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!! “व्यक्तित्व परिचय – श्रीमती भावना भारद्वाज” !!

!! “व्यक्तित्व परिचय – श्रीमती भावना भारद्वाज” !!

 

 

!! “मेरा परिचय” !! 

 

 

मैं भावना भारद्वाज एक लेखिका, कवयित्री, अध्यापिका एवं गृहणी।

 

नाम :- भावना भारद्वाज 

 

माता/पिता का नाम :

मेरे पिता श्री मुंशी राम शर्मा जी 

मेरी मां श्री मति बसंती देवीजी 

 

 

जन्म स्थान एवं जन्म तिथि  

स्थान_दिल्ली,त्रिनगर

दिनांक _23अगस्त

 

पति का नाम :-

श्री रमेश भारद्वाज जी 

 

बच्चों के नाम :-

राहुल भारद्वाज एवं आदेश भारद्वाज 

 

शिक्षा :-

बी एड ,डिप्लोमा लाइब्रेरी साइंस में।

 

 

वर्तमान निवास :- उत्तरी दिल्ली 

 

मेल आईडी :- rahulbh.238@gmail.com 

 

आपकी कृतियाँ :- मेरा एक साहित्यिक समूह “साहित्य और संवाद”एवं फेस बुक पर मेरा पेज “शब्दों की उड़ान”

 

आपकी विशिष्ट कृतियाँ :-मेरी प्रकाशित एवं संपादित पुस्तके 

 

आपकी प्रकाशित कृतियाँ :- रिश्तों की अहमियत ( लघु कथा संग्रह), शब्दों की उड़ान (कविता संग्रह), एक संपादित पुस्तक, साहित्य और संवाद (सांझा संकलन)

 

पुरूस्कार एवं विशिष्ट स्थान :-

अंतरराष्ट्रीय मंच द्वारा मेरी पुस्तक रिश्तों की अहमियत का विमोचन, एक प्रख्यात मंच द्वारा मेरी कविता को सम्मान ।

अनेकों सम्मान पत्र एवं सांझा संकलन में भागीदारी ।

 

 

 

 

!! “मेरी पसंद” !!

 

उत्सव :- सनातन धर्म में हर दिन ही एक त्यौहार है। सभी त्योहारों का अपना विशेष महत्व है। त्यौहार छोटा हो या बड़ा, सभी खुशियों और उल्लास से भरे होते हैं।

आजकल के तनावग्रस्त जीवन में त्यौहार संजीवनी का काम करते हैं। तो सभी उत्सव पसंद हैं।

 

भोजन : शुद्ध शाकाहारी सात्विक भोजन, बाजरे की खिचड़ी।

 

रंग :- आसमानी और गुलाबी 

 

परिधान :- साड़ी एवं सूट 

 

स्थान एवं तीर्थ स्थान :- पहाड़ी स्थान एवं तीर्थ स्थान।

 

लेखक/लेखिका :- जय शंकर प्रसाद जी 

 

उपन्यास/कहानी/पुस्तक : – लेखक गुलशन नंदा का झील के उस पार 

 

कविता/गीत/काव्य खंड :-जय शंकर प्रसाद जी की 

नारी तुम केवल श्रद्धा हो 

 

खेल : शतरंज 

 

मूवीज/धारावाहिक (यदि देखती हैं तो) :-

पहले देखती थी, पुरानी मूवीज – नील कमल, पाकीजा।

 

आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :-

हां वो मैं ही थी (कविता)

 

 

 

 

!! “कल्पकथा के प्रश्न” !!

 

 

प्रश्न 1. भावना जी, सबसे पहले आपके व्यक्तिगत एवं साहित्यिक परिवेश के बारे में हमें बताइये। 

 

भावना जी :- वर्तमान में मैं एक लेखिका एवं गृहणी हूं। मैने लगभग बीस वर्षों तक घर से ही शिक्षण का कार्य किया। साहित्य में मेरी रुचि बचपन से ही थी तब केवल पढ़ने का कार्य किया। उपन्यास पढ़े, पत्र पत्रिकाओं में कहानियां पढ़ी। लेखन का कार्य विगत दस वर्षों से किया। साहित्यिक समूहों और अपने फेस बुक पेज के माध्यम से अपनी रचनाएं प्रकाशित की। बहुत से सम्मान पत्र प्राप्त किए एवं सराहना प्राप्त की।

 

 

 

प्रश्न 2. भावना जी, कल्पकथा के इस भेंटवार्ता कार्यक्रम में हम हिन्दी साहित्य के साहित्यकार की रुचि अभिरुचि को वार्ता के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं, आप इस कार्यक्रम को कैसे देखती हैं? क्या आप उत्साहित हैं? 

