
!! “व्यक्तित्व परिचय : प्रो डॉ शरदनारायण खरे” !!
- कल्प भेंटवार्ता
- 27/05/2024
- लेख
- साक्षात्कार
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व्यक्तित्व परिचय :- प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे
!! “मेरा परिचय” !!
माता/पिता का नाम :- श्री नंदकिशोर जी खरे
श्रीमती शकुंतला देवी खरे
जन्म स्थान एवं जन्म तिथि :- ग्राम-प्राणपुर, तहसील-चंदेरी,ज़िला-अशोकनगर, मप्र
25/09/1961
पत्नी का नाम :-श्रीमती नीलम खरे
बच्चों के नाम :- इं.प्रतीक खरे
इं.प्रतीक्षा खरे
शिक्षा :- एमए(इतिहास)/एलएल.बी./पीएच.डी
व्यावसाय :-शासकीय सेवा,मप्रशासन,उच्च शिक्षा विभाग,मूल पद -प्राध्यापक(इतिहास)/वर्तमान-प्राचार्य-शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय, मंडला,मप्र
वर्तमान निवास :-मंडला,मप्र
आपकी रचनाएँ –विगत पचास वर्षों में राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं,विशेषांकों व संकलनों में 12000 से अधिक रचनाओं का प्रकाशन।
आपकी विशिष्ट कृतियाँ :-विवेचना के स्वर/राष्ट्रीय आंदोलन व साहित्य में पं.दारकाप्रसाद मिश्र का योगदान।
आपकी प्रकाशित कृतियाँ :-कुल -20(हास्य-व्यंग्य/नई कविता/आलेख/निबंध/गीत/दोहा/मुक्तक/लघुकथा/ इतिहास/ शोध में)
पुरूस्कार एवं विशिष्ट स्थान :-देश भर से 1000 से अधिक पुरस्कार/सारस्वत अभिनंदन/प्रशस्ति पत्र।
2500 से अधिक डिजीटल सम्मान पत्र।
सर्वप्रमुख-अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय कृति सम्मान(राशि-51000/साहित्य अकादमी,मप्र)।
!! “मेरी पसंद” !!
भोजन :- शुद्ध शाकाहारी तंदूरी रोटी, दालफ्राई, बैगन भुर्ता, बाटी, आलू परांठा, पोहा।
रंग :- पीला, नीला, लाल।
परिधान :-पहले पेंट-शर्ट/टाई-सूट /अब रंगीन लम्बा कुर्ता-पाजामा।
स्थान एवं तीर्थ स्थान :-ऐतिहासिक स्थल व हिल स्टेशन।महाकालेश्वर उज्जैन।
लेखक/लेखिका :- मुंशी प्रेमचंद
कवि/कवयित्री :- मैथिलीशरण गुप्त।
उपन्यास/कहानी/पुस्तक :- गोदान, पंच परमेश्वर।
कविता/गीत/काव्य खंड :- पंचवटी, रामचरितमानस
खेल :- टेबलटेनिस
मूवीज/धारावाहिक (यदि देखते हैं तो) :- पुरानी क्लासिक मूवीज, रामायण(रामानंद सागर कृत)
आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :-
हक़ीक़त(मेरी 54 कविताओं का संग्रह)। विवेचना के स्वर(शोध निबंध कृति)! चुभन(हास्य-व्यंग्य कृति) आदि।
!! “कल्पकथा के प्रश्न” !!
प्रश्न 1. प्रो. साहब सबसे पहले आप हमें अपने पारिवारिक और साहित्यिक परिवेश के बारे में बताइये।
प्रोफेसर शरदनारायण खरे जी :- मैं गाँव का हूँ।पिताजी ने संघर्ष कर हम भाई-बहनों की बढ़िया परवरिश की और उच्च शिक्षा मुहैया कराई।आज हम भाई-बहन बहुत सुखी हैं।पत्नी एम ए मेरिट होल्डर हैं।कई वर्ष कॉलेज में उन्होंने पढ़ाया भी है।दीर्घकाल तक उन्होंने टीवी पर न्यूज रीडिंग भी की है।बेटा -बेटी (एक-एक)विवाहित हैं,और दोनों इंजीनियर के पद पर हैं।उनकी एक-एक बेटियाँ भी हैं।
परिवार का पहला साहित्यिक व्यक्ति मैं ही हूँ।अब तो मेरे कारण पूरा परिवेश ही साहित्यमय है।
प्रश्न 2. शरद जी, हमारे पाठक और श्रोता जानना चाहते हैं आपके बचपन का वो किस्सा, जिसके याद आते ही आपकी बरबस हँसी छूट जाती है।
प्रोफेसर शरदनारायण खरे जी :- गाँव की पाठशाला में किसी छात्र के परिजन की मृत्यु होने पर शोकसभा करके छुट्टी कर दी जाती थी।ऐसे ही एक बार शोकसभा चल रही थी, लाइन लगाकर सब मौन खड़े थे कि तभी शाला के सामने से दो बुड्ढे निकले।उनको देखकर मेरी बगल में खड़ा एक शरारती लड़का धीरे से फुसफुसाया कि देखो हमारी दो छुट्टियाँ तो यहाँ फँसी पड़ी हैं।यह सुनकर मुझे इतनी ज़ोर से हँसी आ गई कि बेहद डाँट खाना पड़ी।फिर तो हर शोकसभा में यह वाकया याद आता था ,और हँसी आने से डाँट खाना पड़ती थी।
प्रश्न 3. आधुनिक और प्राचीन काल के किन रचनाकारों की रचनाओं को आप अपनी रचनाओं के अधिक निकट पाते हैं?
