
“!! व्यक्तित्व परिचय :- डॉ रवि ‘घायल’ !!”
- कल्प भेंटवार्ता
- 17/04/2025
- लेख
- भेंटवार्ता
- 2 Comments
!! “व्यक्तित्व परिचय” !!
नाम :- डॉ रवि ‘घायल’
माता/पिता का नाम :- स्व. श्रीमती राज रानी, स्व. श्री तेज पाल
जन्म स्थान एवं जन्म तिथि :- बुढलाडा पंजाब, 19.11.1955
पत्नी का नाम :- श्रीमती पूनम सचदेवा
बच्चों के नाम :- नूर वैष्णव एवं तरुण मित्र
शिक्षा :- डाक्ट्रेट
व्यावसाय :- स्टेट बैंक से डीजीएम रिटायर्ड
वर्तमान निवास :- अबोहर
आपकी मेल आई डी :- ghayal.55@gmail.com
आपकी कृतियाँ :-
=>
01) बे-नूर
02) बा-नूर
03) अहसास पन्नों पर
04) शब्ब-ए-महताब
05) ता-हद-ए-नज़र
06) तहरीर –ए-ज़्बात
07) झंकार दिल के तारों की
आपकी विशिष्ट कृतियाँ :-
बे-नूर
तहरीर –ए-ज़्बात
आपकी प्रकाशित कृतियाँ :- सभी
पुरूस्कार एवं विशिष्ट स्थान :-
हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग में अनेकों बार काव्यपाठ करने व व्याख्यान देने का अवसर प्राप्त हुआ व इनके ग्रन्थों में की बार प्रकाशित भी हुआ। हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा ही ‘आचार्य’ की मानदेय उपाधि से विभूषित किया गया। केन्द्रीय सचिवालय हिंदी परिषद का उत्तर भारत का संयोजक रहा व इसी परिषद् द्वारा वर्ष 1989 के लिए अखिल भारतीय हिन्दी सेवा सम्मान से केन्द्रीय मंत्री पी० उपेन्द्र द्वारा सम्मानित किया गया। लगभग 500 कवि सम्मेलनों व अन्य मन्चों पर काव्य पाठ व व्याख्यान देने, मंच संचालन आदि का अवसर प्राप्त हुआ। रेडियो पर भी प्रसारण हुए। साधना टीवी, jio tv, Zee tv आदि पर भी साक्षात्कार व काव्यपाठ करने का अवसर मिला। रेकी मास्टर भी हूं। अरोड़ा विकास मंच का अंतैराष्ट्रीय अध्यक्ष हूं। SSA University Portland USA से Doctorate of Literature तथा Doctorate of Philosophy किया। मरणोपरांत अंगदान व देह दान किया हुआ है व अन्य 15-20 लोगों को प्रेरणा दे कर करवाया हुआ है। 2024 के अंतरराष्ट्रीय हिन्दी काव्य रत्न सम्मान से नवाजा गया। अरोड़ा विकास मंच जिसका मैं अंतरराष्ट्रीय चेयरमैन हूं के द्वारा किए जा रहे कार्य:
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116 गरीब कन्याओं की शादी करवाई (इसमें से 13 कन्याओं की शादी का खर्च मैंने उठाया।)
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इस वर्ष अबतक 248 गरीबों को रजाइयां भेंट की गईं और ये कार्यक्रम पिछले कई वर्षों से चल रहा है।
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लगभग 2-3 हजार गरीब छात्रों को उनके स्कूल-कॉलेज की फीस दे कर पढ़ाया
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गरीब छात्रों को मुफ्त कम्प्यूटर कोर्स करवाया जाता है।
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128 गरीब लोगों को मासिक दवाइयों का खर्च वहन किया जाता है।
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मुफ्त marriage beuro चल रहा है जिसकी website भी है।
7.अरोड़ा बुक बैंक जरूरतमंद बच्चों की मदद कर रहा है।
इसके अतिरिक्त अन्य कई समाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किये जाते हैं।
!! “मेरी पसंद” !!
उत्सव :- हर पल उत्सव है
भोजन :- आलू परांठा, पूरी, भटूरे, रसगुल्ले, ब्रैंड आमलेट इत्यादि
रंग :- light pink, light blue, light green.