 

भावना जी :- कल्पकथा मंच के साथ जुड़ कर गर्व की अनुभूति तो होती ही है। साथ ही इसमें एक साहित्यकार को अनेकों अनुभव और प्रेरणा भी मिलती है शुद्ध हिंदी का प्रयोग, साक्षात्कार का अनुभव एवं रचनाओं का जन जन तक पहुंचना सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों जैसे यू ट्यूब , फेस बुक आदि ।

सचमुच ऐसे मंच से जुड़ना, अपनी जड़ों से जुड़ना जैसा है।

इस कार्यक्रम के माध्यम से साहित्यकार को अधिक अच्छे से जानते हैं।

 

 

 

प्रश्न 3. भावना जी, आप एतिहासिक, धार्मिक एवं पर्यटन के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण नगर भारत राष्ट्र की राजधानी दिल्ली की रहने वाली हैं। इस नगर के बारे में अपने शब्दों में कुछ बताइये। 

 

भावना जी :- दिल्ली ,जैसा कि कहा जाता है कि दिल्ली है दिलवालो की। तो दिल्ली देश का दिल भी है। यहां आपको पूरे देश के किसी भी राज्य की खास चीज दिल्ली में मिल जाएगी। यहां के निवासियों की भाषा में बहुत सी भाषाओं का मिश्रण मिलेगा। दिल्ली एक तरह से मिनी इंडिया है।

 

 

प्रश्न 4. भावना जी, आपको लेखन की प्रेरणा कहाँ से मिली और आपने किन परिस्थितियों में लिखना आरम्भ किया? 

 

भावना जी :- पढ़ने और लिखने में मेरी रुचि शुरू से ही थी,पहले लिखती थी किंतु अपनी कला को उजागर नहीं करती थी। फिर एक बार मेरी एक रचना एवं आलेख पुष्प लता पाण्डेय जी ने पढ़ी तो उन्होंने मुझे अपने साहित्यिक समूह में जोड़ दिया। वहीं से मेरा लेखन प्रकाश में आया।

 

 

प्रश्न 5. भावना जी, आपने अपनी साहित्यिक यात्रा के अंतर्गत अन्यान्य मंचों से जुड़कर उनको गौरवान्वित किया है। यहां हम उस पहले मंच के बारे में जानना चाहेंगे जिसको आप अपनी साहित्यिक यात्रा की प्रथम सीढ़ी मानती हैं।

 

भावना जी :- अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी लेखक संगठन मेरा पहला समूह था जिसके द्वारा मेरी रचनाओं ने लोगों के दिलों में स्थान पाया ।

 

 

 

प्रश्न 6. आप की कई रचनाओं में आपकी पुस्तक “साहित्य और सम्वाद” है। इस पुस्तक के माध्यम से आपने क्या कहने का प्रयास किया है? साथ ही हम आपकी कोई एक कविता सुनना चाहेंगे। 

 

भावना जी :- साहित्य और संवाद मेरा साहित्यिक समूह है इस पुस्तक में मेरे समूह के सदस्यों की रचनाएं प्रकाशित हुई हैं इसीलिए इसका नाम समूह के नाम पर रखा गया ।इसका संयोजन एवं संपादन मेरे द्वारा किया गया ।

 

 

 

प्रश्न 7. भावना जी, कहते हैं बचपन सदैव मनोहारी होता है। हम जानना चाहेंगे आपके बचपन का बाल विनोद भरा वो किस्सा, जो आपको आज भी मुस्कुराने पर विवश कर देता है। 

 

भावना जी :- यूं तो बचपन सच में बड़ा विनोदपूर्ण रहा। ये किस्सा तब का है जब मैं शायद छ या सात साल की रही होंगी बड़ा परिवार था मैं भाई बहन में सबसे छोटी ।मेरे पापा को ये पसंद नहीं था कि मेरे बच्चे किसी के घर का कुछ भी खाएं यहां तक कि मंदिर में पापा ट्रस्टी थे तो भी भंडारे का प्रसाद भी बिल्कुल थोड़ा सा लेते और उसमें से ही सबको बांट देते ।

एक बार मेरे पड़ोस में सरदार चाचा जी का घर था। गुरुपूर्व का त्यौहार था तो गुरुद्वारे में लंगर था। मै सरदार चाचा जी की लड़की के साथ गुरुद्वारे चली गई और लंगर खा कर आई तो शाम हो गई। उस दिन पापा जी भी साइट से जल्दी घर आ गए। घर का मैंन गेट बंद हो चुका था। पापा जी को जब पता चला कि मैं लंगर खा कर आई हूं तो मुझे घर से बाहर निकाल दिया और रात का खाना भी नहीं देने के लिए मम्मी को आदेश दे दिया।

उस समय तो हमारी स्थिति बड़ी दयनीय थी, किंतु आज याद आता है हंसी आ जाती है।

 

 

प्रश्न 8. आपकी एक पुस्तक है “शब्दों की उड़ान”। अपनी इस पुस्तक के बारे में आप क्या कहना चाहेंगी? 