प्रोफेसर शरदनारायण खरे जी :- हर आदमी मौलिक होता है। समानता का कोई सवाल ही नहीं।
प्रश्न 4. आपका अधिकांश लेखन काव्य में है। इसका कोई विशेष कारण?
प्रोफेसर शरदनारायण खरे जी :- नहीं,जी उतना ही अधिक गद्य में है।साहित्य अकादमी मप्र ने निबंध कृति पर ही पुरस्कृत किया है।
शोधपत्र व निबंध,लघुकथाएं भी ख़ूब लिखता हूँ।
प्रश्न 5. आपने विभिन्न मंचों पर अपनी रचनाओं से दर्शकों और श्रोताओ को अभिभूत किया है। उसका अनुभव आप हमारे साथ साँझा करना चाहेंगे?
प्रोफेसर शरदनारायण खरे जी :- बहुत बार मंच से संचालन करते समय मदिरा-अभिभूतों से मनोरंजक तरीके से जूझना होता है।तहसील बिछिया में रंगपंचमी पर कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए मदिरामयी श्रोताओं ने ऐसी मस्ती की कि कोई भी कवि काव्यपाठ का साहस ही नहीं कर पा रहा था।मैं ही बतौर संचालक जूझता रहा।
प्रश्न 6. अगले पाँच सालों में साहित्यिक क्षेत्र में आप स्वयं को कहाँ देखते हैं?
प्रोफेसर शरदनारायण खरे जी :- जहाँ मेरा सृजन कर्म ले जाए।
प्रश्न 7. लगातार होते परिवर्तनों के बीच में आप साहित्य को भविष्य में किस स्वरूप में उच्चतम स्तर पर देखते हैं?
प्रोफेसर शरदनारायण खरे जी :- लोगों में पढ़ने की प्रवृत्ति घट रही है,देखने-सुनने की बढ़ रही है।यह अच्छा संकेत नहीं है।
प्रश्न 8. आप साहित्य को और भी अधिक समाज उपयोगी बनाने के लिए किन प्रयासों की अनुशंसा करते हैं?
प्रोफेसर शरदनारायण खरे जी :- बच्चों को बचपन से ही पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ने की आदत से युक्त करना चाहिए।मोबाइल सेे बचपन की दूरी जरूरी है।
प्रश्न 9. आपकी दृष्टि में एक लेखक और एक पाठक के क्या गुण होने चाहिये?
प्रोफेसर शरदनारायण खरे जी :- गुणवत्तायुक्त साहित्य को ही रचें,पढ़ें और सराहें।
प्रश्न 10. आप विषयानुगत लेखन के विषय में क्या सोचते हैं?
प्रोफेसर शरदनारायण खरे जी :- हाँ! विषयानुगत लेखन विषयानुकूल गहन अध्धयन के बाद ही लिखा जाना चाहिए।
प्रश्न 11. कहते हैं लेखन तभी सार्थक होता है, जब वो देशहित में कार्य करे। आप अपने लेखन को इस तर्क पर कैसे सिद्ध करते हैं?
प्रोफेसर शरदनारायण खरे जी :- बिलकुल जी!मैं सहमत हूँ।सृजन सदैव सात्विक व रीति-नीति युक्त होना चाहिए।तभी वह देशानुकूल होगा।
प्रश्न 12. आप अपने समकालीन लेखकों एवं कवियों में किन से अधिक प्रभावित हैं?
प्रोफेसर शरदनारायण खरे जी :- अशोक चक्रधर, गिरीश पंकज, रामनिवास मानव, अशोक अंजुम।
प्रश्न 13. आप काफी समय से कल्पकथा से जुड़ें हैं। आपको कैसा लगा कल्प प्रमुख जी से जुड कर?
प्रोफेसर शरदनारायण खरे जी :- सुख व आनंद का अनुभव कर रहा हूं।
प्रश्न 14. आप कल्पकथा की प्रगति और उन्नति के लिए क्या सुझाव देना चाहेंगे?
प्रोफेसर शरदनारायण खरे जी :- सप्ताह में कम से कम तीन छंदाधारित प्रतियोगिताएं आयोजित करें।हर प्रतियोगिता के लिए चयनितों को प्रशस्ति पत्र दें।अधिक लोग जुड़ेंगे।
प्रश्न 15. आप अपने पाठकों, दर्शकों और समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं?
प्रोफेसर शरदनारायण खरे जी :- अच्छा सोचें ,अच्छा करें,अच्छे बनें और अच्छाई को आगे बढ़ाएं।विकारों को दूर भगाने में सहयोगी बनें।
तो ये हैं (डॉ) शरद नारायण खरे जी, जो इतिहास के प्रोफेसर हैं। आशा है कि आप इनसे मिलकर उत्साहित होंगे। हमारे प्रयास पर आपके क्या विचार हैं, कमेन्ट में सूचित करें।
साक्षात्कार का वीडियो देखने के लिए लिंक पर जाएं…
https://www.youtube.com/live/XqV93IuC5jQ?si=ckzGLv94mRsU_xtA
राधे राधे 🙏 🌷 🙏
-: कल्पकथा परिवार :-
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