
!! “व्यक्तित्व परिचय : डॉ उषा पाण्डेय ‘शुभांगी'” !!
- कल्प भेंटवार्ता
- 20/06/2024
- लेख
- साक्षात्कार
- 1 Comment
!! “व्यक्तित्व परिचय : डॉ उषा पाण्डेय “शुभांगी“ जी ” !!
!! “मेरा काव्यात्मक परिचय” !!
भाद्र मास, शुक्ल पक्ष,
अनंत चतुर्दशी त्योहार।
आई मैं धरा पर,
खुश हुआ मेरा परिवार।
बिहार के छपरा ( अब सारण ) जिले में,
है ‘बरेजा’ ग्राम।
जन्म भूमि है वही हमारी,
‘उषा’ है मेरा नाम।
पटना में पली बढ़ी,
पटना में शिक्षा पाई।
शादी कर कोलकाता आई,
सारी खुशियाँ मैने पाई।
दो बच्चों की माँ बनीं,
मैं फूली न समाई।
रांची, पति का कार्य स्थल,
रांची में बहुत समय बिताई।
माता पिता के कारण,
हुई मेरी पढ़ाई।
पति के प्यार के कारण , यहाँ तक पहुंँच पाई।
दीदी और दोनों भैया को आदर्श मानती, उनके जैसा बनने की कोशिश करती।
अपना लक्ष्य पाने को, जी जान से मैं मेहनत करती।
जीवन का उद्देश्य है मेरा, औरों के काम आना।
बुजुर्गों की सेवा करना,
कभी किसी का दिल न दुखाना।
हर चुनौती का सामना, मैंने डट कर किया है।
राह में जो बाधाएंँ आईं,
धैर्य से मैने पार किया है।
माता पिता ने नाम रखा ‘उषा’,
नाम को सार्थक करना चाहती हूँ।
अपने चारों ओर मैं
प्रकाश फैलाना चाहती हूँ।
!! “मेरा परिचय” !!
नाम :- डॉ० उषा पाण्डेय ‘शुभांगी’
माता/पिता का नाम :-
पिता का नाम – स्व० बामदेव त्रिपाठी माता का नाम – स्व० प्रभावती देवी
जन्म स्थान एवं जन्म तिथि :- छपरा जिला ( अब सारण ), बिहार
जन्म – 30 सितम्बर
पति का नाम :- बिनोद कुमार पाण्डेय
बच्चों के नाम :-
पुत्र – अंशुमान पाण्डेय
पुत्री – आकांक्षा पाण्डेय
शिक्षा :- एम ए ( मनोविज्ञान), पटना विश्वविद्यालय
पी० एच० डी० ( मनोविज्ञान )
रांची विश्वविद्यालय
व्यावसाय :- मेरी अपनी कम्पनी है।
वर्तमान निवास :- E / 13 / 1
NBCC, VIBGYOR TOWER, New Town, Kolkata, West Bengal
Pin code – 700156
आपकी कृतियाँ :-
मैं दोहे,
मुक्तक, चौपाई, सोरठा, लघुकथा, मनहरण घनाक्षरी, छंद मुक्त कविताएं आदि लिखती हूँ। मैं हास्य कविताएं भी लिखती हूँ।
मेरी रचनाएं समाचार पत्र और पत्रिकाओं में छपते रहते हैं।
आपकी विशिष्ट कृतियाँ:-
कई साझा संकलन में मेरी कविताएं छपी हैं।
आपकी प्रकाशित कृतियाँ :
अभी पहली पुस्तक छपने को तैयार है।
पुरस्कार एवं विशिष्ट स्थान
अंतर्राष्ट्रीय शब्द सृजन की ओर से भारत रत्न काव्य महाकुंभ में सहभागिता के लिए शब्द सृजन सम्मान, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज।
काव्य संकलन ‘अग्नि शिखा’ में साहित्यिक योगदान के लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा नशा मुक्त समाज के निर्माण हेतु ऑनलाइन वीडियो काव्य प्रस्तुति के लिए गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज।
कई संस्थाओं से प्रमाण पत्र और अनेक प्रशस्ति पत्र प्राप्त।
बुलंदी साहित्यिक सेवा समिति
पंजीकृत अन्तर्राष्ट्रीय, बाजपुर
( उत्तराखंड ) संस्था द्वारा आयोजित ‘हिंदी की वैश्विक यात्रा बुलंदी पर हिंदी’ नाम
वर्च्युअल कवि सम्मेलन केलिए
हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड
(लंदन) द्वारा विश्व रिकॉर्ड में इस कवि सम्मेलन को शामिल किया गया। हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड के
विश्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
ग्लोबल फेम अवार्ड
२०२४ द्वारा अवार्ड प्राप्त।
नेपाल के लुंबिनी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित ‘सक्षम नारी अंतर्राष्ट्रीय कविता प्रतियोगिता 2024’ में प्रथम स्थान।
!! “मेरी पसंद” !!
