) लाल
परिधान :- सभी भारतीय परिधान, विशेष रूप से साड़ी
स्थान एवं तीर्थ स्थान :- सभी प्राकृतिक सौंदर्य पूर्ण स्थल, सभी तीर्थ स्थल (मथुरा, वृंदावन)
लेखक/लेखिका :- प्रेमचंद, महादेवी वर्मा
कवि/कवयित्री :- रामधारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन, कुमार विश्वास, चिराग जैन
उपन्यास/कहानी/पुस्तक :- महादेवी जी एवं प्रेमचन्द द्वारा लिखित सभी/
शिवानी- सती
कविता/गीत/काव्य खंड :- अँधेरे का दीपक/ कारवाँ गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे…/रश्मिरथी
खेल :- कबड्डी, हॉकी, क्रिकेट
मूवीज/धारावाहिक (यदि देखती हैं तो) :- मिली, कोशिश, मदर इंडिया, त्रिशूल, शक्ति,/ रामानन्द सागर कृत रामायण
आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :- आराधना
!! “कल्पकथा के प्रश्न” !!
प्रश्न 1. रेणु जी, सबसे पहले आपके व्यक्तिगत एवं साहित्यिक परिवेश के बारे में हमें बताइये।
रेनू जी :- मेरा जन्म उत्तर प्रदेश वाराणसी में हुआ। मेरी शिक्षा-दीक्षा उत्तर-प्रदेश के विभिन्न जिलों में हुई। विवाह लखनऊ में हुआ।
साहित्य लेखन छात्र-जीवन से ही प्रारम्भ किया। लेखन स्वान्तः सुखाय ही रहा।
प्रश्न 2. रेणु जी, आप एतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नगर लखनऊ की रहने वाली हैं। इस नगर के बारे में अपने शब्दों में कुछ बताइये।
रेनू जी :- ऐतिहासिक स्थलों के अतिरिक्त, यहॉं चिकनकारी की कला बहुत ही आकर्षक है। खानपान में भी पुराने लखनऊ के कई व्यंजन प्रसिद्द हैं। ‘अवध की शाम’ लखनऊ की शाम से ही जानी जाती है।
प्रश्न 3. रेणु जी, आपको लेखन की प्रेरणा कहाँ से मिली और आपने किन परिस्थितियों में लिखना आरम्भ किया?
रेनू जी :- मुझे नीरज जी, दिनकर जी एवं बच्चन जी की रचनाओं से प्रेरणा लेखन की मिली। छात्र-जीवन में ही कक्षा 11 में पहली बार एक ग़ज़ल लिखी, तो ये अनुभव हुआ कि, लिख सकते हैं। तभी से किसी भी भाव के मन को झकझोर देने पर लेखनी उठ जाती है।
प्रश्न 4. रेणु जी, यदि आपको कहा जाए कि भारत देश की स्वतंत्रता के पूर्व, स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव, एवं अमृत महोत्सव के पश्चात, में हिन्दी साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन करें तो आप किस समय को सर्वश्रेष्ठ मानती हैं?
रेनू जी :- स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात से अब तक का समय मुझे साहित्यिक दृष्टिकोण से अच्छा समय रहा है। परन्तु, बहुत कम लेखक एवं कवि ठहराव वाले हैं। जिनकी रचनाओं ने समाज को दिशा दी है। प्रायः सभी ने धारा के प्रवाह के साथ ही रचनाएँ की हैं।
प्रश्न 5. रेणु जी, आपने अपनी साहित्यिक यात्रा के अंतर्गत अन्यान्य मंचों से जुड़कर उनको गौरवान्वित किया है। यहां हम उस पहले मंच के बारे में जानना चाहेंगे जिसको आप अपनी साहित्यिक यात्रा की प्रथम सीढ़ी मानती हैं?
