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!! “व्यक्तित्व परिचय : श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी “श्रीकांत” जी

!! “व्यक्तित्व परिचय : श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत” !!

 

          !! “मेरा परिचय” !! 

नाम :- अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी

माता/पिता का नाम :- माता जी का नाम श्रीमती स्वर्गीय लक्ष्मी बाई चतुर्वेदी एवं पिताजी का नाम स्वर्गीय श्री लक्ष्मी निधि चतुर्वेदी

जन्म स्थान एवं जन्म तिथि :- जन्म स्थान ग्राम निमचौनी जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश 472442

 जन्म तिथि 12 मार्च सन 1965

पत्नी का नाम :- श्रीमती मालती अड़जरिया (प्रेरणा जी)

बच्चों के नाम :- बेटी दीक्षा चतुर्वेदी बेटा देव निधि चतुर्वेदी

शिक्षा :- एमएससी एमए पीजीडीसीए एम एड (स्वर्ण पदक प्राप्त)

व्यवसाय :-. प्राचार्य 

शासकीय हाई स्कूल केना

 जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश

वर्तमान निवास :- रामायण भवन, शिव मंदिर के समीप, पुराना थाना निवाड़ी जिला मध्य प्रदेश।

आपकी मेल आई डी :- kumaranjani824@gmail.com

आपकी कृतियाँ :- उपवन (प्रकाश्य), माँ की ममता

आपकी विशिष्ट कृतियाँ :- निरंक साझा संकलन में रचनायें प्रकाशित

आपकी प्रकाशित कृतियाँ :- निरंक

पुरूस्कार एवं विशिष्ट स्थान :- अनेक पुरस्कारों से सम्मानित

 

 

           !! “मेरी पसंद” !!

भोजन :- हरि कृपा से जो उपलब्ध हो। शाकाहारी भोजन

रंग :- साँवला (गेहुआँ)

परिधान :- सादा वस्त्र, सादा जीवन

स्थान एवं तीर्थ स्थान :- अनेक तीर्थ स्थानों पर भ्रमण।अति प्रिय- जगन्नाथपुरी धाम

कवि/कवयित्री :- रामधारी सिंह दिनकर सुभद्रा कुमारी चौहान

उपन्यास/कहानी/पुस्तक :- मुंशी प्रेमचंद की कहानी एवं उपन्यास

कविता/गीत/काव्य खंड :- विभिन्न कवियों की कविताएं

खेल :- कबड्डी, वालीबाल

फिल्में/धारावाहिक (यदि देखते हैं तो) :- बागवान फिल्म, रामायण एवं महाभारत सीरियल

आपकी लिखी हुई आपकी सबसे प्रिय कृति :- माँ की ममता

 

 

       !! “कल्पकथा के प्रश्न” !!

प्रश्न 1. अंजनी जी, सबसे पहले हम आपके पारिवारिक और साहित्यिक परिवेश के बारे में जानना चाहते हैं।

अंजनी जी :-  आदरणीय मेरे परिवार में मेरे माता जी पिताजी दिवंगत हो चुके हैं।

 वर्तमान में हम पाँच भाइयों में चौथे नंबर के भाई हैं सभी भाई शासकीय सेवा में संलग्न है तीन बहने एवं एक बेटा एक बेटी मेरे परिवार में हैं।

 कुल मिलाकर मेरे संयुक्त परिवार में 30 लोग सम्मिलित हैं।

साहित्यिक परिवेश में मेरे स्वर्गीय पूज्य पिताजी हिंदी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान थे, जिन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

 मैंने स्वयं हिंदी विषय से एम ए किया हुआ है। इसके साथ-साथ मेरे कुछ मित्र और शिक्षक साथी भी साहित्यिक गतिविधियों से जुड़े हैं।

 जिनमें शिवकुमार सागर (मामा जी) सबसे नजदीक हैं।

 

प्रश्न 2. आप सयुंक्त परिवार में रहते हैं, जो आज के समय में दुर्लभ ही देखने को मिलता है। आप इस पारिवारिक/सांस्कृतिक धरोहर को कैसे सहेजे हुए हैं?

अंजनी जी :- संयुक्त परिवार आज के परिवेश में दुर्लभ पूंजी है, इसे धरोहर के रूप में बचाकर रखने में परिवार के सभी सदस्यों को एक दूसरे का सम्मान और मर्यादा का ध्यान रखना पड़ता है। इसके अलावा अधिक बड़े परिवार में अपने साथ-साथ सभी की खुशियों का ध्यान भी रखना पड़ता है और अपने अपने व्यवहार और कार्यों से सबके साथ समन्वय स्थापित करना पड़ता है।

 सबसे महत्वपूर्ण बात संयुक्त परिवार में त्याग की भावना की होती है तभी संयुक्त परिवार की कल्पना साकार होती है।

 

प्रश्न 3. चतुर्वेदी जी, आप रसायन शास्त्र के ज्ञाता हैं। आपने रसायनों के बीच से साहित्य धारा कैसे प्रवाहित की?