भोजन :- पोलाव, आलू दम, मसाला डोसा, आइस क्रीम
रंग :- लाल, हरा
परिधान :- साड़ी, सलवार – कुर्ता
स्थान एवं तीर्थ स्थान :- पटना,
तीर्थ – बैजनाथ धाम
लेखक/लेखिका :-
प्रेम चंद
कवि/कवयित्री :-
रामधारी सिंह दिनकर जी
उपन्यास/कहानी/पुस्तक :- ‘दो बैलों की कथा’
कविता/गीत/काव्य
खंड :-
‘कृष्ण की चेतावनी’
खेल :- बैडमिंटन, कैरम
मूवीज/धारावाहिक (यदि देखती हैं तो) :-
‘हम आपके हैं कौन’
आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :-
बेटी की विदाई
( एक माँ की कलम से )
वो लम्हे
वादे
घर
अदालत
!! “कल्पकथा के प्रश्न” !!
प्रश्न 1. उषा जी, सबसे पहले आपके पारिवारिक परिवेश के बारे में हमें बताइये।
उषा जी :- बिहार के छपरा जिले (अब सारण जिला) के बरेजा ग्राम में मेरा जन्म हुआ। मैं बिहार की बेटी हूं और मैं गर्व करती हूंँ कि मैं बिहार की बेटी हूँ। बाबूजी हमारे गवर्नमेंट आयुर्वेदिक कॉलेज, पटना में प्रोफेसर थें। माँ गृहिणी थीं। हम चार भाई बहन हैं। सबसे बड़ी दीदी हैं। हमारे दोनों भाई डॉक्टर हैं। पति ने कोलकाता विश्वविद्यालय से बी. टेक. किया। सेल से डी. जी. एम. के रूप में रिटायर किये। ससुराल हमारा गाजीपुर, उत्तर प्रदेश में है।
मेरे दो बच्चे हैं एक बेटा और एक बेटी। दोनों बी. टेक. है।
प्रश्न 2. साहित्य के प्रति रुचि कब और कैसे हुई?
उषा जी :- मेरे पिताजी की इच्छा थी कि मैं लिखूँ। इसलिए मैंने लिखना शुरू किया।
बचपन से ही मुझे पढ़ने का शौक रहा है। मैं प्रसिद्ध रचनाकारों की रचनाएं पढ़ती थी। कॉलेज में थी तब से लिखना शुरू किया, पर तब कम लिखती थी। चार – पाँच सालों से ज्यादा लिख रही हूंँ।
प्रश्न 3. कोई भी रचना लिखते समय आपकी प्रेरणा क्या होती है?
उषा जी :- पहले तो जैसा मैंने कहा मेरे पिताजी की ईच्छा थी कि मैं लिखूंँ, पिताजी की इच्छा मेरे लिए प्रेरणा का काम करती है। मैं चाहती हूं, भविष्य में हमारा समाज, हमारा देश उन्नति करें, बहुत आगे बढ़े इसलिए मैं कविताएं वैसी ही लिखती हूंँ।
प्रश्न 4. उषा जी, हमें पता चला है कि पिछले दिनों आपको नेपाल में एक बडा साहित्य सम्मान प्राप्त हुआ है। सबसे पहले तो हमारी ओर से बहुत-बहुत बधाई। हमारा प्रश्न है कि इतना बडा सम्मान पाते समय आपको कैसा अनुभव हुआ?
