जीवन बीता जाता है
- Swati Shrivastava
- 26/12/2024
- काव्य
- नववर्ष
- 1 Comment
विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक :– “कल्प/दिसम्बर/२०२४/द”
विषय :- “ ये जाते हुए लम्हें”
विधा :- काव्य
भाषा :- हिन्दी
शीर्षक: जीवन बीता जाता है
मन पनघट रीता जाता है
और जीवन बीता जाता है…..
जीवन के सुगम सुगंधित पल
एक दिन बन जाते बीता कल
कर याद उन्हें सूनेपन मे
मन रह रह कर अकुलाता है..
और जीवन बीता जाता है……
जब समय रहे विपरीत कभी,
बन जाए शूल जीवन पथ का
फिर समय ही बन मरहम कैसे ,
हर घाव को भरता जाता है..
और जीवन बीता जाता है……
सुख दुख जो कुछ भी पाया है,
यह सब पल भर की माया है,
मुश्किल चाहे जितना हो पर
हर वक़्त गुज़र ही जाता है..
और जीवन बीता जाता है…..
मन बीती ताहि दे बिसार,
सुध आगे की लेता जाये
हर वर्ष गुज़रते हुए सदा,
यही सार हमे समझाता है..
और जीवन बीता जाता है….
और जीवन बीता जाता है….
-स्वाति श्रीवास्तव
भोपाल
One Reply to “जीवन बीता जाता है”
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पवनेश
राधे राधे,
भावपूर्ण सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई स्वाति जी,
🙏🌹🙏