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!! “कल्पकथा साप्ताहिक आमंत्रण : बालिका विशेष” !!

📜 विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक :– !! “कल्प/सितंबर/२०२५/द” !! 📜
🌱 विषय :- !! “कन्या” !! 🖥️
 ⏰ समयावधि :- दिनाँक २२/०९/२०२५ प्रातः ०८.०० बजे से दिनाँक २६/०९/२०२५ रात्रि १०.०० बजे तक ⏰
🪔 विधा :- !! “स्वैच्छिक” !! 🪔
 📢 भाषा :- !! “हिन्दी/संस्कृत” !! 📣

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प्रकाशनार्थ : नारी समानता दर्जा की अधिकारी

आजकल हम सभी क्षेत्र में नारियों की भूमिका देख रहे हैं। और ये सब जगह अच्छी व्यवस्थापक भी साबित हो रही हैं अर्थात अपने दायित्व को हर क्षेत्र में कुशलतापूर्वक निभा रही हैं। लेकिन इतने बड़े देश में नारियों व पुरुषों के अनुपात में असमानता स्पष्ट दिख रही है।अतः नारियों को अपने अस्तित्व को स्थापित करने के लिये अपने अन्याय के खिलाफ संगठित हो कर खड़ा होना होगा। जबतक नारियां स्वयं अपने अन्याय के खिलाफ खड़ी नहीं होंगी व्यवस्था इसी तरह चालू रहेगी।

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!! “कल्पकथा साप्ताहिक आमंत्रण : नारी जीवन विशेष” !!

📜 विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक :– !! “कल्प/सितंबर/२०२५/स” !! 📜
🌱 विषय :- !! “नारी जीवन” !! 🖥️
 ⏰ समयावधि :- दिनाँक १५/०९/२०२५ प्रातः ०८.०० बजे से दिनाँक १९/०९/२०२५ रात्रि १०.०० बजे तक ⏰
🪔 विधा :- !! “लघु कथा” !! 🪔
 📢 भाषा :- !! “हिन्दी/संस्कृत” !! 📣

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!! “कल्पकथा साप्ताहिक आमंत्रण : पितृपक्ष विशेष” !!

📜 विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक :– !! “कल्प/सितंबर/२०२५/ब” !! 📜
🌱 विषय :- !! “पितृ पक्ष” !! 🖥️
⏰ समयावधि :- दिनाँक ०८/०९/२०२५ प्रातः ०८.०० बजे से दिनाँक १२/०९/२०२५ रात्रि १०.०० बजे तक ⏰
🪔 विधा :- !! “स्वैच्छिक” !! 🪔
📢 भाषा :- !! “हिन्दी/संस्कृत” !! 📣

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श्राद्ध : श्रद्धा या प्रायश्चित

शीर्षक – श्राद्ध : श्रद्धा या प्रायश्चित श्रद्धा है तो श्राद्ध है । वर्तमान आधुनिक और भौतिकवाद युग में रीतिरिवाज़ों और परंपराओं को तर्क और तथ्यों के बहुआयामी स्तरों से होकर सत्य को स्थापित करना होता है । आध्यात्मिक और वैज्ञानिक आधार के साथ ही मानवीय मूल्यों के बीच संतुलन बनाए रखना ही हमे उचित मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है। …

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गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः

याद रखें हमारी सफलता के पीछे हमारे शिक्षक का हाथ होता है। हमारे माता-पिता की तरह ही हमारे शिक्षक के पास भी ढ़ेर सारी व्यक्तिगत समस्याएँ होती हैं लेकिन फिर भी वह इन सब को दरकिनार कर रोज स्कूल और कॉलेज आते हैं तथा अपनी जिम्मेदारी का अच्छे से निर्वाह करते हैं।इसका ज्वलंत उदाहरण यही है कि बीते सालों में वैश्विक महामारी कोरोना काल में भी सभी शिक्षक अपने-अपने निजी आवास से ही आज की उन्नत प्रोद्दोगिकी के सहारे अपने शिष्यों का मार्गदर्शन कर रहे थे।

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