 

भावना जी :- ये मेरी पहली प्रकाशित पुस्तक है, एक काव्य संकलन है, सभी प्रकार भाव पर आधारित रचनाएं इसमें प्रकाशित है।

 

 

प्रश्न 9. भावना जी, यूँ तो हर किसी का उसके अपने क्षेत्र में कोई न कोई प्रेरक होता है। ऐसे में आप आज के समय के किस लेखक या कवि से सबसे अधिक प्रभावित हैं? 

 

भावना जी :- कुमार विश्वास एक अच्छे एवं मंजे हुए कवि हैं, वह देश हित की बात करते है। हमारी सनातन संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं। अपने अपने राम के माध्यम से।

 

 

प्रश्न 10. भावना जी, हम आपका वो अनुभव जानना चाहेंगे, जब आपको लेखन क्षेत्र में पहला पुरुस्कार मिला? 

 

भावना जी :- मुझे मेरा पहला सम्मान मेरी कविता के लिए हिंदी भवन में दिया गया था। बेहद रोमांचकारी अनुभव था वो दुपट्टा, वो सम्मान पत्र मेरे लेखन को आशीष के समान है।

 

 

 

प्रश्न 11. भावना जी, हमने आपकी एक और पुस्तक “रिश्तों की अहमियत” के बारे में सुना है। ये किस विधा में, किन संदर्भों को उद्भासित करती है? 

 

भावना जी :- रिश्तों की अहमियत पुस्तक ,लघु कथा,गद्य विद्या में है। समय के साथ साथ आगे बढ़ते हुए विकास की राह पर चलते हुए एक अहम चीज पीछे छूटती जा रही है वो है रिश्ते ।जिनकी अहमियत दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है।आज डिजिटल युग होने से रिश्ते भी डिजिटल होते जा रहे।साथ ही रिश्तों में अपनत्व की जगह औपचारिकता ज्यादा आ गई है चीजें पर्सनल ज्यादा हो गई हैं। उसी आधार पर परिवार समाज में फैल रहे व्यभिचार पर भी चोट करती कथाएं है इसमें।

 

 

 

प्रश्न 12. भावना जी, आप निस्संदेह एक विशिष्ट श्रेणी की लेखिका हैं। आपने कई विषयों पर कहानियाँ लिखी है। जितनी अच्छी पकड आपकी गद्य लेखन पर है उतनी ही उन्नत पकड आपकी पद्य लेखन पर भी है। ऐसे में हम जानना चाहेंगे कि आपको गद्य या पद्य में किस पर लिखना अधिक सहज लगता है? साथ ही हम आपकी कोई एक कविता भी सुनना चाहेंगे। 

 

भावना जी :- दोनों ही माध्यम सहज है जब भावनाएं बहने लगे तो काव्य लेखन ,जब विचारों के समंदर में लहरें उठे तो गद्य ।

 

 

प्रश्न 13. भावना जी, आपने एक रोचक कविता लिखी है “आजकल के टीवी सीरिअल”। इसे लिखने के भाव आपके मन में कैसे जागृत हुए? यदि आप ये कविता यहां सुनाएंगी, तो हमारे दर्शक भी अभिभूत होंगे। 

 

भावना जी :- मध्यम वर्गीय परिवारों में टी वी एक सशक्त माध्यम है मनोरंजन, ज्ञान विज्ञान एवं देश विदेश के समाचार जानने हेतु।

मनोरंजन के लिए सबसे ज्यादा परोसे जाने वाले ये सीरियल ही है। जिसमें झूठ, अनैतिकता एवं सनातन संस्कृति का अपमान किया जाता है। एक जागरूक नागरिक जिसे अपने देश संस्कृति के मान, सम्मान की चिंता होगी वो जरूर इसी तरह की आवाज उठाएगा। हम साहित्यकारों की लेखनी का यही कर्तव्य भी है।

 

 

प्रश्न 14. भावना जी, आप एक गृहणी हैं। घर परिवार को सम्हालते हुए लेखन जैसे समय लेने वाले कार्य के लिये समय प्रबंधन कैसे करती हैं? 