रेनू जी :- मेरा विद्यालय ही मेरा प्रथम मंच रहा है। शिक्षकों और मित्रों की ही प्रेरणा को मैं श्रेय दूँगी।
प्रश्न 6. रेणु जी, आपने कई साँझा काव्य संग्रहों में अपनी रचनायें दी हैं। उन्हीं में एक भावों के परिंदे के विषय में हम जानना चाहेंगे? साथ ही हम आपकी कोई एक कविता सुनना चाहेंगे।
रेनू जी :- विषय:- युद्ध
युद्ध जब कोई हुआ, कोई हारता न जीतता ।
हारती है बस धरा,और हारती संवेदना।।
हो कोई पाण्डव या कोई कंस हो रावण कोई।
हारती है द्रौपदी, या हारती है भूसुता(सीता जी)।।
युद्ध की ज्वाला में दोषी ही जले,होता नहीं।
युद्ध में निर्दोष की धूँ- धूँ करे जलती चिता।।
गोद माँ की खोजती अपने तनय के लाड को,
प्रिया का मस्तक सिन्दूरी शाम को है खोजता।।
हर तरफ़ होती तबाही, मात्र अभिलाषा लिए।
आन अपनी,शान अपनी अपनी हठ- आशा लिए।।
क्यों नहीं परिणाम के बारे में कोई सोचता।
जबकि सहना ही पड़ेगा, वर्षों तलक ये हादसा।।
प्रश्न 7. रेणु जी, आज भागदौड के समय में लेखकीय यात्रा को कई बिंदुओं पर भागदौड वाला ही बना दिया गया है। साथ ही शीघ्र प्रसिद्धि के लालच देकर अच्छा खासा व्यवसाय चलाया जा रहा है। आप इससे कितनी सहमत हैं?
रेनू जी :- जी, मैं पूर्ण सहमत हूँ। इस लालच से ही रचनाओं का स्तर भी गिरा है।
प्रश्न 8. रेणु जी, साहित्यिक परिशिष्ट में आप आज के लेखकों और कवियों का क्या भविष्य देखती हैं?
रेनू जी :- अधिकांश तो गम्भीर लेखन करते हैं, और निरन्तर करते रहेंगे। किन्तु, जो देखा-देखी अथवा चलन के कारण लिखते हैं, वो एक निश्चित समयांतराल के पश्चात लेखन बन्द कर देते हैं; क्योंकि, भावनाओं एवं विचारों का उद्वेग उनको प्रभावित नहीं करता। क्योंकि, वह लेखन हृदय से नहीं होता।
प्रश्न 9. रेणु जी, आप अपने समकालीन किस लेखक या कवि में अपनी छाप देखती हैं?
रेनू जी :- कुमार विश्वास एवं चिराग जैन
प्रश्न 10. रेणु जी, यूँ तो जीवन में सफलता और असफलता लगी रहती हैं। आप अपने जीवन में इन्हें कैसे देखती हैं?
रेनू जी ;- इन दोनों का जीवन में आना स्वाभाविक एवं आवश्यक है। क्योंकि, व्यक्ति सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही पक्षों से सुदृढ़ एवं परिपक्व बनता है।ठीक वैसे ही जैसे, किसी भी पौधे को विकसित होने में धूप और छाया दोनों की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 11. रेणु जी, आप निस्संदेह एक विशिष्ट श्रेणी की लेखिका हैं। क्या आपको किसी और लेखक या कवि ने कभी प्रभावित किया है? कोई ऐसी विशिष्ट रचना जो आपने न लिखी हो, किंतु आपको बहुत प्रिय हो?