अंजनी जी :- मैंने रसायन विज्ञान में एमएससी किया हुआ है।

 गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा में भी लिखा है-

 राम रसायन तुम्हारे पासा।

 सदर तुम रघुपति के दासा।

 इसके अलावा व्याख्याता पद पर रहते हुए हिंदी साहित्य से एम ए भी किया है।

 अतः हिंदी से लगाव बढ़ता ही गया। वैसे भी मेरे पूज्य पिताजी हिंदी के मूर्धन्य विद्वान थे, अतः मुझे हिंदी साहित्य का ज्ञान विरासत में भी प्राप्त हुआ है।

 

प्रश्न 4. अंजनी जी, हमारे पाठक और श्रोता जानना चाहते हैं आपके बचपन का बालविनोद भरा वो प्रसंग, जो आपको आज भी याद है और जिसके याद आते ही आपकी बरबस हँसी छूट जाती है।

अंजनी जी :- आदरणीय में पढ़ने में मेधावी छात्र रहा हूँ। पर मैं शरारती भी बहुत अधिक था इस कारण शैक्षणिक गतिविधियों के अलावा अपनी शरारतों के कारण कई बार मुझे प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ा।

 एक बार विद्यालय से अनुपस्थित रहने पर मैंने अपने शिक्षक को पिताजी सहित बाहर जाने की बात बताकर अपना बचाव किया था, लेकिन उसी दिन मेरे पिताजी विद्यालय के प्रधानाध्यापक से मिलने पहुंच गए और उनके द्वारा सच्चाई पता चलने पर मुझे कक्षा में ही हँसी का पात्र बनना पड़ा।

एक बचपन की शरारत और भी आपके साथ साझा करना चाहूंगा कि मैं लंबे समय तक पानी में डूबा रह सकता हूं इस कारण मैं पढ़ते समय एक बार शैक्षिक दल में शिक्षक की उपस्थिति में तालाब में कूद कर लंबे समय तक पानी में डूबे रहकर सभी को रुला दिया था और बाद में जब मैं पानी में से निकला तो सभी देखकर मुझे खूब खुश हुए लेकिन मेरे शिक्षक दल के प्रभारी शिक्षक ने मेरी खूब खबर ली थी यह बात सोच कर मुझे आज भी हंसी आ जाती है

 

प्रश्न 5. आपने एक बार हमारे साथ अपना एक प्रयागराज का संस्मरण साँझा किया था। आप उसे हमारे दर्शकों और अपने पाठकों को बताना चाहेंगे?

अंजनी जी :-  एक बार हम लोग प्रयागराज अपनी पिताजी के अस्थि विसर्जन में गए थे। भीषण ठंड के कारण हम लोगों का बुरा हाल था घर में मामा जी के कहे जाने के बावजूद भी हम बहुत अधिक ठंड से बचाव के कपड़े नहीं ले गए थे।

    इस कारण रेलवे स्टेशन पर तेज ठंड से परेशान हो रहे थे तभी अचानक एक सज्जन ने आकर मुझे और मेरे साथ परिवार जनों को कंबल उड़कर ठंड से बचाव किया था मेरे पूछे जाने पर उन्होंने अपना इतना ही परिचय दिया था कि भविष्य में जब किसी और को जरूरत हो तब उसकी मदद जरूर करना और तभी से हम लोग अपनी माताजी की पुण्य स्मृति में जरूरतमंदों को कंबल वितरण करते आ रहे हैं।

 

प्रश्न 6. अंजनी जी, आपकी लेखन शैली विवेचनात्मक है। आप इस पर कुछ प्रकाश डालेंगे?

अंजनी जी :- गद्य अथवा पद्य दोनों विधाओं में मैं विषय में डूब कर लिखने का प्रयास करता हूँ।

 यह आदत मुझे विरासत में मिली है किसी की नकल करना अथवा उथला साहित्य लिखना मेरे मानस में नहीं है।

 मैं विषय की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के बाद ही लेखनी चलाता हूँ। 

 

प्रश्न 7. आपकी सबसे विशिष्ट रचना जिसे आप स्वय के दृष्टिकोण से विशिष्ट मानते हैं, हम उसे सुनना चाहेंगे। साथ ही ये भी जानना चाहेंगे कि आप इसे विशिष्ट क्यों मानते हैं?

