!! “व्यक्तित्व परिचय : श्री चन्द्रप्रकाश गुप्त “चन्द्र” ज़ी” !!
कल्पकथा के माध्यम से निरंतर साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय सकारात्मक साधना का पुनीत कार्य किया जा रहा है जो मेरे विचार से समाज और साहित्य के लिए अनुकरणीय है आपकी सतत साधना साहित्य को नव नूतन आयाम प्रदान कर साहित्य को गौरवान्वित कर रही है।
मेरी अनंत हार्दिक मंगल कामनाएं हैः।
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🦚 !! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती नवनीता चौरसिया” !! 🦚
कोई भी अनुभवी विद्वान जब हमें हमारी त्रुटियां बताता है तो इससे हमारे लेखन में सुधार ही होगा।
यदि हमें सिर्फ प्रशंसा-प्रशंसा ही मिलेगी तो हममें अभिमान आ सकता है या हमें सिर्फ नकारात्मक समीक्षा ही मिली तो हमारा मन निराशा से भर जाएगा। रचना में उत्कृष्ट चलाने के लिए निष्पक्ष समीक्षा बहुत आवश्यक है।
कबीर दास जी ने भी कहा है- निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय।
बिन पानी बिन साबुना, निर्मल हुआ सुबाय।
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!! “व्यक्तित्व परिचय : श्री सुन्दरलाल जोशी “सूरज” जी” !!
जब मैं चित्तौड़गढ़ घूमने गया तो हल्दीघाटी गया। संग्रहालय देखा और मन हुआ कि कुछ पंक्तियां महाराणा प्रताप पर लिखूँ।
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!! “व्यक्तित्व परिचय – मुस्कान केशरी” !!
नए कवियों से हम अधिक प्रभावित होते हुँ क्योंकि मेरा मानना है कि नए नए पौधे पर अगर ध्यान दिया जाए तो वो मजबूत वृक्ष बन जाता है और ध्यान नहीं दिया जाए तो वो खत्म हो जाएगे।
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!! “व्यक्तित्व परिचय : श्री सूर्येन्दु कुमार मिश्र “सूर्य” जी” !!
जी मैं इस मामले में मध्यमार्गी हूं। मुझे लगता है कि भाव पक्ष के साथ कला पक्ष का संतुलन भी जरूरी है तभी कविता में आनंद आता है। फिर भी भाव पक्ष ज्यादा महत्वपूर्ण है, अगर भावनाएं पैदा और प्रेषित नहीं होगी तो कविता ही बिखर जाएगी।
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!! “व्यक्तित्व परिचय – श्रीमती भावना भारद्वाज” !!
एक साहित्यकार की रचनाएं उसकी भावनाओं का प्रतिबिंब होती हैं। रचनाओं के माध्यम से वह अपनी निहित भावनाओं को प्रकट करता है। मेरी रचनाएं देश के विकास में जो बाधाएं उत्पन्न करते हैं,देश में भ्रष्टाचारफैलाते हैं या देश की छवि को खराब करते हैं उनके विरोध में बहुत सी रचनाएं लिखी हैं जो हम साहित्यकारों का कर्तव्य भी है।
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!! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती नीलम झा “नील” जी” !!
मैं इस मंच के माध्यम से अपने पाठकों को दर्शकों को और सभी लेखकों को यही कहना चाहूंगी कि समाज या देश की उन्नति हमारी भी जिम्मेदारी बनती है। हम जिस भी क्षेत्र से जुड़े हैं और जितना भी हम सक्षम हैं, उसके आधार पर हमें प्रयत्नशील रहना चाहिए अपने राष्ट्र, अपने समाज के उत्थान के लिए ।
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!! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती सुशीला चनानी” !!
मै बहुत पैरेलल व कलात्मक बांग्ला व हिन्दी फिल्में देखती थी पर अब वो सिलसिला समय और उर्जा के अभाव में समाप्त प्रायः है।
यही बात संगीत अभ्यास पर भी लागू होती है।
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!! “व्यक्तित्व परिचय : डॉ ओमकार साहू “मृदुल” जी” !!
नैसर्गिकता से परिपूर्ण प्रकृति की गोद में स्थित। एक ओर जिसे माता कुदरगढ़ी का आशीर्वाद प्राप्त है, वहीं दूसरी ओर काले सोने अर्थात कोयले की खदानें ऊर्जा के भंडार बढ़ाते है।
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🌷!! “व्यक्तित्व परिचय : श्रीमती संध्या बक्शी जी” !! 🌷 🌷
गद्य लिखने के लिए पर्वत जैसा धैर्य चाहिये। जो मुझमें नहीं है। कुछ समयाभाव भी रहता है। बालक छोटा है तो उसको पढ़ाने का दायित्व भी है।
कविता मुझे बहुत प्रिय है। मेरे लिए कविता और जादू में अधिक अंतर नहीं है।
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