उषा जी :- जी बहुत-बहुत धन्यवाद। यह प्रतियोगिता नेपाल के लुंबिनी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘सक्षम नारी अंतर्राष्ट्रीय कविता प्रतियोगिता 2024’ आयोजित की गई थी। देश विदेश की महिलाओं को साहित्य लेखन में प्रोत्साहित करने हेतु नेपाल भारत मैत्री विकास के उद्देश्य से यह प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें तीन देश भारत, नेपाल और तंजानिया के 156 महिला रचनाकारों ने भाग लिया। कुल 32 रचनाओं का चयन किया गया। मुझे प्रथम स्थान मिला। मुझे खुशी है कि भले ही सागर में एक बूंद के बराबर हो, लेकिन मैंने विदेश में भारत का नाम रोशन किया। मुझे बहुत खुशी है।
प्रश्न 5. उषा जी, आपका लेखन पूरी तरह से काव्यमय है। क्या कभी आपने कोई किस्सा या कहानी कविता रूप में लिखने का सोचा है? यदि हाँ, तो हम उस किस्से को जानना चाहेंगे।
उषा जी :- एक गीतों भरी कहानी मैंने लिखा है।
प्रश्न 6. अगले पाँच सालों में साहित्यिक क्षेत्र में आप स्वयं को कहाँ देखती हैं?
उषा जी :- अगले 5 सालों में मैं उम्मीद करती हूं कि हमारा साहित्य जगत बहुत विशाल हो। उम्मीद करती हूं कि मैं अपने पाठकों के ज्यादा करीब हो पाऊँ। मैं अपने पाठकों की कसौटी पर खरी उतर पाऊँ। मेरी लेखन क्षमता बढ़े।
प्रश्न 7. समय परिवर्तनशील है। स्वाभाविक है कि साहित्य जगत में भी परिवर्तन होते रहते हैं। आप इन परिवर्तनों को भविष्य में किस रूप में देखती हैं?
उषा जी :- समय परिवर्तनशील है यह सही है। हमारे माता-पिता का समय और हमारे समय में काफी फर्क आ गया है। जाहिर है, हमारी और अगली पीढ़ी में भी फर्क आएगा। आज मुझे यह देखकर खुशी होती है कि आज बच्चे भी लिखते हैं, अच्छा लिखते हैं। उम्मीद करती हूं आने वाला परिवर्तन सकारात्मक हो। हमारा समाज, हमारा देश साहित्य के क्षेत्र में और सभी क्षेत्र में आगे बढ़े।
प्रश्न 8. आप साहित्य को और भी अधिक समाज उपयोगी बनाने के लिए किन प्रयासों की अनुशंसा करती हैं?
उषा जी :- हमें प्रसिद्ध साहित्यकारों के रचनाएं पढ़नी चाहिए। पढ़ने की हमारी आदत होनी चाहिए। हमें जो अच्छा लगे उसे अपनाना चाहिए।
प्रश्न 9. आपकी दृष्टि में एक लेखक के क्या गुण होने चाहिये?
उषा जी :- जी, सबसे पहले तो लेखक को सत्य लिखने से नहीं डरना चाहिए। अपने विचारों और भावनाओं को लेखक अपनी लेखनी
के द्वारा लोगों तक पहुंचाता है। लेखनी ऐसी हो जो औरों को प्रभावित करे। भाषा स्पष्ट होनी चाहिए। लेखक अपने आस पास की घटनाओं को ध्यान से देखें और उसे पर अपनी कलम चलाए।
प्रश्न 10. आज चारों ओर सोशल मीडिया का दबदबा आप देखती होंगी? ये साहित्य जगत के लिए किस प्रकार से सहायक सिद्ध हों सकता है?
उषा जी :- यह सच है आज सोशल मीडिया का जमाना है। सोशल मीडिया के माध्यम से साहित्यकारों की रचनाएं आम जनता तक पहुंचाती हैं, पाठकों तक पहुंचती हैं। पाठकों की प्रतिक्रिया भी देखने को मिलती है। इससे साहित्यकार अपनी रचना में सुधार ला सकते हैं। आज साहित्यकारों के लिए पाठकों तक पहुंचना सरल हो गया है।
प्रश्न 11. आप विषयानुगत लेखन के विषय में क्या सोचती हैं?
उषा जी :- विषयानुगत लेखन अच्छा लगता है। कभी-कभी हमें उस विषय पर लिखने को मिलता है जिस पर हम कभी सोच भी नहीं सकते। अत: लेखन में विविधता आती है|
प्रश्न 12. हमारे देश को स्वतंत्र हुए सात दशक से अधिक समय हो गया है। ऐसे में स्वतंत्रता के विषय में आपके क्या विचार हैं?