परिधान :- जीन-क्लाउडे, पैंट-शर्ट, सफारी सूट, पैंटकोट सूट आदि
स्थान एवं तीर्थ स्थान :- लंदन, अमरीका, कैनेडा, पैरिस, नेपाल, रामेश्वरम, त्रिवेंद्रम, कन्याकुमारी, जगन्नाथपुरी, द्वारिकापुरी, इलाहाबाद, काशी और लगभग आधे से ज्यादा भारत
लेखक/लेखिका :- लेखक
कवि/कवयित्री :- कवि
उपन्यास/कहानी/पुस्तक :-कोई नहीं
कविता/गीत/काव्य खंड :- काव्य संग्रह सात ऊपर लिखित
खेल :- शतरंज
फिल्में/धारावाहिक (यदि देखते हैं तो) :- नहीं देखता
आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :- बे-नूर व
झंकार दिल के तारों की
!! “कल्पकथा के प्रश्न” !!
प्रश्न 1. घायल जी, सबसे पहले हम आपके पारिवारिक एवं साहित्यिक परिवेश के बारे में जानना चाहते हैं?
=> मैं एक मध्यमवर्गीय अरोड़ा (सचदेवा) परिवार में पैदा हुआ। परिवार में दादा, दादी, माता, पिता, बुआ व एक छोटा भाई था। पिता जी नगर परिषद में कार्यरत थे। वे ‘तेज’ के नाम से एक गुमशुदा लेखक व शायर के तौर पर लिखा करते थे। जिस का पता हमें उनके मरणोपरांत लगा। एक सामान्य निम्न मध्यवर्गीय परिवार में हमारा भरण पोषण हुआ। 1952 में जब पिता जी की नौकरी लगी तो बताया करते थे कि नौ रु मासिक आय थी।
प्रश्न 2. घायल जी, आप पंजाब के एक विशिष्ट नगर अबोहर के रहने वाले हैं। इस नगर की विशेषता के बारे में आप अपने शब्दों में हमारे दर्शकों और पाठकों को बताइये?
=> अबोहर भारत का कैलिफोर्निया आफ इंडिया कहलाता है। क्यों कि यह कपास की बहुत बड़ी मण्डी है। इसके अतिरिक्त यहां कीनू(फल), सेला चावल और अंगूर मशहूर हैं। भू० लोकसभा स्पीकर स्व. डा. बलराम जाखड़ यहीं के रहनेवाले थे।
प्रश्न 3. घायल जी, आपकी साहित्यिक यात्रा की वह प्रथम किरण कौन-सी थी, जिसने इस दिव्य आलोक में आपको आलोकित किया?
=>
उलझा हुआ सवाल
~~~~
तेरे गेसुओं की….
तेरे गुंचों की….
तेरे लबों की…..
और तेरे बदन की
खुशबू….
से महकता है चमन
मुर्दा भी इस फिज़ा में
सांस लेने को मजबूर हो जाए….
उसमे जान पड़ जाए
फिर यह कहना सोचना
की जान और सांस में क्या चुनूं ……!
बड़ा उलझा हुआ सवाल है ……………?
जान हो तुम
प्यार हो तुम
मेरी हर सांस के
जिम्मेदार हो तुम
प्रश्न 4. घायल जी, आपकी लेखनी का कौन-सा स्वरूप अधिक प्रबल है – विचारों की तीव्रता, भावों की सरसता, अथवा अलंकारों की आभा?
=> विचारों की तीव्रता, भावों की सरसता, और अलंकारों की आभा।
प्रश्न 5. आप के गृह नगर के अतिरिक्त कौन सा ऐसा स्थान है जो आपको सबसे अधिक रूचिकर लगता है और क्यों?
=> प्राकृतिक दृश्य, पर्वतीय क्षेत्र समुद्र तट इत्यादि परन्तु कहते हैं
East or the West
Home is the best.
मुझे तो मेरा अबोहर ही सब से प्रिय है। क्यों कि यहां की माटी में पला बड़ा हुआ हूं। अधिकांश मित्र व सम्बन्धी और जान पहचान वाले सब यहीं हैं जिनमें मेरी आत्मा बसती है।
प्रश्न 6. घायल जी, काव्य-सृजन की प्रेरणा आपके हृदय-सरोवर में किस प्रकार तरंगित होती है? क्या यह अंतःस्फुरणा है, या कोई विशिष्ट प्रसंग इसका उद्गम स्रोत बनता है?