 

भावना जी :- लेखन मेरी पहली रुचि है,इसके लिए चाहे मुझे नींद छोड़नी पड़े चाहे भूख ।घर को सम्हलते हुए अब परिपक्वता भी आ गई है तो दैनिक कार्यों के बीच रुचि के लिए समय निकाल ही लेती हूं।

 

 

प्रश्न 15. कहते हैं लेखन तभी सार्थक होता है, जब वो देशहित में कार्य करे। आप अपने लेखन को इस विचार के अनुसार कितना सफल मानती हैं? 

 

भावना जी :- एक साहित्यकार की रचनाएं उसकी भावनाओं का प्रतिबिंब होती हैं। रचनाओं के माध्यम से वह अपनी निहित भावनाओं को प्रकट करता है। मेरी रचनाएं देश के विकास में जो बाधाएं उत्पन्न करते हैं,देश में भ्रष्टाचारफैलाते हैं या देश की छवि को खराब करते हैं उनके विरोध में बहुत सी रचनाएं लिखी हैं जो हम साहित्यकारों का कर्तव्य भी है।

 

 

प्रश्न 16. भावना जी, आपके दृष्टिकोण में क्या रचनाओं में भावपक्ष एवं कलापक्ष का संतुलन होना आवश्यक है? यदि हां तो क्यों? अथवा प्रवाह के साथ रचना सृजन में इस संतुलन को पीछे छोड़ा जा सकता है, यदि हां तो क्यों?

 

भावना जी :- यदि कोई रचना भावपक्ष और कला पक्ष दोनो ओर से संतुलित है तो वह रचना उच्च कोटि की होती है किंतु बहुत बार ऐसा भी होता है कि रचना का कला कमजोर होने पर भी भाव पक्ष इतना उत्तम होता है कि रचना सीधे हृदय में उतरती है।

आज कल मुक्त छंद रचनाएं अधिक लिखी जा रही हैं।

 

 

प्रश्न 17. भावना जी, हर गुणी लेखक/कवि की लालसा होती है कि उसे अपनी रचना पर विशेष टिप्पणियां मिले, जो सकारात्मक के साथ-साथ निष्पक्ष भी हों। आप इस संदर्भ में क्या राय रखती हैं? 

 

भावना जी :- रचनाओं की गुणवत्ता को जांच कर टिप्पणी की जाए तो साहित्यकार के लिए अधिक फलदाई होगा।उसके गुण ,दोष दोनो बताए जाए। इससे हमारे लेखन की गुणवत्ता बढ़ेगी।

“निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय’ “कबीरदास का दोहा है कि हमें अपनी निंदा करने वाले लोगों को अपने पास रखना चाहिए. जो लोग हमारी निंदा करते हैं, वे बिना साबुन-पानी के ही हमारी कमियां बताकर हमारे स्वभाव को साफ़ कर देते हैं। किंतु टिप्पणी निष्पक्ष भी होनी चाहिए आपसी जलन ,रंजिश छोटे बड़े के भेद भाव को इस प्रक्रिया में अलग ही रखा जाए।

 

 

प्रश्न 18. हमने आपकी एक कविता पढी है “पापा, मैं कहाँ खेलूं?”। ये लिखने के लिए आपके मन में विचार कहाँ से आये? 

 

भावना जी :- आज देश में एक समस्या सबसे अधिक मुंह बाए खड़ी है।वह है यौन शोषण और मानव तस्करी।इसी समस्या के कारण छोटे बच्चों की आजादी छिन गई उनका खेलना ,कूदना बंद हो गया ।उनकी सुरक्षा के कारण उनको बाहर भेजने में भी भय सा लगा रहता है।मेरे घर में भी दो छोटे बच्चे हैं,हम परिवार की निगरानी में ही बच्चे खेलने एक सीमित समय और स्थान पर भेजे जाते हैं।इसी कारण ये विचार उमड़ा और कविता लिखी गई ।

 

 

प्रश्न 19. क्या आप किसी एक ऐसे एतिहासिक पात्र को अपने दृष्टिकोण से उकेरने का प्रयास करेंगी, जिसको आपके दृष्टिकोण से इतिहास के पन्नों में स्थान नहीं मिला है अथवा एतिहासिक परिप्रेक्ष्य में उनके साथ न्याय नहीं हुआ है, यदि हां तो वह कौन हैं और आपको क्यों लगता है कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ है?

