🦚 !! “व्यक्तित्व परिचय : श्री नन्द किशोर बहुखंडी” !! 🦚
मैं लिखता बाद में हूँ, पहले मैं आते, जाते जो भी विचार मन में आते हैं उन्हें मष्तिष्क में अंकित करता हूँ और फिर उन्हें कागज में उतारता हूँ : श्री नंद किशोर बहुखंडी
Continue Reading
🌷 !! व्यक्तित्व परिचय : डॉ श्रीमती अरुणा सोनी.!! 🌷
प्रयोगधर्मिता के नाम पर बहुत कुछ नया हो रहा है। मैं इसे गलत नहीं मानती। लेकिन साहित्य या काव्य की आत्मा को मैं मुख्य मानती हूँ। बस वह कहीं खो न जाए, इस बात का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है।
Continue Reading
!! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती पूजा शर्मा “सुगन्ध” !!” !!
“मन के भाव शब्दों में उतरते रहे
और यूँ ही, बस यूँ ही,
इंद्रधनुष पृष्ठों पर उभरते रहे
सुधिजनों के सानिध्य में लेखनी निखरती रही
मन भावों की सुगंध संग, सुगंध सँवरती रही…”
Continue Reading
🫅 !! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती विनीता कँवर राठौड” !! 🫅
“यथा चित्तं तथा वाचः, यथा वाचः तथा कर्म”— जैसा मन होता है, वैसी ही वाणी और कर्म होते हैं। मेरी रचनात्मक प्रक्रिया भी इसी सिद्धांत पर आधारित है।
Continue Reading
⛩️!! “व्यक्तित्व परिचय : डॉ अनिल उपाध्याय” !! ⛩️
भक्ति डूब कर ऊब कर नहीं
मिलिए सब सौं दुर्भाव बिना रहिये सत्संग उजागर में।
रसखान गुविन्दही यौ भजिये जिमि नागरी को चित गागर में।।
Continue Reading
🦚 !! “व्यक्तित्व परिचय : डॉ. श्रीमती मंजू शकुन खरे” !! 🦚
कल्पकथा परिवार ने हम सभी साहित्यकारों को एक सुन्दर, रचनात्मक मंच प्रदान किया है। कल्पकथा के सभी आयोजन, प्रतियोगिता एक वृहद सकारात्मक उद्देश्य को समाहित रखते हैं। संवाद वार्ताएं आयोजित की जाती हैं। विशिष्ट व्यक्तित्व से परिचित करवाया जाता है।
Continue Reading
!! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती ज्योति राघव सिंह” !!
श्री राधा गोपीनाथ बाबा के प्रमुखता से मैं और कल्पकथा के सभी सदस्य स्वयं को भाग्यशाली समझते हैं क्योंकि यह इकलौता मंच से जहां देशभक्ति, ईश्वर भक्ति सनातन धर्म के प्रति साहित्य को जोड़कर यह मंच खुद की प्रतिष्ठा को कायम रख रहा है। और मैं इससे प्रभावित ही नहीं सन्तुष्ट भी हूं।
Continue Reading
!! “व्यक्तित्व परिचय : डॉ पंकज कुमार बर्मन” !!
हिन्दी में अन्य भाषाओं के शब्दों का समावेश एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जो इसे अधिक समृद्ध और व्यापक बनाता है। यह प्रवृत्ति साहित्य को आधुनिक और प्रासंगिक बनाती है, जिससे नई पीढ़ी आसानी से जुड़ पाती है। हालांकि, मूल भाषा की शुद्धता बनाए रखना भी आवश्यक है ताकि हिन्दी की विशिष्टता और सांस्कृतिक पहचान बनी रहे।
Continue Reading
⛩️ !! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती डॉ नीलू सक्सेना” !! ⛩️
जब मैं पहली कविता लिखी थी तो मेरी मम्मी ने मुझे बहुत डांट लगाई थी कि अब तुम भगवान राम की भी हंसी उड़ाने लगी हो। परंतु जब उन्होंने पूरी कविता का मर्म समझा और जाना तो मुझे बहुत शाबासी दी।
Continue Reading
⛩️ !! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती रेणु मिश्रा” !! ⛩️
जब भी कलम उठे, जब भी वाणी निकले, जब भी उद्बोधन हो तथा कोई आचरण हो, सदैव मर्यादित, अनुशासित एवं देश और समाज के हित में हो। संस्कार और अनुशासन से समझौता नहीं होना चाहिए। देश सर्वोपरि हो।
Continue Reading