=> अंत: स्फुरणा है या प्रकृति है।
प्रश्न 7. आपकी दृष्टि में साहित्य का परम उद्देश्य क्या है – केवल मनोरंजन, समाजोद्धार, आत्मसाक्षात्कार, अथवा इन समस्त तत्वों का संगम?
=> मनोरंजन, समाजोद्धार, आत्मसाक्षात्कार, अथवा इन समस्त तत्वों का संगम?
प्रश्न 8. घायल जी, वर्तमान में प्रयोगधर्मिता के नाम पर हिन्दी साहित्य में अनेक प्रकार की सृजन शैली विकसित की जा रही है – जैसे मात्रामुक्त कुंडली, सम शब्द संख्या के दोहे, एक रचना में तीन या उससे अधिक भाषाओं के मिश्रण की कविता, चीनी काव्य शैली शांशुई, यूएफू, फू आदि को हिन्दी (देवनागरी) में लिखना, कोरियन शैली की गौरैयो, हयांग्गा के गीतों को हिन्दी में लिखना इत्यादि। आप इनको कैसे देखते हैं?
= > नया नौ दिन पुराना सौ दिन। आज का साहित्य अल्पकालीन है। जैसे आज के फिल्मी गीतों और पुराने फिल्मी गीतों को ही देख लो।
प्रश्न 9. घायल जी, भाषा एवं शैली की दृष्टि से आप किस प्रकार के प्रयोगों को साहित्य में स्थान देने योग्य मानते हैं? क्या परंपरागत स्वरूप अधिक प्रभावी है, या नवीन प्रयोगों की धार जो कि अधिक तीक्ष्ण है?
=> नवीनतम प्रयोग वास्तव में बिना किसी आधार या नियम के हो रहे हैं इसलिए टिकाऊ नहीं। परंपरागत स्वरूप निःसंदेह अधिक प्रभावी है।
प्रश्न 10. घायल जी, आपने अपनी साहित्यिक यात्रा में बहुत से पुरुस्कार प्राप्त किये हैं। आप अपनी इन उपलब्धियों को कैसे देखते हैं?
=> ईश्वर का आशीर्वाद, समय के साथ काव्य शैली में सुधार और लेखन में अनुभव।
प्रश्न 11. घायल जी, आपकी दृष्टि में गद्य एवं पद्य लेखन में क्या विशेषता होनी चाहिए?
=> समयानुकूल हो, सारगर्भित हो और केवल समय काटने के लिए न हो कर विषयवस्तु किसी समीचीन विषय पर हो।
प्रश्न 12. क्या आप किसी एक ऐसे एतिहासिक पात्र को अपनी कलम से उकेरने का प्रयास करेंगे, जिसको आपके दृष्टिकोण से इतिहास के पन्नों में स्थान नहीं मिला है अथवा एतिहासिक परिप्रेक्ष्य में उनके साथ न्याय नहीं हुआ है? यदि हां, तो वह कौन हैं? और आपको क्यों लगता है कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ है?
=> ऊपर से कभी कोई उतर कर मेरी लेखनी से कागज़ की धरती पर आ गया तो कह नहीं सकता वर्ना मैं आज तक ऐसा कुछ लिख नहीं पाया हूं।
प्रश्न 13. कौन-कौन से रचनाकार आपके साहित्यिक जीवन में आलोकपुंज बनकर मार्ग प्रशस्त करते हैं?
=> मैथली शरण गुप्त, दिनकर, नीरज, बटालवी आदि ने मुझे बहुत प्रभावित किया है।
प्रश्न 14. घायल जी, साहित्यिक परिशिष्ट में आप आज के लेखकों और कवियों का क्या भविष्य देखते हैं?
=> इतना उज्जवल नहीं है कारण साहित्य का स्तर दिन-ब-दिन गिरता जा रहा है। इंटरनेट, यू ट्यूब और गूगल के कारण पुस्तक पाठकों की संख्या में बहुत कमी हुई है।
प्रश्न 15. लेखन के अतिरिक्त ऐसा कौन सा कार्य है, जो आप को विशेष प्रिय है?