ऊषा जी :- हमारा देश अंग्रेजों से स्वतंत्र हो गया।
तुलसीदास जी ने कहा है ‘पराधीन सपनेहुं सुख नाहीं।’ तो परतंत्रता तो किसी को भी अच्छी नहीं लगती है।
हां हमें आजादी मिलनी चाहिए कि हम अपने विचारों को व्यक्त कर सके। पर कानून के अंदर रहकर। हमारी बात से किसी को ठेस न पहुंँचे।
प्रश्न 13. कहते हैं लेखन तभी सार्थक होता है, जब वो देशहित में कार्य करे। आप अपने लेखन को इस तर्क पर कैसे सिद्ध करती हैं?
उषा जी :- सही कहा आपने, लेखन तब सार्थक होता है जब वह देश हित में हो। मैंने देश भक्ति पर कई कविताएंँ लिखी हैं। मेरी कविताओं में समाज में व्याप्त सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्षों का समावेश होता है। जैसे सकारात्मक कविताएं अपराजिता, एकता, हौसला उम्मीद, जीना है तो हँस के जियो आदि। सकारात्मक पहलू को बढ़ाना चाहती हूँ। वहीं अपनी कविताओं गरीबी धोखा, अहंकार, विरोध, भ्रष्टाचार आदि में मैं नकारात्मक तत्वों का दुष्प्रभाव बताती हूं और अंत में इनसे बचने का कुछ उपाय भी बताने की कोशिश करती हूँ। मेरा यह मानना है कि अगर नकारात्मक तत्व हमारे समाज से, हमारे देश से समाप्त हो जाए, यह देश हित में होगा।
प्रश्न 14. कल्पकथा से जुड़े हुए आपको काफी समय हो गया है। कल्पकथा के साथ जुड़कर आपका अनुभव कैसा रहा?
उषा जी :– जी, मैं कल्प कथा परिवार से पिछले कई सालों से जुड़ी हूं।
कल्प कथा परिवार की संस्थापिका राधा श्री शर्मा जी तथा भाई पवनेश जी से मैं बहुत प्रभावित हूंँ।
मैं जया जी से भी प्रभावित हूं। मैं उन सबकी बहुत इज्जत करती हूँ। इस मंच से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। मैंने दोहा आदि कई विधाएं सीखी हैं।
जो दैनिक या साप्ताहिक विषय दिये जाते हैं, वह भिन्न – भिन्न क्षेत्रों से होते हैं। लिखने में अच्छा लगता है और संतुष्टि होती है। साप्ताहिक कवि गोष्ठी में कभी अपनी मनपसंद कविता सुनाने को मिलता है या फिर दिए गए विषय पर। साहित्यकारों से मिलने का मौका मिलता है।
प्रश्न 15. आप अपने पाठकों, दर्शकों और समाज को क्या संदेश देना चाहती हैं?
ऊषा जी :- मैं अपने पाठ को और दर्शकों को संदेश देना चाहती हूं कि माता-पिता की सेवा करें। अपने देश की जैसे और जितना संभव हो सेवा करें, चाहे साहित्य के माध्यम से अथवा किसी और माध्यम से।
✍🏻 डॉ ऊषा पाण्डेय “शुभांगी“
तो आज आप मिले डॉ उषा पाण्डेय “शुभांगी” जी से। इनकी विशेषता है कि ये कम शब्दों में अधिक बात कहती हैं। इनकी जीवन यात्रा बिहार के छपरा जिले से आरम्भ होकर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता तक जाती है। इनकी साहित्यिक यात्रा गृहणी से लुम्बिनी नेपाल तक सक्षम नारी पुरूस्कार तक रहा। इन्हें ग्लोबल फेम अवार्ड भी मिल चुका है।
आप इनसे हमारे यू ट्यूब चैनल पर भी मिल सकते हैं। यू ट्यूब चैनल लिंक है : 👇
https://www.youtube.com/live/MgYSYME84bQ?si=V8mCOq-y93-Sb-kP
आपको उषा जी से मिलना कैसा लगा? आगे आप किन रचनाकार से मिलना चाहते हैं, हमें कमेन्ट बॉक्स में अवगत कराएं।
राधे राधे
✍🏻 —: कल्पकथा परिवार :—
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पवनेश
आदरणीया डॉ श्रीमती ऊषा पाण्डेय शुभांगी जी का साक्षात्कार एवं व्यक्तित्व परिचय पाकर आनन्द मिला। राधे राधे 🙏🌹🙏,