अंजनी जी :- कहूँ तो मेरी प्रत्येक रचना विशिष्ट ही होती है। मैं फुटपाथी साहित्य लिखना पसंद नहीं करता हूँ। फिर भी मेरी कलम से निकली हुई अनेक रचनाएं मेरे हृदय को छूती हैं।

मेरी दो रचनाएं मुझे बेहद पसंद हैं, एक रचना का शीर्षक है- निज प्रयास से जो सागर को गागर में भरते हैं,

 सदा विजय होती है उनकी जो प्रयास करते हैं।

 और दूसरी रचना श्री कृष्ण भगवान से एक विनय भरी रचना है-

 ओ श्याम राधिका के, मुरली मधुर बजा दे।

 मझधार में है नैया, उस पार तू लगा दे।

 

प्रश्न 8. आप शासकीय उच्च विद्यालय में प्राचार्य जैसे महत्त्वपूर्णपद पर प्रतिष्ठित हैं। स्वाभाविक रूप ऐसे में कार्य व्यस्तता बहुत अधिक बढ जाती हैं। हमारा प्रश्न यह है कि आप लेखन, और शिक्षण, के साथ-साथ संस्थान को किस प्रकार व्यवस्थित करते हैं?

 अंजनी जी :-  मैं शासकीय हाई स्कूल केना में प्राचार्य के पद पर पदस्थ हूँ।

 विद्यालय समय पर पहुँचकर पूरी व्यवस्था बनाता हूँ।

मैं विज्ञान का विद्यार्थी ही हूँ। अतः प्रतिदिन विज्ञान विषय की कक्षा अवश्य पढता हूँ, ताकि मेरा ज्ञान काम ना हो सके।

 समय हो जाने पर ही विद्यालय से वापस घर आता हूँ। विद्यालय को व्यवस्थित करना मेरी रुचि और नैतिक जिम्मेदारी भी है।

 इस कारण सिर्फ रात्रि के समय दो घंटे साहित्य को समर्पित कर पाता हूँ। कभी कभार अवकाश के दिनों में दिन में भी लेखन कार्य चलता रहता है ।

 

प्रश्न 9. आप की दृष्टि में साहित्य किस प्रकार समाज के लिए उपयोगी हो सकता है? 

अंजनी जी :- वास्तव में साहित्य समाज का दर्पण है अतः हिंदी जगत के विद्वान यही चरितार्थ करते हैं कि यदि लेखन के द्वारा ज्ञानवर्धक उत्तम और समाज उपयोगी साहित्य का सृजन किया जाए तो निश्चित ही साहित्य समाज उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह कर सकेगा।

 

प्रश्न 10. अंजनी जी, आप बहुत सी साहित्यिक गतिविधियों वाले मंचों से जुडे हुए हैं। आज अधिकांश लेखक वर्ग अपनी उपलब्धियों पर प्रफुल्लित है। अपने अनुभव के आधार पर आप उन उपलब्धियों को किस दृष्टिकोण से देखते हैं?

अंजनी जी :- लगभग 10 पटल पर में साहित्यिक गतिविधियों में संलग्न हूं परंतु जिस पटल पर समीक्षक आंख बंद करके लेखन कार्य कर रहे हैं उनसे मेरा मेल नहीं खाता है।

 90% लेखक और कई सिर्फ प्रमाण पत्र एकत्रित करने की दृष्टिकोण से साहित्य की हत्या कर रहे हैं ।

फिर भी पटल समीक्षक और संचालक ऐसे लोगों को प्रमाण पत्र देकर परोक्ष रूप से साहित्य को क्षति पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं ।

अतः मेरा इस बारे में विचार है कि अपने लेखन को दिनों दिन निर्दोष बनाते हुए ही सृजन कार्य में संलग्न हों।

 सिर्फ प्रमाण पत्र एकत्रित करने की दृष्टिकोण से साहित्य ना लिखा जाए।

 

प्रश्न 11. आप अपने नाम के साथ लेखकीय उपनाम “श्रीकांत” लगाते हैं। इसका तात्पर्य और कारण, हम दोनों ही जानना चाहेंगे? 

अंजनी जी :- श्रीकांत परमात्मा का नाम है श्री रामचंद्र जी के प्रकट होने की स्थिति में प्रगट भयो श्रीकंता लिखा गया है।

 मुझे बचपन से ही श्रीकांत नाम मुझे बहुत प्यारा लगता था ।

 

प्रश्न 12. कहते हैं लेखन तभी सार्थक होता है, जब वो देशहित में कार्य करे। आप अपने लेखन को इस तर्क पर कैसे सिद्ध करते हैं?