=> भ्रमण, काव्य गोष्ठी, समाजसेवा। मैं टाईम बैंक आफ इंडिया का सदस्य हूं मेरे खाते में पिछले एक वर्ष में 232 घंटे जमा हुए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अरोड़ा विकास मंच जिसका मैं अंतरराष्ट्रीय चेयरमैन हूं के द्वारा किए जा रहे कार्य:
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116 गरीब कन्याओं की शादी करवाई (इसमें से 13 कन्याओं की शादी का खर्च मैंने उठाया।)
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इस वर्ष अबतक 248 गरीबों को रजाइयां भेंट की गईं और ये कार्यक्रम पिछले कई वर्षों से चल रहा है।
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लगभग 2-3 हजार गरीब छात्रों को उनके स्कूल-कॉलेज की फीस दे कर पढ़ाया
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गरीब छात्रों को मुफ्त कम्प्यूटर कोर्स करवाया जाता है।
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128 गरीब लोगों को मासिक दवाइयों का खर्च वहन किया जाता है।
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मुफ्त marriage beuro चल रहा है जिसकी website भी है।
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अरोड़ा बुक बैंक जरूरतमंद बच्चों की मदद कर रहा है।
इसके अतिरिक्त अन्य कई समाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किये जाते हैं।
प्रश्न 16. घायल जी, कविता कई बार हमारे जीवन को एक दिशा दे जाती हैं। क्या आपके जीवन में दिशा निर्देशक कोई कविता है? हम उसे सुनना चाहेंगे।
=>
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तू भी मैं और मैं भी तू
मैं
हर जगह बसता हूं
तुझ में भी
तेरे दिल में भी।
संसार के कण-कण में
हर
जीव और निर्जीव
के तन में।
मैं
उन आंखों में भी बसता हूं
जिनसे तुम देखते हो
अंदर भी
और
बाहर भी।
मैं
परमात्मा हूं
प्रभु हूं
ईश हूं।
ईश्वर भी मैं ही हूं….
अल्लाह भी मैं ही हूं।
तू भी मैं ही हूं
और मैं ही तू हूं।
पहचान मुझे
तू जान मुझे…..
मुझमें खुद को पायेगा
और
तू खुद भी
मुझसा हो जायेगा।
मुझसा ही नहीं
मैं ही हो जायेगा।
अद्वैत की है धारना यही
एक ही एक
दो नहीं।
तू भी मैं
औ मैं भी तू….
बस यही है सही।
-
सुप्रभात गीत
~~~
आओ कुछ गुनगुनाएं
कुछ मुस्कराएं
गीत कोई नया गायें
क्या अद्भुत नज़ारा है
सुबह का उजाला है
प्रकृति ने देखो आज कैसा
चित्र बना डाला है
खुद-बा-खुद संगीत हो गयी है प्रकृति
कितनी रंगीन हो गयी है कलाकृति
यह कुछ और नहीं आप को
सुप्रभात कहने का एक
नया अंदाज़ है
देखो फिर हो गया
एक नये दिन का
आगाज़ है
धन्यवाद् दें आओ
उस ईश्वर को जिसने हमारे लिए
ही दुनिया इतनी खूबसूरत बनाई है
बधाई हो-बधाई हो
आप को नए मंगलमय दिन की बधाई हो
नया दिन आप के लिए नई नई सौगातें लाये
आपके जीवन को महकाए
हर पल खुशी से भर जाए
शुभ दिन मंगलम.
-
बे-नूर
मैं…
देखता हूं,
आकाश में चमकते…
असॅंख्य-अनगिनत, सितारे।
अपनी ही…
टिमटिमाहट में मग्न।
मानो…
काली चादर पर,
मोती जड़े हों।
तब…
मैं, तुम्हारी तरफ घूमता हूं,
तेरी ऑंखों में झांकता हूं,
और…
सोच में पड़ जाता हूं,
कि ‘उसने’…
किस प्रकार,
इस, सब का..
समन्वय किया होगा।
एक जोड़ी ऑंख…
और असॅंख्य, टिमटिमाते सितारे।
मैं..