रेनू जी :- मुझे, प्रेमचन्द जी, द्विवेदी जी, महादेवी जी, दिनकर जी, हरिवंशराय बच्चन जी ने बहुत प्रभावित किया है। मुझे बच्चन जी की लिखी, “अंधेरे का दीपक” कविता ने बहुत प्रभावित किया।
प्रश्न 12. रेणु जी, यूँ तो अपनी लिखी सभी रचनायें विशेष प्रिय होती हैं। फिर भी हम आपकी स्वरचित एवं विशेष प्रिय कविता सुनना चाहेंगे।
रेनू जी :- विषय – आराधना
ये नहीं आराधना,कि बैठ बस हरि नाम लें।
किसी की मुस्कान का कारण बनो, आराधना है।।
नित्य नियमों को कभी खंडित नहीं होने जो देता।
उस पुजारी की वही नियमावली, आराधना है।।
हो सदा एकाग्रचित्त जो अध्ययन में डूबता है।
बस वही विद्यार्थी की, उच्चकोटि आराधना है।।
शीत, वर्षा,ग्रीष्म के नित जो थपेड़े झेल कर भी।
जो कुटुम्ब को पालता, वो उसकी भी आराधना है।।
झुर्रियों से झाँकती मुस्कान का कारण बनो।
जठराग्नि से तपते हुए इंसान के पालक बनो।
जब किसी को हो, किसी अपने की कोई आस तब।
उसकी आशा, भावना के त्वरित संवाहक बनो।।
ये सभी आराधना के बहुत सुंदर रूप हैं।
सच कहूँ, तो उस पिता की,
बस यही आराधना है।।
*रेनू मिश्रा,*
प्रश्न 13. रेणु जी, आप एक गृहणी हैं, शिक्षिका हैं। ऐसे में घर परिवार और विद्यालय को सम्हालते हुए लेखन जैसे समय लेने वाले कार्य के लिये समय प्रबंधन कैसे करती हैं?
रेनू जी :- मैं नियमित रूप से लेखन कार्य नहीं करती हूँ। परन्तु, भावनाओं एवं विचारों के झंझावात को जब कोई घटना अथवा बात बहुत प्रभावित कर जाती है, तब लेखनी को रोक भी नहीं पाती हूँ।उस समय वही प्राथमिकता हो जाती है।
प्रश्न 14. रेणु जी, आप गद्य और पद्य दोनों विधाओ में लिखती हैं। आपको लेखन के लिए दोनों में से कौन सी विधा अधिक सहज लगती है?
रेनू जी :- पद्य….इसमें आनन्द की अनुभूति अधिक होती है।
प्रश्न 15. रेणु जी, आपके दृष्टिकोण में क्या रचनाओं में भावपक्ष एवं कलापक्ष का संतुलन होना आवश्यक है? यदि हां तो क्यों? अथवा प्रवाह के साथ रचना सृजन में इस संतुलन को पीछे छोड़ा जा सकता है, यदि हां तो क्यों?
रेनू जी :- दोनों पक्षों का सन्तुलन आवश्यक है, किन्तु वह सुदृढ़ हो। परन्तु, यदि भाव पक्ष के वेग में हृदयस्पर्शी गुण हैं तो कला पक्ष से समझौता किया जा सकता है। परन्तु, मेरी व्यक्तिगत रुचि के अनुसार काव्य में तुकान्त एवं लय से यदि समझौता न किया जाए तो काव्य निखर जाता है।
प्रश्न 16. रेणु जी, हर गुणी लेखक/कवि की लालसा होती है कि उसे अपनी रचना पर विशेष टिप्पणियां मिले, जो सकारात्मक के साथ-साथ निष्पक्ष भी हों। आप इस संदर्भ में क्या राय रखती हैं?
रेनू जी :- मुझे निष्पक्ष टिप्पणी ही विशेष प्रिय है। इसका एक मात्र कारण रचना के स्तर में वार्धक्य होना है।
प्रश्न 17. रेणु जी, पिछले लगभग दो ढाई वर्ष से हम नियमित आपके प्रातःकालीन शुभ विचार पढते आ रहे हैं। ये विचार आपको कहाँ से प्राप्त होते हैं?