 

भावना जी :- यूं तो हमारे बहुत से स्वतंत्रता सेनानी हैं जिनका नाम ही नहीं लिया जाता। एक लंबी सूची है, उनके बलिदान को अनदेखा कर दिया गया। उन लोगों को चमका दिया गया जिन्होंने एक गोली तो दूर की बात एक लाठी भी नहीं खाई। सुभाष चंद्र बोस,लाल बहादुर शास्त्री जिनको एक को जहर देकर मार दिया गया और एक को गुमनामी के अंधेरे में रहना पड़ा। ये प्रताड़नाएं अंग्रेजों ने नहीं दी अपितु देशवासियों ने किया ये काम।

 

 

प्रश्न 20. लेखन के अतिरिक्त ऐसा कौन सा कार्य है, जो आप को विशेष प्रिय है? 

 

भावना जी :- लेखन के अलावा थोड़ा थोड़ा मैं गाने में, खाना बनाने में रुचि रखती हूं। अपना पारंपरिक खाना मुझे अधिक पसंद है।

 

 

प्रश्न 21. भावना जी, आपने कुछ समय पहले आपने एक लघुकथा लिखी थी – “कौन पोंछे आँसू”। ये लघुकथा किस अभिप्राय से लिखी गई थी? 

 

भावना जी :- ये आज कल जो घर घर की कहानी है कि एक या दो संतान अधिकतर सभी परिवारों में होती है वो भी या उच्च शिक्षा के लिए या नौकर के लिए प्रदेश में या विदेश में चले जाते हैं तो माता पिता अकेले रह जाते हैं उन्हीं के जीवन को देखते हुए ये रचना लिखी गई ।

 

 

प्रश्न 22. श्री राधा गोपीनाथ बाबा की प्रमुखता में चल रहे कल्पकथा से काफी समय से जुडी हुई हैं। आप इस के साथ जुडे अपने अनुभव बताइये। क्या आपको लगता है ये साहित्य और समाज के हित में है? साथ ही हम जानना चाहेंगे आप इससे कितनी प्रभावित हैं? 

 

भावना जी :- कल्प कथा एक ऐसा साहित्यिक मंच है किसी भी साहित्यकार को सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों के द्वारा परिचित ही नहीं कराते अपितु उनके विचार और रचनाओं को जन जन तक पहुंचाते हैं।ये साहित्य के विस्तार और प्रचार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

कल्पकथा के विभिन्न कार्यक्रम हमें अलग अलग विधाओं में लिखने को प्रेरित करते एवं पारंगत करते हैं। मंच द्वारा सम्मानित किए जाने पर प्रोत्साहित करते हैं।

संस्कृति और समाज के हित में यह अनुकरणीय कार्य किया जा रहा है।

 

 

प्रश्न 23. आप अपने पाठकों, हमारे दर्शकों, साथी लेखकों और समाज को क्या संदेश देना चाहती हैं?

 

भावना जी :- सभी से मेरा विनम्र निवेदन है कि अपनी मातृभाषा ,अपनी संस्कृति और अपनी मातृभूमि के हित में आवाज उठाएं और उत्तम साहित्य लिखे और पढ़े जिससे आपके साथ साथ,परिवार ,समाज और देश का कल्याण हो ।

 

✍🏻 भेंटवार्ता : श्रीमती भावना भारद्वाज 

 

 

 

      कल्प व्यक्तित्व परिचय में आज वरिष्ठ लेखिका श्रीमती भावना भारद्वाज जी से परिचय हुआ। ये बुराड़ी (दिल्ली) की हैं एवं सुन्दर व्यक्तित्व की धनी हैं। इनका लेखन अपने आसपास के परिदृश्यों को संकलित किये हुए है। आप को इनका लेखन, इनसे मिलना कैसा लगा, हमें अवश्य सूचित करें। इनके साथ हुई भेंटवार्ता को आप नीचे दिये कल्पकथा के यू ट्यूब चैनल लिंक के माध्यम से देख सुन सकते हैं। 👇

 

https://www.youtube.com/live/pf6Vljkh5vg?si=uit5hPTv7AuP_pvT

 

 

इनसे मिलना और इन्हें पढना आपको कैसा लगा? हमें कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट लिख कर अवश्य बताएं। हम आपके मनोभावों को जानने के लिए व्यग्रता से उत्सुक हैं। 

मिलते हैं अगले सप्ताह एक और विशिष्ट साहित्यकार से। तब तक के लिए हमें आज्ञा दीजिये। 

राधे राधे 🙏 🌷 🙏 

 

✍🏻 लिखते रहिये, 📖 पढते रहिये और 🚶बढते रहिये। 🌟 

 

 

✍🏻 प्रश्नकर्ता : कल्पकथा प्रबंधन 

 

कल्प भेंटवार्ता

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