फिर घूमता हूं,
आश्चर्य के सागर में..
डूब जाता हूं,
और सोचता हूं, कि
वह…
जिसे हम…
सर्व कला सम्पूर्ण,
सर्व गुण सम्पन्न मानते हैं,
जिसने..
अपनी सृष्टी को,
सुॅंदर बनाने के लिए,
आकाश में,
असंख्य जगमगाते…
सितारों की रचना की,
किस प्रकार…
क्यों…
इतनी बड़ी भूल वह कर बैठा?
तुम्हारी ऑंखों में,
ज्योति डालनी भूल गया,
और तुम्हें …
अन्धा बना दिया।
अनर्थ – घोर अनर्थ।
मैं…
फिर घूमता हूं,
अपने अंतर्मन में झांकता हूं,
और सोचता हूं…
इस विसंगति के प्रति…
इस अनर्थ के प्रति…
क्या हम कुछ नहीं कर सकते,
कुछ भी नहीं कर सकते?
यह शरीर तो, नश्वर है…
न सही अभी,
मरणोपरांत तो..
नेत्रदान कर,
केवल एक नहीं,
बल्कि दो अन्धों को,
ज्योति प्रदान कर,
उसकी भूल का,
सुधार कर सकते हैं।
आओ…
नेत्रदान का संकल्प लें।
प्रश्न 17. घायल जी, यदि साहित्य एक उद्यान है, तो आपकी लेखनी उसमें कौन-सा पुष्प खिलाना अधिक पसंद करती है – गंभीर दार्शनिक विचारों की कमलिनी, लोकजीवन की मालती, अथवा श्रृंगार की माधवी लता?
=> गंभीर दार्शनिक विचारों की कमलिनी और श्रंगार की माधवी लता।
प्रश्न 18. आपकी दृष्टि में कोई साहित्यिक रचना किस गुण के कारण कालजयी बनती है? क्या यह उसके भावपक्ष की प्रबलता है, भाषा वैशिष्ट्य, अथवा समाज पर उसकी छाप?
=> समाज पर उसकी छाप
प्रश्न 19. लेखन प्रक्रिया के दौरान आपको किस प्रकार की अनुभूति होती है – यह एक सहज बहाव है, अथवा गहन मंथन के पश्चात प्रस्फुटित होने वाला नवनीत?
=> यह एक सहज बहाव है।
प्रश्न 20. आपकी दृष्टि में भारतीय संस्कृति और साहित्य का परस्पर संबंध किस प्रकार परिलक्षित होता है? क्या साहित्य संस्कृति का प्रतिबिंब है, या संस्कृति साहित्य का स्रोत?
=> साहित्य और संस्कृति का चोली दामन का साथ है। जैसी संस्कृति होगी वैसा ही साहित्य होगा। और जैसा साहित्य लिखा जाएगा वैसी ही संस्कृति का उद्भव होगा।
प्रश्न 21. घायल जी, आपकी आगामी वर्षो में क्या साहित्यिक योजनाएं हैं? क्या आप किसी विशेष पुस्तक पर काम कर रहे हैं? यदि हाँ तो क्या आप उन्हें हमारे दर्शकों के साथ साँझा करना चाहेंगे?
=> हां आशा करता हूं कि मेरे एक और आगामी काव्य संग्रह 19 नवंबर का विमोचन होगा।
प्रश्न 22. आप अपने पाठकों, दर्शकों और समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं?
=> अपने में अपने-आपको तलाशो। इस से ज्यादा जरूरी और कोई कार्य नहीं।
कृपया यूट्यूब चैनल पर कार्यक्रम देखने के लिए लिंक का अनुसरण करें।
https://www.youtube.com/live/gA77G5yRFVw?si=tMPWs-lT6DIvkAjT
✍🏻 प्रश्नकर्ता ; कल्प भेंटवार्ता प्रबंधन
2 Comments to ““!! व्यक्तित्व परिचय :- डॉ रवि ‘घायल’ !!””
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कल्प भेंटवार्ता
Loved to see it
पवनेश
राधे राधे,
आदरणीय डॉ रवि घायल जी के साथ भेंटवार्ता कार्यक्रम अत्यंत आनंददायक रहा।