अंजनी जी :- आदरणीय मैंने अनेकों रचनाएं ऐसी लिखी है जिनको पढ़कर देश की नौजवान पीढ़ी और युवा ऊर्जित होते हैं।

 और मेरा रचनाकारों से यह विनम्र अनुरोध है कि देश पर अपनी भावनाएं कविता के रूप में जरूर प्रस्तुत करें। ताकि आने वाली पीढ़ी देश के प्रति संवेदनशील रहे।

 

प्रश्न 13. आप अपने समकालीन लेखकों एवं कवियों में किन से अधिक प्रभावित हैं?

अंजनी जी :- मुझे रामधारी सिंह दिनकर सूर्यकांत त्रिपाठी निराला मुंशी प्रेमचंद माखनलाल चतुर्वेदी एवं महादेवी वर्मा को पढ़ना बहुत अच्छा लगता है।

 

प्रश्न 14. अंजनी जी, यूँ तो सभी स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध करने में लगे रहते हैं। किन्तु एक शिक्षक की दृष्टि बडी दूरगामी होती है। इसी संदर्भ में आप अपना कोई एक अनुभव हमारे साथ साँझा करना चाहेंगे? 

अंजनी जी :- शिक्षक के रूप में सिर्फ वही शिक्षक श्रेष्ठ होता है जो अपने छात्रों में उन गुणों का समावेश कर सके जो राष्ट्र उत्थान में सहायक हों।

 

प्रश्न 15. आप कल्पकथा से बहुत काल से जुडे हुए हैं। कल्पकथा के साथ आपका अब तक अनुभव कैसा रहा और इसको आप अगले पाँच वर्षो में किस उच्चतम शिखर पर देखना चाहेंगे?

अंजनी जी :- मैं कल्प कथा में शुरुआती चरण से जुड़ा हुआ हूँ जिस पटल का नाम कल्प कथा रखा गया है उसके बारे में यही विचारधारा है कि यह श्रेष्ठ पटल है और इसके संचालन कर्ता अपने उच्च विचारों से पटल को दिनों दिन ऊंचाई पर ले जा रहे हैं।

 सभी प्रकार की गतिविधियां पटल को ऊँचाई प्रदान कर रहे हैं आने वाले 5 वर्षों में यह पटल गगन चूमेगा, ऐसी मेरी भावना और आकांक्षा है।

 

प्रश्न 16. आप अपने पाठकों, दर्शकों और समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं?

अंजनी जी :-  मैं पाठकों और दर्शकों को यही संदेश देना चाहता हूँ कि वास्तव में मैं कोई साहित्यकार नहीं।

 मैं मुख्यतः रसायन विज्ञान का विद्यार्थी और शिक्षक रहा हूँ।

 परंतु सभी सृजन कर्ताओं से मेरा बार-बार आग्रह है कि अपना हित भूलकर देश हित की चिंता करें, उसी का मनन करें और देश को कुछ दे पायें।

 तभी हमारा जीवन और जीना सार्थक होगा।

 सादर श्री हरि

 अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी

 

 

        तो ये सम्वाद रहा हमारे साथ भेंट वार्ता के दौरान श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी “श्रीकांत” जी से हुए प्रश्नोत्तर में। इनके राष्ट्रहित में विचार जानकर हम सब अभिभूत हैं। कमेन्ट बॉक्स में आप के विचारों का स्वागत रहेगा। 

         अगले भेंटवार्ता में आप सभी को मिलवाते हैं एक और साहित्यकार से। साथ ही आपसे अनुरोध है कि यदि आप किसी साहित्यकार का साक्षात्कार विशेष रूप देखना और पढना चाहते हैं तो अपने सुझाव हमें कमेन्ट बॉक्स में लिखकर दें। 

अंजनी जी का साक्षात्कार देखने के लिए लिंक पर जाएं : 

https://www.youtube.com/live/hOGHJIpI5aE?si=YiPJvuJ0aNaWSHd0

निवेदक एवं संचालक 

✍🏻  कल्पकथा परिवार

कल्प भेंटवार्ता

One Reply to “!! “व्यक्तित्व परिचय : श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी “श्रीकांत” जी”

  • पवनेश

    आदरणीय चतुर्वेदी जी से संवाद पढ़/सुनकर आनंदित हैं।
    उनकी भावपूर्ण, धार्मिक, एवं प्रेरक रचनाएँ, सदैव संग्रहणीय हैं। 🙏🌹🙏

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