
!! “व्यक्तित्व परिचय : श्री सुन्दरलाल जोशी “सूरज” जी” !!
- कल्प भेंटवार्ता
- 27/12/2024
- लेख
- साक्षात्कार
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जब मैं चित्तौड़गढ़ घूमने गया तो हल्दीघाटी गया। संग्रहालय देखा और मन हुआ कि कुछ पंक्तियां महाराणा प्रताप पर लिखूँ।
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जब मैं चित्तौड़गढ़ घूमने गया तो हल्दीघाटी गया। संग्रहालय देखा और मन हुआ कि कुछ पंक्तियां महाराणा प्रताप पर लिखूँ।
Continue Readingनए कवियों से हम अधिक प्रभावित होते हुँ क्योंकि मेरा मानना है कि नए नए पौधे पर अगर ध्यान दिया जाए तो वो मजबूत वृक्ष बन जाता है और ध्यान नहीं दिया जाए तो वो खत्म हो जाएगे।
Continue Readingजी मैं इस मामले में मध्यमार्गी हूं। मुझे लगता है कि भाव पक्ष के साथ कला पक्ष का संतुलन भी जरूरी है तभी कविता में आनंद आता है। फिर भी भाव पक्ष ज्यादा महत्वपूर्ण है, अगर भावनाएं पैदा और प्रेषित नहीं होगी तो कविता ही बिखर जाएगी।
Continue Readingएक साहित्यकार की रचनाएं उसकी भावनाओं का प्रतिबिंब होती हैं। रचनाओं के माध्यम से वह अपनी निहित भावनाओं को प्रकट करता है। मेरी रचनाएं देश के विकास में जो बाधाएं उत्पन्न करते हैं,देश में भ्रष्टाचारफैलाते हैं या देश की छवि को खराब करते हैं उनके विरोध में बहुत सी रचनाएं लिखी हैं जो हम साहित्यकारों का कर्तव्य भी है।
Continue Readingमैं इस मंच के माध्यम से अपने पाठकों को दर्शकों को और सभी लेखकों को यही कहना चाहूंगी कि समाज या देश की उन्नति हमारी भी जिम्मेदारी बनती है। हम जिस भी क्षेत्र से जुड़े हैं और जितना भी हम सक्षम हैं, उसके आधार पर हमें प्रयत्नशील रहना चाहिए अपने राष्ट्र, अपने समाज के उत्थान के लिए ।
Continue Readingमै बहुत पैरेलल व कलात्मक बांग्ला व हिन्दी फिल्में देखती थी पर अब वो सिलसिला समय और उर्जा के अभाव में समाप्त प्रायः है।
यही बात संगीत अभ्यास पर भी लागू होती है।
Continue Readingनैसर्गिकता से परिपूर्ण प्रकृति की गोद में स्थित। एक ओर जिसे माता कुदरगढ़ी का आशीर्वाद प्राप्त है, वहीं दूसरी ओर काले सोने अर्थात कोयले की खदानें ऊर्जा के भंडार बढ़ाते है।
Continue Readingगद्य लिखने के लिए पर्वत जैसा धैर्य चाहिये। जो मुझमें नहीं है। कुछ समयाभाव भी रहता है। बालक छोटा है तो उसको पढ़ाने का दायित्व भी है।
कविता मुझे बहुत प्रिय है। मेरे लिए कविता और जादू में अधिक अंतर नहीं है।
प्रश्न 18. लेखन के अतिरिक्त ऐसा कौन सा कार्य है, जो आप को विशेष प्रिय है?
गजेंद्र जी :- बिना किसी मान -सम्मान पाने के लोभ से दूर रहते हुए यथा संभव समाज सेवा करना मुझे आत्मिक सुख प्रदान करता है।
Continue Readingअपनी रचनाओं को कभी किसी को कम नहीं समझते। कई बार होता है कि हमारी रचना अच्छी होती है फिर भी कमेंट नहीं मिलाते हैं। कई बार लोग या तो रचना पढ़तेही नहीं हैं। या फिर नाम के आधार से टिक करते हैं ।
आज नहीं तो कल हमारी रचना को प्राथमिकता अवश्य मिलेगी यही सोचकर लिखते रहेंगे और आगे बढ़ते रहे।