रेनू जी :- नित्य की जीवन शैली, संबंधों एवं व्यवहार की वास्तविकता, लोगों के मानसिक एवं वैचारिक स्तर के साथ ही लोगों की परिस्थितियों से ही ये जन्म लेते हैं।
प्रश्न 18. क्या आप किसी एक ऐसे एतिहासिक पात्र को अपने दृष्टिकोण से उकेरने का प्रयास करेंगी, जिसको आपके दृष्टिकोण से इतिहास के पन्नों में स्थान नहीं मिला है अथवा एतिहासिक परिप्रेक्ष्य में उनके साथ न्याय नहीं हुआ है, यदि हां तो वह कौन हैं और आपको क्यों लगता है कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ है?
रेनू जी :- पन्ना धाय, सुमित्रा, उर्मिला और अनगिनत शहीदों की माताओं एवं पत्नियों को अपनी रचनाओं द्वारा वो न्याय देना चाहूँगी , जिसकी वो अधिकारिणी हैं, परन्तु, उनको इतिहास में वो स्थान मिला नहीं।
प्रश्न 19. लेखन के अतिरिक्त ऐसा कौन सा कार्य है, जो आप को विशेष प्रिय है?
रेनू जी :- सुमधुर उत्कृष्ट संगीत सुनना, और गुनगुनाना।
प्रश्न 20. रेणु जी, आपने बसंत पंचमी पर छोटा एवं सुन्दर आलेख लिखा है। इसके लिये आपने क्या तैयारियाँ की?
रेनू जी :- कोई विशेष नहीं। बस इच्छा हुई कि, बच्चों को इस विशेष दिन का महत्त्व जानना आवश्यक है। संक्षेप में उनको पूर्ण महत्त्व समझाना था। क्योंकि, आज कल बच्चों को अपनी संस्कृति एवं परंपरा का ज्ञान नहीं हो पा रहा।
प्रश्न 21. आप अपने पाठकों, हमारे दर्शकों, सभी लेखकों और समाज को क्या संदेश देना चाहती हैं?
रेनू जी :- जब भी कलम उठे, जब भी वाणी निकले, जब भी उद्बोधन हो तथा कोई आचरण हो, सदैव मर्यादित, अनुशासित एवं देश और समाज के हित में हो। संस्कार और अनुशासन से समझौता नहीं होना चाहिए। देश सर्वोपरि हो।
✍🏻 वार्ता : श्रीमती रेणू मिश्रा
कल्प व्यक्तित्व परिचय में आज लखनऊ (उप्र) की वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती रेणु मिश्रा जी से परिचय हुआ। ये सेवा कार्य से शिक्षिका हैं और सुन्दर व्यक्तित्व की धनी हैं। इनका लेखन विभिन्न रसों से सराबोर है। आप को इनका लेखन, इनसे मिलना कैसा लगा, हमें अवश्य सूचित करें। इनके साथ हुई भेंटवार्ता को आप नीचे दिये कल्पकथा के यू ट्यूब चैनल लिंक के माध्यम से देख सुन सकते हैं। 👇
https://www.youtube.com/live/OTwXFXlKvJ0?si=i-rEfoiaqMuX2PQR
इनसे मिलना और इन्हें पढना आपको कैसा लगा? हमें कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट लिख कर अवश्य बताएं। हम आपके मनोभावों को जानने के लिए व्यग्रता से उत्सुक हैं।
मिलते हैं अगले सप्ताह एक और विशिष्ट साहित्यकार से। तब तक के लिए हमें आज्ञा दीजिये।
राधे राधे 🙏 🌷 🙏
✍🏻 लिखते रहिये, 📖 पढते रहिये और 🚶बढते रहिये। 🌟
✍🏻 प्रश्नकर्ता : कल्पकथा प्रबंधन
One Reply to “⛩️ !! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती रेणु मिश्रा” !! ⛩️”
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पवनेश
राधे राधे आदरणीया श्रीमती रेणु मिश्रा जी के साथ भेंटवार्ता कार्यक्रम अत्यंत आनंददायक रहा। सादर 🙏🌹🙏